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    देश में पहली बार डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने वाले को सात साल की सजा, 14 महीने में नहीं मिली कोई जमानत

    Updated: Thu, 17 Jul 2025 10:17 PM (IST)

    लखनऊ में साइबर जालसाज देवाशीष राय को डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने के मामले में 7 साल की सजा सुनाई गई। उसने डॉक्टर सौम्या गुप्ता को कस्टम अधिकारी बनकर डराया और 85 लाख रुपये ठगे थे। साइबर क्राइम पुलिस ने उसे गोमतीनगर से गिरफ्तार किया था। अदालत ने उसे विभिन्न धाराओं में दोषी पाया और उस पर 68 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

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    डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने वाले साइबर जालसाज देवाशीष राय।

    जागरण संवाददाता, लखनऊ। डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने वाले साइबर जालसाज देवाशीष राय को देश में पहली बार सजा सुनाई गई है। 14 माह के अंदर सजा पाने वाले जालसाज को सुनवाई के दौरान एक बार भी जमानत नहीं मिल पाई थी। जालसाज पर 68 हजार का अर्थदंड भी लगा है।

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    आजमगढ़ के मसौना के इस बदमाश ने लखनऊ निवासी डॉक्टर सौम्या गुप्ता से मई 2024 में डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर 85 लाख रुपये की ठगी की थी। साइबर क्राइम पुलिस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज करने के पांच दिनों के भीतर ही गोमतीनगर विस्तार के मंदाकिनी अपार्टमेंट से दोषी को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) अपराध कमलेश दीक्षित ने बताया कि गोमतीनगर विस्तार सुलभ आवास निवासी देवाशीष राय को सात वर्षों की सजा सुनाई गई है।

    डीसीपी के मुताबिक, मई 2024 में देवाशीष ने महानगर की इंद्रप्रस्थ कालोनी निवासी केजीएमयू की चिकित्सक सौम्या गुप्ता को फोन किया और खुद को कस्टम अधिकारी बताकर कहा कि उनके नाम से एक कार्गो बुक किया गया है, जिसमें जाली पासपोर्ट, एटीएम कार्ड और 140 ग्राम एमडीएम (नशे की दवा) मिला है, जो अपराध की श्रेणी में आता है। इसके बाद देवाशीष ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया और डॉ. सौम्या को 10 दिनों के लिए डिजिटल अरेस्ट कर 85 लाख रुपये ऐंठ लिए।

    डीसीपी ने बताया कि मामले की जांच कर रहे इंस्पेक्टर बृजेश कुमार यादव ने पहचान छिपाकर रह रहे देवाशीष को पांच दिन के अंदर गोमतीनगर विस्तार के मंदाकिनी अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया था और तीन महीने में जांच पूरी कर दोषी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी थी। पुलिस ने अभियोजन के साथ मिलकर कोर्ट में प्रभावी पैरवी की। उचित पैरवी से हर तारीख पर देवाशीष की जमानत को खारिज कराया गया।

    पैरवी में हर धारा को किया साबित

    विशेष न्यायालय कस्टम के सीजीएम अमित यादव ने दोषी को सभी धाराओं में सजा और अर्थदंड से दंडित किया है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 419, 420 जो बेईमानी और धोखाधड़ी से संबंधित है, में दो और पांच वर्ष की सजा और 2,000 तथा तीन हजार रुपये का अर्थदंड लगाया गया है।

    किसी व्यक्ति की मूल्यवान निधि की धोखाधड़ी से जुड़ी धारा 467 व 468 में भी सात और पांच वर्ष की सजा तथा 5,000 और तीन हजार रुपये का अर्थदंड लगाया गया है। धारा 471 में सात वर्ष की सजा और 5,000 रुपये का अर्थदंड लगा है जबकि धारा 66 डी आइटी एक्ट में दो वर्ष की सजा और 50,000 रुपये का अर्थदंड लगा है।

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