धान छोड़ें, बाजरा अपनाएं... कम पानी में भी मिलेगा 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन, सरकार करेगी सपोर्ट
लखनऊ के 32 कम वर्षा वाले जिलों में कृषि विभाग बाजरा की खेती को प्रोत्साहित कर रहा है। धान की रोपाई में समस्या को देखते हुए किसानों को बाजरा अपनाने की सलाह दी जा रही है क्योंकि बाजरा कम पानी में भी उगाया जा सकता है। विभाग किसानों को बीज पर अनुदान भी दे रहा है ताकि वे बाजरा की खेती की ओर आकर्षित हों।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। कम वर्षा वाले 32 जिलों में कृषि विभाग बाजरा की खेती को बढ़ावा देने की कसरत कर रहा है। कम वर्षा होने से इन क्षेत्रों में धान की रोपाई में भी समस्या आ रही है, जबकि बाजरा को धान के मुकाबले कम पानी की जरूरत होती है। ऐसे में विभाग इन जिलों के किसानों को बाजरा अपनाने की सलाह दे रहा है।
चालू खरीफ सीजन के लिए कृषि विभाग ने 65 लाख हेक्टेयर में धान की बोआइ का लक्ष्य रखा है। 14 जुलाई तक इसमें से 42.58 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बोआई हो चुकी है, जो लक्ष्य का 65.51 प्रतिशत है। अब मानसून में वर्षा के आंकड़ों ने लक्ष्य को गड़बड़ा दिया है।
जून से 21 जुलाई तक के वर्षा के आंकड़ों के अनुसार नौ जिलों में 40 से 60 प्रतिशत वर्षा हुई है। इनमें हापुड़, शाहजहांपुर, महाराजरगंज, अमेठी, गोंडा, सीतापुर, गोरखपुर, बलिया और गाजियाबाद शामिल हैं।
10 जिलों में 40 प्रतिशत से भी कम वर्षा रिकार्ड हुई है, इन जिलों में आजमगढ़, पीलीभीत, जौनपुर, अंबेडकरनगर, संतकबीरनगर, शामली, मऊ, कुशीनगर, गौतमबुद्धनगर और देवरिया शामिल हैं। वहीं 13 जिलों में 60 से 80 प्रतिशत तक वर्षा हुई है। इनमें कौशांबी, हरदोई, गाजीपुर, बागपत, भदोही, श्रावस्ती, फतेहपुर, बहराइच, अमरोहा, बस्ती, रायबरेली, चंदौली और सिद्धार्थनगर शामिल हैं।
इन सभी जिलों में धान की रोपाई प्रभावित हो रही है। वहीं प्रदेश में अब तक बाजार की बोआइ भी रफ्तार नहीं पकड़ पाई है, लक्ष्य के मुकाबले केवल 32.62 प्रतिशत क्षेत्रफल में ही बाजरा बोया गया है।
इसके चलते विभाग द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि धान के मुकाबले बाजरा की खेती अपेक्षाकृत कम वर्षा में भी की जा सकती है। अगस्त माह के मध्य तक बाजरा की बोआइ की जा सकती है। फसल की अवधि अधिकतम 80-85 दिन होती है और इसे 10 नवंबर के पूर्व कटाई कर रबी की फसल की भी बोआइ समय से की जा सकती है।
अपर कृषि निदेशक आरके सिंह ने बताया कि बाजरा की फसल से 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिल जाती है। वर्तमान में किसानों को सामान्य बीज पर 50 प्रतिशत और संकर प्रजाति पर 150 रुपये प्रतिकिलो अनुदान भी दिया जा रहा है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।