Maulana Wali Rahmani Passed Away: लखनऊ के मौलानाओं में शोक की लहर, बोले- तालीम के पैरोकार थे वली रहमानी
Maulana Wali Rahmani Passed Away ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी के निधन पर मौलानाओं ने जताया दुख। मौलाना वली रहमानी 1974 से 1996 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य के रूप में भी कार्य किया है।
लखनऊ, जेएनएन। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना मोहम्मद वली रहमानी का शनिवार की दोपहर निधन हो गया। कोरोना वायरस की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद से इनका पटना में इलाज चल रहा था। 78 वर्षीय रहमानी के निधन की पर लखनऊ के मौलानाओं और बोर्ड के अध्यक्ष सहित सदस्यों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। एक सप्ताह से बीमार चल रहे मौलाना मुस्लिम समाज में तालीम के पैरोकार थे।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी ने भी शोक व्यक्त किया है। उनका मानना था कि शिक्षा बहुत जरूरी है, इसलिए कि शिक्षा के माध्यम से ही इंसान, इंसान बनता है और एक अच्छा मुसलमान बनने के लिए सभी इंसानों के प्रति दिल में प्रेम होना जरूरी है। बोर्ड के कार्य को बड़ी शालीनता से निपटाने में सदैव आगे रहते थे। उनके इंतकाल से बोर्ड के साथ ही कौम को भी नुकसान हुआ है। इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने बताया कि वह रहमानी 30 के संस्थापक भी थे, जो एक ऐसा मंच है, जो छात्रों को आधुनिक शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में उच्च शिक्षा और राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करता है। इस संस्थान से हर साल 100 से अधिक छात्रों का चयन किया जाता है। वह अपने सार्वजनिक भाषण, अपने व्यक्तित्व में साहस और राष्ट्रीय मुद्दों और शिक्षा के क्षेत्र में अहम राय देने के लिए जाने जाते हैं।
ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने भी मौलाना के निधन पर अफसोस जाहिर किया है। उनका कहना है कि शिक्षा को लेकर उनकी पैरोकारी सदैव याद रखी जाएगी। मौलाना वली रहमानी के पिता मिन्नतुल्लाह रहमानी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के संस्थापक महासचिव रहे। उनके दादा मौलाना मुहम्मद अली मुंगेरी प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षण संस्थान नदवतुल उलमा लखनऊ के संस्थापक रहे।
मौलाना सैयद मुहम्मद वली रहमानी भारतीय इस्लाम के विद्वान और शिक्षक थे। उन्होंने 1974 से 1996 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य के रूप में कार्य किया। वह अपने पिता हजरत मौलाना मिन्नतुल्लाह रहमानी की मृत्यु के बाद से रहमानी खानकाह के वर्तमान सज्जादा नशीन और जामिया रहमानी मुंगेर के संरक्षक थे।
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