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    गड्ढे भरे गए और न ही स्ट्रीट लाइटें लगीं, नाराज महापौर ने स्थगित कर दी लखनऊ नगर निगम की बैठक

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 11:48 AM (IST)

    लखनऊ नगर निगम की कार्यकारिणी समिति की बैठक में महापौर सुषमा खर्कवाल ने निर्णयों पर अमल न होने पर नाराजगी जताई। स्ट्रीट लाइटें न लगने और सड़कों पर गड्ढे होने पर उन्होंने अधिकारियों को आड़े हाथों लिया। पार्षदों ने भी आरोप लगाए, जिससे माहौल गरमा गया। अधिकारों को लेकर महापौर और नगर आयुक्त के बीच बहस हुई। अंततः बैठक स्थगित कर दी गई।

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    जागरण संवाददाता, लखनऊ। नगर निगम में चल रहे तनातनी भरे माहौल का असर शुक्रवार को कार्यकारिणी समिति की बैठक में दिखाई दिया। नगर निगम के नीतिगत मामलों पर मुहर लगाने वाली कार्यकारिणी समिति के निर्णयों पर अमल न होने पर महापौर सुषमा खर्कवाल की नाराजगी दिखाई दी।

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    कहा कि नगर निगम के अधिकारी काम नहीं करना चाहते हैं। दो घंटे चली बैठक में महापौर के सवालों पर नगर आयुक्त की भी प्रतिक्रिया दिखाई दी। अधिकारों का मामला उठने पर नगर आयुक्त ने उस नियमों को गिना दिया, जिसमे सिर्फ उन्हें ही अधिकार मिले हैं।

    शुक्रवार को करीब दो घंटे महापौर की अध्यक्षता और नगर आयुक्त गौरव कुमार की मौजूदगी में हुई नगर निगम कार्यकारिणी समिति को स्थगित कर तीस अक्टूबर को बुलाया गया है, जिसमें अधिकारियों को तैयारियों से आने को कहा गया है।

    कार्यकारिणी समिति की बीती 22 और 23 अगस्त को हुई बैठक के निर्णयों (संकल्प) की पुष्टि का समय शुक्रवार की बैठक में आया तो पता चला कि अभी किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस पर महापौर नाराज हो गईं। कहा कि निर्णय होने के बाद भी शत प्रतिशत स्ट्रीट लाइटों को नहीं लगाया गया।

    दशहरे तक 25 और दीपावली तक 25 लाइटें लगाई जानी थी, लेकिन शत प्रतिशत काम न होने से कई सड़कों पर शाम बाद अंधेरा रहता है। महापौर ने कहा कि यह शर्मनाक स्थिति है कि पद्म विभूषण अमृत लाल नागर के नाम से चौक चौराहे का नामकरण होने का निर्णय लिया गया था, लेकिन आज तक वहां उनके नाम की कोई पट्टिका तक नहीं लगाई गई है। इसी तरह से मार्ग प्रकाश के कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी देने के निर्णय पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।

    पैचवर्क न होने पर दिखी नाराजगी

    महापौर ने कहा कि कार्यकारिणी समिति ने निर्णय लिया था कि वार्ड विकास निधि से पांच-पांच लाख की राशि और आवश्यकता अनुसार महापौर की निधि का उपयोग करने को कहा था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, जिस कारण शहर की तमाम सड़कों पर आज भी गड्ढा है, जबकि मुख्यमंत्री ने दीपावली से पूर्व गड्ढों को भरे जाने का आदेश दिया था। इस पर मुख्य अभियंता सिविल महेश चंद्र वर्मा ने कहा कि करीब ढ़ाई अरब की रकम की व्यवस्था होने पर ही सभी गड्ढों को भरा जाना संभव होगा।

    भाजपा पार्षद ने भी जड़े आरोप

    भाजपा पार्षद केएन सिंह ने आरोप जड़ा कि पंद्रहवे वित्त आयोग और आवस्थापना निधि से कोई काम नहीं दिया गया है, उनके निशाने पर महापौर ही रहीं। इस कारण बैठक का माहौल थोड़ा गरमा गया।

    नगर आयुक्त ने कहा, नियमों को देख लेना चाहिए

    बैठक के दौरान महापौर ने कहा कि कार्यकारिणी समिति और अध्यक्ष (महापौर) के क्या अधिकार है? इस पर नगर आयुक्त ने कहा कि पब्लिक डोमेन में सब पड़ा है और सभी को उसे देख लेना चाहिए, किसके कौन से अधिकार हैं।

    वकील की तैनाती पर विवाद

    नगर निगम के पैनल में शामिल वकील नमित शर्मा का भी मुद्दा उठा। महापौर ने कहा कि कार्यकारिणी समिति ने निर्णय लिया था कि नमित शर्मा को हटाकर शैलेंद्र सिंह चौहान को तैनात किया जाए, जिस पर कोई पालन नहीं किया गया। महापौर ने पूछा कि जब पैनल फीस 5400 है तो नमित को हर केस में अलग से फीस क्यों दी गई।