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    यूपी में फर्जी पैनकार्ड से खरीदी गई 1000 करोड़ रुपये की जमीन, बड़े पैमाने पर कालेधन को खपाने का प्रयास

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 05:31 AM (IST)

    लखनऊ में भारत-नेपाल सीमा के पास पीलीभीत और लखीमपुर खीरी में फर्जी पैन से लगभग 1000 करोड़ की जमीन की खरीद-बिक्री का मामला सामने आया है। आयकर विभाग की जांच में 240 से अधिक रजिस्ट्री दस्तावेजों में पैन गलत पाए गए हैं। काले धन के इस्तेमाल की आशंका में संबंधित व्यक्तियों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं।

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    यूपी में फर्जी पैनकार्ड से खरीदी गई 1000 करोड़ रुपये की जमीन। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। भारत-नेपाल सीमा से लगे पीलीभीत व लखीमपुर खीरी जिले में फर्जी पैन के जरिए लगभग एक हजार करोड़ रुपये की जमीन की खरीद-फरोख्त का मामला सामने आया है।

    आयकर विभाग की जांच में अब तक 240 रजिस्ट्री दस्तावेज ऐसे मिले हैं जिसके पैन गलत पाए गए हैं। ऐसे में जमीन की खरीद-फरोख्त में कालेधन के इस्तेमाल की आशंका जताते हुए विभाग संबंधित व्यक्तियों को नोटिस जारी करने जा रहा है।

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    सूत्रों के अनुसार आयकर विभाग की चार टीमों ने इसी माह दोनों जिलों के उपनिबंधन कार्यालयों से 400 से ज्यादा रजिस्ट्री दस्तावेज अपने कब्जे में लेकर उनकी जांच-पड़ताल की। रजिस्ट्री दस्तावेजों की पड़ताल में फर्जी पैन के माध्यम से बड़े पैमाने पर कालेधन को खपाने का मामला सामने आया है।

    ज्यादातर फर्जी पैन

    लखीमपुर खीरी के मोहम्मदी क्षेत्र के उपनिबंधन कार्यालय से बरामद दस्तावेजों की जांच में सामने आया है कि करीब 50 से ज्यादा भूखंडों की रजिस्ट्री की सूचना ही आयकर विभाग को नहीं दी गई। इनमें से ज्यादातर में फर्जी पैन पाए गए हैं।

    इसी तरह पीलीभीत में भी लगभग 190 भूखंडों की खरीद में फर्जी पैन का इस्तेमाल पाया गया है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक रजिस्ट्री दस्तावेजों की अब तक की गई पड़ताल में ही पीलीभीत में करीब 350 करोड़ रुपये और लखीमपुर खीरी में तकरीबन 300 करोड़ रुपये के भूखंडों में फर्जी पैन पाए गए हैं।

    इनमें पीलीभीत टाइगर रिजर्व के पास स्थित एक रिजार्ट की भूमि भी शामिल है। इसकी भी जांच की जा रही है। अब तक की जांच के आधार पर अधिकारियों का अनुमान है कि एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की जमीन की रजिस्ट्री फर्जी पैन से की गई है।

    क्या कहते हैं नियम

    नियमानुसार 30 लाख रुपये से ज्यादा के भूखंड की रजिस्ट्री होने पर उसकी सूचना आयकर विभाग को देनी जरूरी होती है, जबकि 10 लाख रुपये से ऊपर के भूखंडों की रजिस्ट्री पैन अंकित करने के बाद ही की जा सकती है।

    इसके बावजूद आयकर विभाग को जानकारी न दिए जाने से उपनिबंधन कार्यालय के कार्मिकों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। आयकर विभाग संबंधित निबंधन कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जल्द ही राज्य सरकार को पत्र लिखेगा। आयकर विभाग धारा 133ए के तहत यह कार्रवाई कर रहा है।