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Lucknow Nagar Nigam Update: 44 करोड़ की फाइलों पर मुहर का ग्रहण, लिखापढ़ी में चालू नहीं तो किसी की वित्तीय मंजूरी लटकी

Lucknow Nagar Nigam Update शासन ने वित्तीय प्रबंधन की सीख देकर नगर निगम की मंशा पर पानी फेरा। नगर विकास विभाग ने जवाब दिया वित्तीय वर्ष की क्लोजिंग तिथि बढ़ाने का नियम नहीं।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 10:33 AM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 10:33 AM (IST)
Lucknow Nagar Nigam Update: 44 करोड़ की फाइलों पर मुहर का ग्रहण, लिखापढ़ी में चालू नहीं तो किसी की वित्तीय मंजूरी लटकी
Lucknow Nagar Nigam Update: 44 करोड़ की फाइलों पर मुहर का ग्रहण, लिखापढ़ी में चालू नहीं तो किसी की वित्तीय मंजूरी लटकी

लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। Lucknow Nagar Nigam Update: शासन के आदेश ने नगर निगम की मंशा पर पानी फेर दिया है। 44 करोड़ रुपये की निर्माण से जुड़ी पत्रावलियों पर अब नगर निगम बजट सीट नहीं लगा पाएगा। नगर निगम में करीब 44 करोड़ रुपये के ऐसे कार्यों को मंजूरी दिए जाने की तैयारी थी, जो या तो लिखापढ़ी में चालू नहीं हो पाए या उन्हें वित्तीय मंजूरी नहीं मिली थी। इन कार्यों को नगर निगम की दायित्व सूची में रखने का दबाव था, लेकिन निगम का वित्त विभाग इससे सहमत नहीं था। इसे लेकर ही 26 जून को कार्यकारिणी समिति की बैठक में भी तनातनी हुई थी। यह सारे कार्य सड़क से लेकर नालियों के निर्माण से जुड़े हैं।

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दरअसल महापौर संयुक्ता भाटिया ने वित्त वर्ष की क्लोजिंग तिथि तीस जून तक बढ़ाने की मांग के साथ शासन को 17 मई को पत्र भेजा था। नगर विकास विभाग अनुभाग-7 की तरफ से उप सचिव कल्याण बनर्जी ने महापौर को पत्र भेजा है। पत्र में कहा गया है कि शासन ने आपको यह बताने को कहा है कि वित्तीय वर्ष की क्लोजिंग तिथि बढ़ाए जाने का कोई नियम नहीं है। वित्तीय वर्ष का निर्धारण केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से पूरे देश में किया जाता है। वित्तीय वर्ष 2019-20 की समाप्ति 31 मार्च को हो चुकी है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के विकास कार्यों की कमिटमेंट सील और बिल लगवाने के लिए क्लोजिंग तिथि को तीस जून तक बढ़ाए जाने का कोई नियम नहीं है। अब वित्तीय वर्ष 2020-21 में पारित बजट में प्रविधानित राशियों के अनुसार कमिटमेंट सील और बिल लगाने जैसी ही वित्तीय गतिविधियां ही की जाएं।

128 करोड़ के दायित्व (पिछले वित्तीय वर्ष के)

  • 44 करोड़ के काम ऐसे हैं, जो पूरे हो गए हैं और पूर्व में मंजूरी मिल चुकी थी, लेकिन बिल नहीं लगाए गए थे
  • 40 करोड़ के कार्य ऐसे हैं, जो चल रहे हैं और पूर्व में मंजूरी मिल चुकी थी।
  • 44 करोड़ के काम ऐसे हैं, जिनकी मंजूरी नहीं मिली थी और ना ही टेंडर हुए थे। (इन्हीं कार्यों को ही दायित्व सूची में शामिल करने का दबाव है)
  • नगर निगम ने चालू वित्तीय वर्ष में दायित्व मद में 70 करोड़ का ही प्रविधान किया है। ऐसे में 128 करोड़ के कार्यों को दायित्व सूची में शामिल करने का मामला फंस गया है।

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