डायरिया से अब बच्चों की जान नहीं जाएगी, यूपी में चला अभियान, ORS-जिंक बनेगा सुरक्षा कवच
उत्तर प्रदेश में बच्चों को दस्त से बचाने के लिए डायरिया रोको अभियान शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य डायरिया से बचाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। पहले चरण में सात जिलों में अभियान शुरू हो चुका है। इस साल की थीम है डायरिया की रोकथाम सफाई और ओआरएस से रखें अपना ध्यान। डायरिया बच्चों में मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में शून्य से पांच साल तक के बच्चों को दस्त से बचाने के लिए डायरिया रोको अभियान शुरू किया गया है। 31 जुलाई तक चलने वाले इस अभियान में डायरिया से बचाव, कारण, रोकथाम व इलाज के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
पहले चरण में प्रदेश के सात जिलों फिरोजाबाद, मथुरा, मुरादाबाद, बदायूं, उन्नाव, गोंडा और श्रावस्ती में अभियान शुरू किया गया है। स्वास्थ्य केंद्रों पर ओआरएस और जिंक कार्नर बनाये गए हैं। अभियान की इस साल की थीम ''डायरिया की रोकथाम, सफाई और ओआरएस से रखें अपना ध्यान'' तय की गई है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक डा. पिंकी जोवल ने सोमवार को बताया कि डायरिया पांच साल से कम आयु वर्ग के बच्चों के लिए एक मुख्य स्वास्थ्य समस्या बना हुआ है।
बच्चों में मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में से डायरिया एक है। इस बीमारी की रोकथाम दस्त से बचाव है. डायरिया की रोकथाम के लिए सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता, साबुन-पानी से अच्छी तरह से हाथ धोना, बच्चे को केवल स्तनपान और पूरक आहार का पर्याप्त पोषण देना जरूरी है।
इसके अलावा बच्चे का समय पर टीकाकरण कराना भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि ओआरएस और जिंक के साथ प्राथमिक उपचार बच्चों को जल्दी स्वस्थ होने और मृत्यु से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम डा. मिलिंद वर्धन ने बताया कि यदि बच्चे को दिन भर में तीन या तीन से अधिक बार दस्त हो तो समझना चाहिए कि उसे डायरिया हो गया है। ऐसे में उसको तत्काल ओआरएस का घोल देना चाहिए, जिससे शरीर में पानी की कमी न होने पाए।
डायरिया के दौरान यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि मां दूध पीने वाले बच्चे को दस्त के दौरान भी स्तनपान जारी रखे। मां का दूध बच्चे को पोषण और ताकत देता है। इसके साथ ही परिवार को निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करना चाहिए।
डॉक्टर की सलाह से जिंक की खुराक निर्धारित समय तक देना शुरू कर देना चाहिए। ओआरएस शरीर में पानी की कमी को दूर करता है। वहीं जिंक दस्त से होने वाले नुकसान को कम करता है और बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है।
साबुन और पानी से अच्छी तरह हाथ धोएं
बच्चों के डायरिया की चपेट में आने के कई कारण हैं. इनमें मुख्य रूप से दूषित जल पीना, दूषित हाथों से भोजन बनाना या बच्चे को खाना खिलाना, खुले में शौच करना, बच्चों के मल का ठीक से निस्तारण न करना है. इसलिए शौच और बच्चों का मल साफ़ करने के बाद, भोजन बनाने और खिलाने से पहले हाथों को साबुन-पानी से अच्छी तरह जरूर धुलना चाहिए।
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