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    यूपी का पहला एक्सप्रेसवे... जहां मिलेगा ट्रामा सेंटर, लखनऊ-कानपुर रूट पर नई सुविधा

    Updated: Sat, 19 Jul 2025 11:58 PM (IST)

    Lucknow Kanpur Expressway | लखनऊ और कानपुर के बीच उत्तर प्रदेश का पहला एक्सप्रेसवे बनेगा जिसमें दस बेड का ट्रामा सेंटर होगा। एक्सप्रेसवे के दोनों ओर छह हेक्टेयर भूमि पर वे-साइड एमेनिटीज भी होंगी। प्रतिदिन 40 हजार वाहन गुजर सकेंगे। सड़क निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान रखा गया है। एक्सप्रेसवे का रखरखाव 15 साल तक कार्यदायी संस्था करेगी। यह NHAI का एक ड्रीम प्रोजेक्ट है।

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    लखनऊ-कानपुर यूपी का पहला एक्सप्रेस वे बना जहां होगा ट्रामा सेंटर।

    अंशू दीक्षित, लखनऊ। उत्तर प्रदेश का पहला एक्सप्रेस वे लखनऊ से कानपुर के बीच होगा, जहां दस बेड वाले ट्रामा सेंटर की सुविधा मिलेगी। अभी तक किसी भी एक्सप्रेस वे पर यह सुविधा नहीं है।

    यही नहीं एक्सप्रेस वे के दाएं व बाएं ओर छह-छह हेक्टेअर जमीन पर वे-साइड एमेनिटीज जैसे चिकित्सकीय सुविधा, फूड प्लाजा, पेट्रोप पंप, इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग प्वाइंट, सामुदायिक शौचालय, गेम जोन जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी। यह सभी सहूलियतें यात्रियों को इसी छह हेक्टेअर में उपलब्ध कराई जाएंगी।

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    भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने इसके लिए जमीन चिह्नित कर दी है और कार्यदायी संस्थाएं जो एनएचएआइ के अधीन रहकर इसका संचालन एक्सप्रेस वे चलने के दौरान शुरू कर सकती हैं।

    खासबात होगी कि लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस वे को भविष्य की जरूरत के हिसाब से कभी भी छह से आठ लेन किया जा सकेगा। फिलहाल छह लेन के हिसाब से अगले पचास साल तक एनएचएआइ को बोलना नहीं पड़ेगा, सिर्फ एक्सप्रेस वे का रखरखाव समय-समय पर कराना होगा।

    एनएचएआई के ड्रीम प्रोजेक्टों में शामिल लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस वे बाएं तरफ स्थित जरगांव (किमी. 51.600) और दाएं तरफ स्थित शिवपुर ग्रांट (किमी. 60.300) में वे-साइड एमेनिटीज लोगों को मिलेंगी। प्रतिदिन 40 हजार वाहन एक्सप्रेस वे पर चल सकेंगे।

    इस एक्सप्रेस वे पर चलने वाले प्रत्येक वाहनों पर नजर रखने के लिए पचास से अधिक ट्रैफिक मानीटरिंग कैमरा सिस्टम (टीएमसीएस) लगेंगे। उद्देश्य होगा कि यात्री की यात्रा सुरक्षित रहे। सीट बेल्ट, वाहनों की गति पर नजर रखने के लिए कंट्रोल रूम भी उसी छह एकड़ वाले परिसर में बनेगा। पुलिस चौकी स्थायी रूप से ट्रामा सेंटर के पास ही बनाई जाएगी और पेट्रोलिंग के लिए सुरक्षा कर्मी लगाए जाएंगेे। जो पूरे एक्सप्रेस वे पर राउंड द क्लाक काम करेंगे।

    सड़क का निर्माण मशीन कंट्रोल गाइडेंस सिस्टम से किया गया

    एनएचएआइ के अधिकारी कहते हैं कि एक्सप्रेस वे के निर्माण में गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा गया है। क्योंकि भारी वाहन मानक के हिसाब से लोडिंग नहीं करते। इससे सड़कों की लाइफ प्रभावित होती है। फिर भी लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस वे को बनाने के दौरान मशीन कंट्रोल गाइडेंस सिस्टम (टीएमसीएस) की मदद ली गई है।

    इस प्रकिया के तहत पहले रोड को पूरी तरह से समतल करके बराबर किया गया है। इस प्रयास से भारी वाहनों के संचालन से एक्सप्रेस वे की सड़क बैठेगी नहीं। प्रतिदिन चालीस हजार वाहनों का लोड एक्सप्रेस वे सह सके, कुछ इस तरह डिजाइन किया गया है। बरसात में पानी का भराव न हो, उसके लिए निकासी की व्यवस्था भी की गई है।

    पंद्रह साल तक कार्यदायी संस्था करेगी रखरखाव

    लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस वे को बनाने वाली कार्यदायी संस्था पीएनसी के कंधों पर ही इस एक्सप्रेस वे के रखरखाव की जिम्मेदारी होगी, जो पंद्रह साल तक मुफ्त में करना होगा। कही भी सड़क से जुड़ी कोई समस्या आती है तो पीएनसी के कर्मियों को उसे ठीक करना होगा। इसका कार्यालय भी अस्थायी रूप से ट्रामा सेंटर के आसपास रखा जाएगा।

    यूपी का पहला एक्सप्रेस वे लखनऊ-कानपुर होगा जहां दस बेड वाला ट्रामा सेंटर बनेगा। इसके अलावा छह-छह हेक्टेअर में वे-साइड एमेनिटीज की सुविधा भी होगी। चालीस हजार वाहन प्रतिदिन चल सकेंगे। एक्सप्रेस वे गुणवत्ता बेहतरीन है। एक्सप्रेस वे बनाने वाली कंपनी पंद्रह साल तक रखरखाव करेगी।

    कर्नल शरद चंद्र सिंह, परियोजना निदेशक, एनएचएआइ, लखनऊ।