पीएम आवास योजना के अनुदान में सेंधमारी, 44 जिलों में सॉफ्टवेयर ने ऐसे पकड़े 338 फर्जी आवेदन
लखनऊ में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 44 जिलों में 338 डुप्लिकेट आवेदन आधार नंबर से पकड़े गए। इन आवेदकों ने पहले भी योजना का लाभ उठाया था। गाजियाबाद रामपुर फिरोजाबाद और झांसी में अधिक मामले सामने आए हैं। निदेशक अपूर्वा दुबे ने सत्यापन के आदेश दिए हैं और डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) को रोक दिया गया है।

अजय श्रीवास्तव, लखनऊ। प्रधानमंत्री आवास योजना का अनुदान लेने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपनाए जाते हैं। नए मामले में ऐसे लोगों ने प्रधानमंत्री आवास योजना का अनुदान पाने की कोशिश की, जिनके परिवार में से किसी न किसी को पहले अनुदान का लाभ मिल चुका था। 44 जिलों में 338 ऐसे आवेदनों को केंद्र सरकार के पोर्टल ने आधार नंबर से पकड़ा है। अब अनुदान देने के लिए भेजी गई डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) को रोक दिया गया है। जिलों में इन सभी का सत्यापन कराया जा रहा है। गाजियाबाद, रामपुर, फिरोजाबाद और झांसी से जुड़े मामले अधिक हैं।
केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने पिछले माह प्रदेश सरकार को यह जानकारी दी थी कि रियल टाइम डेटा परीक्षण में पाया गया कि सीएसएमसी -1, 2 एवं 3 में स्वीकृत प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी 2.0 में 44 जिलों के 338 लाभार्थी और परिवार के सदस्य पूर्व में प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के अंर्तगत पहले से पंजीकृत लाभार्थियों के डुप्लीकेट आवेदन पाए गए हैं।
अब इन नामों को हटाते हुए आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के पोर्टल पर लाभार्थी के रिकार्ड को अपडेट करने को कहा गया था। इतना ही नहीं किसी भी डुप्लीकेट लाभार्थी को कोई केंद्रीयत व राज्य सहायता जारी न किए जाने के निर्देश दिए गए थे।
इसकी जानकारी मिलते ही मिशन निदेशालय सूडा की निदेशक अपूर्वा दुबे ने तत्काल सभी जिलाधिकारियों और जिला नगरीय अभिकरण (डूडा) के अधिकारियों को पत्र भेजकर 44 जिलों में इन सभी 338 आवेदनकर्ताओं की सूची भेजकर उनका सत्यापन कराने को कहा था, सत्यापन में पाया गया कि पहले जिन लाभार्थियों ने अपने साथ ही परिवार के सदस्य का आधार कार्ड लगाया था तो उसमे भी बाद की योजना में आवेदन कर दिया था, जो नियम विरुद्ध था।
अब निदेशक की तरफ से यह भी चेतावनी दी गई है कि भविष्य में ऐसी कोई गड़बड़ी न हो, डीपीआर को तैयार करने से पहले लाभार्थियों का गहनता के साथ परीक्षण करा लिया जाए। यह भी जांच कराने को कहा गया है कि लाभार्थी और उसके परिवार में से किसी व्यक्ति द्वारा पूर्व में प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी में लाभ तो नहीं लिया है। इसके बाद ही उसकी डिटेल पोर्टल पर भेजी जाए।
यहां पर पाए गए डुप्लीकेट लाभार्थी
आगरा में चार, अलीगढ़ में 19, आंबेडकरनगर में एक, अमेठी में 11, औरेया में तीन, बलिया में एक, बलरामपुर में चार, बांदा में आठ, बरेली में नौ, बिजनौर में दस, बदायूं में छह, बुलंदशहर में दो, चंदौली में एक, फतेहपुर में दो, फिरोजाबाद में 55, गौतमबुद्ध में नगर एक, गाजियाबाद में 34, गाजीपुर में दो, गोरखपुर में 15, हाथरस में तीन, जालौन में 14, जौनपुर में दो, झांसी में 23, कानपुर देहात में चार, कानपुर नगर में तीन, कासगंज में सात, कौशम्बी में एक, महाराजगंज में तीन, मैनपुरी में दो, मथुरा में नौ, मेरठ में सात, मिर्जापुर में दो, मुजफ्फरनगर में दो, प्रतापगढ़ में दो, प्रयागराज में चार, रायबरेली में एक, रामपुर में 30, सहारनपुर में तीन, संभल में दो, शाहजहांपुर में 12, श्रावस्ती में एक, सिद्धार्थनगर में चार, सोनभद्र में तीन और वाराणसी में चार।
दरअसल लाभार्थी पोर्टल पर सीधे आवेदन कर देते हैं, लेकिन जांच में पाया गया कि 44 जिलों में 338 ऐसे आवेदनों को डुप्लीकेट पाया गया। इन आवेदनों का सत्यापन कराने के साथ ही उसे निरस्त कराया जा रहा है। अपूर्वा दुबे, निदेशक मिशन निदेशालय, सूडा
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