Fake Registry Case: पैन ही नहीं फर्जी आधार से भी हो रही रजिस्ट्री, यूपी के इस जिले में बढ़ रहे फर्जीवाड़े के मामले
लखनऊ में रजिस्ट्री में फर्जीवाड़े के मामले बढ़ रहे हैं क्योंकि आधार सत्यापन की कोई व्यवस्था नहीं है। जालसाज आसानी से फर्जी आधार कार्ड और पहचान पत्र का इस्तेमाल करके जमीन हड़प रहे हैं। पैन कार्ड का सत्यापन अनिवार्य होने के बावजूद आधार को रजिस्ट्री से लिंक करने की योजना अभी तक लागू नहीं हो पाई है जिससे फर्जीवाड़े को रोकना मुश्किल हो रहा है।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। आयकर विभाग की जांच में लखीमपुर सहित नौ जिलों में गलत पैन नंबर से रजिस्ट्री कराने के मामले सामने आए हैं। रजिस्ट्री के दौरान पैन नंबर ही नहीं फर्जी आधार कार्ड भी लगाए जा रहे हैं।
लखनऊ में ही फर्जी आधार कार्ड लगाकर गत एक वर्ष में रजिस्ट्री के दो दर्जन मामले सामने आ चुके हैं। चूंकि निबंधन विभाग के पास आधार के सत्यापन की अब तक कोई प्रक्रिया नहीं है इसलिए जालसाज आसानी से दूसरे को खड़ा करके किसी की भी जमीन हड़प रहे हैं।
एक महीने पहले शासन ने पैन कार्ड के सत्यापन की प्रक्रिया तो अनिवार्य कर दी है लेकिन आधार के लिए अभी कोई व्यवस्था नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि जब तक आधार को रजिस्ट्री से लिंक नहीं किया जाएगा तब तक फर्जीवाड़े को रोकना संभव नहीं है।
किस तरह फर्जी पहचान पत्र लगाकर रजिस्ट्री हो रही हैं उसका एक उदहारण देखिए। वाराणसी जेल में बंद शाइन सिटी के निदेशक अमिताभ श्रीवास्तव ने लखनऊ निबंधन कार्यालय आकर रजिस्ट्री कर दी।
पुलिस की जांच में सामने आया कि उस दिन अमिताभ वाराणसी जेल से लखनऊ आया ही नहीं था। किसी दूसरे व्यक्ति ने उसकी जगह रजिस्ट्री की थी। एक नहीं इस तरह के दर्जनों मामले पकड़े गए, जिनमें फर्जी पहचान पत्रों और अफसरों की मिलीभगत से रजिस्ट्रियां कर दी गईं।
ऐसे ही मामलों को देखते हुए शासन ने निर्णय लिया था कि रजिस्ट्री को आधार से लिंक किया जाएगा ताकि फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाया जा सके। तीन वर्ष बाद भी अब तक रजिस्ट्री को आधार से लिंक नहीं किया जा सका है।
हालांकि, एक माह पूर्व शासन ने रजिस्ट्री में पैन नंबर के सत्यापन को तो अनिवार्य कर दिया लेकिन आधार का अब तक नहीं हो पाया है। मई 2022 में शासन ने आधार से रजिस्ट्री को लिंक करने के लिए कहा था, दावा था कि आधार से लिंक होने के बाद रजिस्ट्री में फर्जीवाड़े पर अंकुश लगेगा। लेकिन अब तक निबंधन विभाग की योजना फाइलों में है।
पूर्व डीआईजी स्टांप ओपी सिंह का कहना है कि क्रेता-विक्रेता और गवाहों द्वारा उपलब्ध कराए गए अभिलेखों के आधार पर ही रजिस्ट्री की जाती है। चूंकि आधार लिंक नहीं है इसलिए सब रजिस्ट्रार के पास सत्यापन की दूसरी प्रक्रिया नहीं है।
उनका कहना है कि वैसे भी एक्ट में सब रजिस्ट्रार के पास केवल स्टांप की सही गणना करने की ही जिम्मेदारी है। एआइजी स्टांप रमेश कुमार का कहना है कि आधार से लिंक करने की प्रक्रिया चल रही है। सर्वर और साफ्टवेयर पर काम हो रहा है। जल्द ही आधार से लिंक किया जाएगा।
फर्जी आधार लगाकर बेची गई जमीनें
- मोहनलालगंज में रविवार को गिरफ्तार शारदा तिवारी ने 1980 और 1990 में मृत हो चुके बैजनाथ और लालता के नाम से फर्जी बैनामा करा लिया था। असली मालिक अजय ने जब दीपाली मिश्र को जमीन बेची और दाखिल खारिज के लिए आवेदन किया तो फर्जीवाड़े का पता चला।
- अप्रैल 2025 पूर्व एसडीएम मनोज कुमार की पत्नी योगिता देवी की जमीन फर्जी तरीके से रजिस्ट्री कर दी गई। रजिस्ट्रीं की बात योगिता को तब पता चली जब उनके केयर टेकर ने फोन कर कुछ लोगों द्वारा जमीन पर बाउंड्रीवाल बनाते देखा।
- अप्रैल 2025 आइटीआइ के पूर्व अधिकारी चंद्र किशोर पांडेय की जमीन भी जालसाजी कर बेची दी गई, जिस दिन चंद्र किशोर की जमीन बेची गई उस दिन वह नोएडा में अपने बेटे के पास थे। भतीजे ने उनको फोन कर जमीन बेचे जाने की जानकारी दी।
- दिसंबर 2024 में मोहरी कला के रामनरेश की जमीन फर्जी महिला को वारिस बनाकर बेची गई।
- नवंबर 2024 में पीजीआइ थाना क्षेत्र के तेलीबाग निवासी विमला सिंह के मृत पति की जगह किसी जालसाज को खड़ा करके जमीन बेच दी गई।
- अगस्त 2023 में खरगापुर के नेपाल सिंह की जमीन फर्जी व्यक्ति को खड़ा कर बेची गई।
- अगस्त 2023 में मानसनगर निवासी निर्मल किशोर की जमीन को फर्जी व्यक्ति खड़ा कर बेच दी गई।
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