यूपी के गांवों में भी मल-कीचड़ ट्रीटमेंट के लिए लगेंगे 150 प्लांट, किसानों को मिलेगा फायदा
लखनऊ में स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 150 मल-कीचड़ प्रबंधन इकाई स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। प्रत्येक जिले में दो प्लांट लगेंगे जिससे 10-15 किमी के दायरे में स्थित गांवों को लाभ होगा। सरकार ने इस योजना के लिए 1303 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। ट्रीटमेंट से निकलने वाले पानी और खाद का उपयोग सिंचाई और खेती में किया जाएगा।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। शहरी क्षेत्रों में स्थापित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की तरह अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी मल व गीले कचरे के निस्तारण के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे। स्वच्छ भारत मिशन के तहत राज्य में इस साल 150 मल-कीचड़ प्रबंधन इकाई (फीकल स्लज मैनेजमेंट यूनिट) की स्थापना करने का निर्णय लिया गया है। सभी 75 जिलों में दो-दो प्लांट स्थापित किए जाएंगे।
प्रत्येक प्लांट की स्थापना के लिए न्यूनतम एक एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी। इस योजना से गांव और स्वच्छ होंगे।
प्लांटों को लगाने के लिए जमीन चिह्नित किए जा रहे हैं। निर्माण के लिए कार्यदायी एजेंसियों का चयन भी जल्द किए जाने की तैयारी है। स्थापना हो जाने पर प्रत्येक प्लांट के आसपास के 10 से 15 किलोमीटर के दायरे में स्थित गांवों के शौचालयों के टैंक में जमा मल और अन्य गीले कचरे का ट्रीटमेंट होने लगेगा।
ट्रीटमेंट से निकलने वाले पानी को सिंचाई के काम में तथा मल से तैयार खाद का उपयोग खेती में किया जा सकेगा। स्वच्छ भारत मिशन के तहत इस योजना के लिए भारत सरकार ने 1303 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। प्रत्येक प्लांट की क्षमता 20 किलोलीटर प्रतिदिन की होगी।
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक प्लांटों की स्थापना के लिए विस्तृत कार्ययोजना (डीपीआर) जल्द तैयार की जाएगी। गांवों में बने सेफ्टी टैंकों से मल को प्लांट तक लाने के लिए सीवेज वाहन रखे जाएंगे। प्रत्येक प्लांट से 10 से 15 लोग प्रत्यक्ष रूप से रोजगार से जुड़ेंगे।
प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के तहत अमरोहा और हापुड़ में दो प्लांटों का निर्माण कार्य पूरा किया गया है। इन प्लांटों को चालू करने के लिए बिजली कनेक्शन लेने की प्रक्रिया चल रही है। प्लांटों का उद्घाटन जल्द ही विभागीय मंत्री ओम प्रकाश राजभर करेंगे।
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