उत्तर प्रदेश में छह साल बाद भी नियमित नहीं हुए 16 हजार CHO, अब हो रही आंदोलन की तैयारी
16 हजार सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) नियुक्ति के बाद नियमित होने का इंतजार कर रहे हैं। 2019 में ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात ये सीएचओ डॉक्टरों की कमी को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। छह साल बाद भी नियमितीकरण नहीं होने से उनमें निराशा है। सीएचओ यूनियन अब अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की तैयारी कर रही है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश के 16 हजार सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को नियुक्ति के बाद से नियमित होने का इंतजार है। वर्ष 2019 में इन सीएचओ की तैनाती ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (अब आयुष्मान आरोग्य मंदिर) पर की गई थी।
सरकार की कोशिश की थी कि इनके माध्यम से डाक्टरों की कमी को पूरा किया जा सके। इसीलिए सीएचओ के चयन के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने लिखित परीक्षा ली, इसके बाद छह माह का प्रशिक्षण भी दिया गया।
छह साल की नौकरी के बाद सीएचओ के नियमितीकरण करने के लिए भारत सरकार से एक पत्र भी एनएचएम कार्यालय को भेजा गया था लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने में सीएचओ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के संचालन का कार्य भी इन्हीं के जिम्मे हैं। स्वस्थ नारी सशक्त परिवार कार्यक्रम में यू-विन पोर्टल पर सभी आंकड़े अपडेट करने का कार्य सीएचओ कर रहे हैँ।
सीएचओ का कहना है कि लगातार जिम्मेदारियां निभाने के बावजूद समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। दूरस्थ इलाकों में होने के कारण आरोग्य मंदिर पहुंचने के लिए पगडंडी पर चलकर जाना पड़ता है। बारिश के दिनों में ड्यूटी पर पहुंचना चुनौती बन जाता है लेकिन एनएचएम के अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
सीएचओ यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह का कहना है कि पूर्ण कर्मचारियों का दर्जा देने की मांग लगातार की जा रही है। समय-समय पर अधिकारियों को इसको लेकर सूचित भी किया गया। जन सूचना के अधिकार के तहत जानकारी भी मांगी गई। अब नियमितीकरण को लेकर बड़ा आंदोलन करने की तैयारी है।
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