छांगुर गिरोह की बेनामी संपत्तियों की जांच में लगे एटीएस और ईडी, अभी तक कुछ भी नहीं लगा सुराग
हिंदू युवतियों के अवैध मतांतरण में शामिल जलालुद्दीन उर्फ छांगुर गिरोह की बेनामी संपत्तियों की पहचान अभी बाकी है। विदेशी फंडिंग से खरीदी गई संपत्तियों के दस्तावेज़ मिले हैं। एटीएस और ईडी जांच कर रहे हैं और ईडी जल्द ही आरोपपत्र दाखिल कर सकती है। दुबई की एक कंपनी के माध्यम से मनी लांड्रिंग का पता चला है जिसमें नवीन वोहरा की भूमिका सामने आई है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। हिंदू युवतियों का छल-बल व प्रलोभन से अवैध मतांतरण कराने वाले जलालुद्दीन उर्फ छांगुर गिरोह की बेनामी संपत्तियां अभी चिन्हित नहीं की जा सकी हैं। गिरोह के पकड़े जाने के बाद विदेशी फंडिंग की रकम से बलरामपुर व मुंबई के अलावा अन्य स्थानों पर संपत्तियां खरीदे जाने के तथ्य सामने आए थे।
इनमें गिरोह के सदस्यों के खातों में बड़ी रकम ट्रांसफर कर कई बेनामी संपत्तियां जुटाए जाने की जानकारी भी सामने आई थी। खासकर महाराष्ट्र में बेनामी संपत्तियां जुटाए जाने का संदेह जताया गया था। छांगुर गिरोह के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान संपत्तियों से जुड़े कई दस्तावेज भी बरामद हुए थे।
आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) व प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों मामले की छानबीन कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि बेनामी संपत्तियों तक पहुंचने के लिए कई और बैंक खातों काे खंगाला जा रहा है।
ईडी जल्द छांगुर व गिरोह के अन्य सदस्यों के विरुद्ध विशेष कोर्ट में अपना पहला आरोपपत्र दाखिल कर सकता है। ईडी की जांच में दुबई की युनाइटेड मरीन कंपनी के जरिए करोड़ों रुपये की मनी लांड्रिंग की बात सामने आई है। विदेशी फंडिंग में छांगुर के करीबी नवीन वोहरा उर्फ जमालुद्दीन तथा उसकी पत्नी नीतू उर्फ नसरीन की मुख्य भूमिका रही है।
इनके माध्यम से ही गिरोह के कई सदस्यों को रकम देकर बेनामी संपत्तियों में भी निवेश किया गया था। ईडी ने बीते दिनों विदेशी फंडिंग की रकम से बलरामपुर के उतरौला स्थित 13 संपत्तियां जब्त की थीं, जिनकी कीमत 13.02 करोड़ रुपये है। ईडी की जांच में 21.08 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग के साक्ष्य जुटाए जा चुके हैं।
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