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    UP News: जीएसटी चोरी कर अपनी झोली भर रहीं फर्जी कंपनियां, करीब 18 अरब के नुकसान का अनुमान

    Updated: Tue, 19 Aug 2025 09:22 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश में जीएसटी चोरी का मामला सामने आया है जिसमें 450 से अधिक फर्जी कंपनियों का पता चला है। इन कंपनियों ने लगभग 18 अरब रुपये की जीएसटी चोरी की है। लखनऊ जोन में 90 ऐसी कंपनियां पाई गई हैं। ये कंपनियां फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर पंजीकरण कराती हैं और अधिकारियों की लापरवाही का फायदा उठाती हैं।

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    जीएसटी चोरी कर अपनी झोली भर रहीं फर्जी कंपनियां

    धर्मेश अवस्थी, लखनऊ। वस्तु एवं सेवाकर यानी जीएसटी स्लैब में बदलाव होने की चर्चा के बीच उत्तर प्रदेश में फर्जी कंपनियां बड़ी चुनौती बनकर सामने आई हैं। दो माह में ही 450 से अधिक कंपनियां जांच में फर्जी मिली हैं, लखनऊ जोन में ऐसी 90 कंपनियां पकड़ में आ चुकी हैं। 

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    अनुमान है कि हर कंपनी ने औसतन तीन से चार करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी की है। ऐसे में पकड़ी जा चुकी कंपनियों ने ही लगभग 18 अरब रुपये का गोलमाल करके अपनी झोली भरा है। 

    कंपनियों पर शिकंजा कसने के लिए पते पर जाकर जांच जारी है, इसमें और भी कंपनियां सामने आ सकती हैं और हेराफेरी का आंकड़ा और अधिक हो सकता है।

    प्रदेश में जीएसटी पोर्टल पर पंजीकृत कंपनियों का पता पंजीकरण अभिलेखों में दर्ज जरूर है, लेकिन तय पते पर उनका नामोनिशान तक नहीं है। किसी और के आधार, पैन कार्ड, रेंट एग्रीमेंट, बिजली का बिल, बैंक खाता सहित अन्य अभिलेखों का दुरुपयोग कर कंपनियां जन्म ले रही हैं। 

    असल में जीएसटी का पंजीयन कराने के लिए पोर्टल पर अप्लाई होती है। इसके लिए एड्रेस प्रूफ के लिए आधार, पैन, रेंट एग्रीमेंट आदि अपलोड करना होता है, वन टाइम पासवर्ड यानी ओटीपी दर्ज करके पंजीयन पूरा होता है। पंजीकृत कंपनी का ब्योरा स्टेट या सेंट्रल यानी एसजीएसटी या सीजीएसटी की टीम को बारी-बारी जाता है।

    नियम है कि यदि अभिलेखों में कमी है तो संबंधित कंपनी से ऑनलाइन पूछताछ करके प्रक्रिया पूरी की जाए और जीएसटी नंबर मिल जाता है। यदि अधिकारी सात दिन में अभिलेखों की छानबीन नहीं करते तो ऑटोमेटिक जीएसटी नंबर जारी हो जाता है। 

    30 दिन में तय पते का सर्वे यानी मौके पर जाकर निरीक्षण करने का नियम है। इन्हीं का लाभ फर्जी कंपनियों के संचालक उठा रहे। वे अचानक करोड़ों रुपये का माल गैर प्रांत को भेजकर उसका रिटर्न फाइल कर देते हैं। 

    विभागीय अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं, केंद्रीय जीएसटी में अधिकारियों की कमी है और नियमानुसार पंजीकृत कंपनी उन्हें आवंटित हो जाती हैं, सत्यापन न होने से गड़बड़ियां की जा रही हैं। 

    अब राज्य कर के अधिकारी सर्वे कर रहे और पत्र लिखकर केंद्रीय जीएसटी टीम से पंजीयन निरस्त करा रहे हैं। लखनऊ जोन यानी लखनऊ, लखीमपुर खीरी, हरदोई, रायबरेली जिले में करीब 100 कंपनियों ने जीएसटी चोरी किया है।

    अमीनाबाद, नाका, बिजनौर में हो चुकी एफआईआर

    तीन अगस्त को राज्यकर के उपायुक्त रवि पंवार व राखी सिंह ने अमीनाबाद में छह और नाका में एक सहित सात कंपनियों पर फर्जीवाड़ा, कूटरचित कंपनियां बनाने और सरकार को धोखा देने का मुकदमा दर्ज कराया है। 

    अधिकारियों ने स्वदेश मार्केट अमीनाबाद में शिवम श्रृंगार घर पर, मां दुर्गा इंटरप्राइजेज, राधेश्याम ट्रेडिंग कंपनी, रामा ट्रेडर्स, जेडी इंटरप्राइजेज, एआई एंटरप्राइजेज और राम इंटरप्राइजेज के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई। 

    14 अगस्त को बिजनौर थाने में राज्य कर उपायुक्त सुमन चौरसिया ने औरंगाबाद निवासी प्रिंस मूर्ति एंटरप्राइजेज फर्म पर जीएसटी चोरी का मुकदमा दर्ज कराया गया है।