69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण विवाद: हजारों अभ्यर्थियों ने CJI को लिखा पत्र, 21 जुलाई को सुनवाई की मांग
लखनऊ के परिषदीय विद्यालयों में 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण के मामले में अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर सुनवाई की मांग की है। उनका कहना है कि उन्हें ओबीसी और एससी वर्ग के लिए निर्धारित आरक्षण से कम आरक्षण दिया गया जो नियमों का उल्लंघन है। मामला 2020 से लंबित है और सरकार से अधिवक्ता भेजने का निवेदन किया गया है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण के मामले में प्रदेश भर के हजारों अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को ईमेल और रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेजकर 21 जुलाई (सोमवार) को इस मामले में सुनवाई सुनिश्चित करने की गुहार लगाई है।
सभी दलित व पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों द्वारा यह पत्र भेजा गया। अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्हें ओबीसी वर्ग के लिए निर्धारित 27 प्रतिशत की बजाय मात्र 3.86 प्रतिशत और एससी वर्ग को 21 प्रतिशत की जगह सिर्फ 16.2 प्रतिशत आरक्षण दिया गया, जो संविधान और इस भर्ती की बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का उल्लंघन है ।
अभ्यर्थियों ने लिखा है कि यह मामला वर्ष 2020 से लंबित है और बीते 11 महीनों से सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण पीड़ित याची अभ्यर्थी सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन सरकार इसमें कोई पहल नहीं कर रही है।
जिस कारण यह मामला लगातार लंबित होता चला जा रहा है आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी मानसिक रूप से प्रताड़ित है जिस कारण आरक्षण पीड़ित याची अभ्यर्थियों को अभी तक न्याय न मिल पाने के कारण निराशा पैदा हो रही है। अभ्यर्थियों ने सरकार से भी सुप्रीम कोर्ट में उनका पक्ष मजबूती से रखने के लिए अपने अधिवक्ता को भेजने के लिए निवेदन किया।
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