CM Yogi: "कृषि बनेगी खुशहाली का माध्यम", योगी आदित्यनाथ ने कहा- पलायन नहीं, प्रगति चाहिए
CM Yogi Emphasizes Agricultural Research | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कृषि में वैज्ञानिक शोध को प्रभावी ढंग से लागू करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कृषि को खुशहाली का माध्यम बनाने के लिए किसानों तक अनुसंधान का लाभ पहुंचाना होगा। उत्तर प्रदेश में देश का 20% से अधिक खाद्यान्न उत्पादन होता है जिसे शोध के माध्यम से और बढ़ाया जा सकता है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खेती में वैज्ञानिक शोध और अनुसंधानों को प्रभारी ढंग से लागू करने का आह्वान किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि पलायन का नहीं, बल्कि खुशहाली का माध्यम बनना चाहिए। यह तभी संभव है, जब इस क्षेत्र में किए जाने वाले अनुसंधान का लाभ किसानों को दे पाएंगे।
यहां के जलवायु क्षेत्र के अनुरूप अनुसंधान और प्रकृति-पर्यावरण के अनुरूप शोध को बढ़ाने के लिए और गति दिए जाने की आवश्यकता है। योगी ने कहा कि प्रदेश के पास देश ही नहीं, दुनिया का पेट भरने का भी सामर्थ्य है। यूपी विकसित होता है तो भारत को विकसित होने से कोई ताकत रोक नहीं सकती।
मंगलवार को मुख्यमंत्री उप्र कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) के 36वें स्थापना दिवस समारोह में ''विकसित कृषि-विकसित उत्तर प्रदेश- 2047'' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल हुए। योगी ने कहा कि देश की कृषि योग्य कुल भूमि का केवल 11 प्रतिशत यूपी में है और देश का 20 प्रतिशत से अधिक खाद्यान्न उत्पादन हो रहा है।
हालांकि इससे तीन गुना अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। दुनिया में वही देश विकसित हुए हैं, जिन्होंने शोध पर ध्यान दिया। यहां केंद्र व राज्य सरकार के कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्र आदि अपनी विशेषज्ञता का लाभ किसानों को प्रदान करते हैं।
इसके बावजूद 25 से 30 फीसदी किसान ही वैज्ञानिक शोध के कार्यों को प्रभावी ढंग से खेती में लागू कर पा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों के सामने 2047 तक भारत को विकसित करने का लक्ष्य रखा है।
हमें विकसित उप्र बनाना है और इसके लिए सभी क्षेत्रों में संभावनाएं तलाशनी हैं। केंद्र सरकार ने तय किया है कि भारत पांच ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनेगा। हमने भी तय किया है कि वर्ष 2029 में यूपी को एक ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाएंगे। वर्ष 2047 में जब भारत 30 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था होगा तो यूपी कहां होगा।
हमने व्यापक कार्ययोजना बनाई है और विजन 2047 के साथ आगे बढ़ रहे हैं। हमें वर्ष 2027, 2029 और 2035 की भी बात करनी चाहिए। शार्ट टर्म, मीडियम और लांग टर्म प्लानिंग को लेकर चलना होगा।
सीएम ने कहा कि हमने इजराइल के तकनीकी सहयोग से सेंटर आफ एक्सीलेंस स्थापित किए थे। यदि इजराइल यह कार्य कर सकता है तो हमारे कृषि विवि क्यों नहीं कर सकते। जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं, इसके हिसाब से तैयारी होनी चाहिए।
कोई फसल एक महीने विलंब होगी और बीज वही पुराना है तो उसके उत्पादन पर भी 30 प्रतिशत तक असर होगा। यदि कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विवि, अनुसंधान केंद्रों के माध्यम से समय पर सही जानकारी व डिमास्ट्रेशन से बताएंगे नहीं कि किस बीज से कितना प्रोडक्शन लिया जा सकता है तो उसे विश्वास नहीं होगा। सीएम ने आशा जताई कि उपकार विशिष्ट शोध व विकास कार्यक्रमों के माध्यम से यूपी के किसानों का उपकार करेगा।
मुख्यमंत्री ने आयोजन में प्रदर्शनी का अवलोकन किया और पुस्तिकाओं-न्यूज लेटर का विमोचन किया। सीएम ने कृषि वैज्ञानिकों, युवा प्रतिभाओं, एफपीओ आदि का सम्मान भी किया।
इस दौरान कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, उद्यान राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दिनेश प्रताप सिंह, कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख, गोसेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता, प्रमुख सचिव रविंद्र, उप्र कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. संजय सिंह, अध्यक्ष कैप्टन विकास गुप्ता आदि मौजूद रहे।
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