वाहनों के VIP नंबर को लेकर शुरू होगी नई व्यवस्था, परिवहन विभाग के अधिकारी ने बता दी अंदर की बात
वीआईपी नंबर चाहने वालों के लिए अच्छी खबर है। ऑनलाइन बोली में असफल होने पर अब उन्हें रिफंड के लिए इंतजार नहीं करना होगा। नई व्यवस्था में ई-नीलामी खत्म होते ही पैसा सीधे खाते में वापस आ जाएगा। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने इसके लिए अकाउंट बनाया है। परिवहन विभाग के अनुसार यह सुविधा जल्द ही शुरू होगी जिससे आवेदकों को तुरंत रिफंड मिल सकेगा।

धर्मेश अवस्थी, लखनऊ। मनचाहा या वीआइपी नंबर पाने के इच्छुक वाहन स्वामी आनलाइन बोली में असफल होंगे तो उन्हें अपना धन वापस मिलने की राह नहीं देखनी होगी। नई व्यवस्था में ई-आक्शन खत्म होते ही असफल आवेदकों के खाते में तत्काल धन रिफंड होगा। स्टेट बैंक आफ इंडिया ने इसके लिए अकाउंट तैयार किया है।
परिवहन विभाग के अधिकारी का दावा है कि एक सप्ताह में नई व्यवस्था शुरू हो जाएगी। दैनिक जागरण ने 23 सितंबर को मनचाहे व वीआइपी नंबर के 4000 वाहन स्वामियों अब मिलेगा रिफंड शीर्षक से खबर प्रकाशित किया था। जिनका धन फंसा है उन्हें वापस करने की प्रक्रिया शुरू हुई है साथ ही नये आवेदकों के लिए व्यवस्था बनाई गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक आफ इंडिया की ओर से 27 मई 2024 को जारी गाइडलाइन में कहा गया वाहन नंबर पाने की धनराशि एआरटीओ दफ्तर के अलग खाते में क्यों रखी जा रही, यह सरकार का धन है, इसे आरबीआइ के कोर बैंकिंग प्लेटफार्म ई-कुबेर में जमा कराएं।
15 जुलाई 2024 से यह कार्य शुरू हो गया, धनराशि कोषागार में जाने से उन वाहन स्वामियों का रिफंड फंस गया, जिनको आनलाइन बोली में नंबर नहीं मिला था। चार हजार आवेदकों का 3.23 करोड़ रुपये फंसा है।
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने आरबीआइ को पत्र भेजकर स्पष्ट किया, एआरटीओ कार्यालय के खाते का धन जनता का है, नंबर पाने के असफल आवेदकों को यह धन वापस किया जाता है। वहां निर्देश मिला ऐसी व्यवस्था की जाए जिसमें नंबर न मिलने पर स्वत: धन रिफंड हो जाए।
ई-कुबेर प्रणाली के तहत स्टेट बैंक आफ इंडिया ने अकाउंट तैयार किया है, इसमें आनलाइन बोली में असफल आवेदकों के बैंक खाते में तय समय के बाद स्वत: पंजीकरण धनराशि वापस होगी।
एआरटीओ प्रशासन प्रदीप कुमार सिंह ने बताया, परिवहन विभाग वाहन स्वामियों को नए नंबर की सीरीज शुरू होने की सूचना देता है और मनचाहा या 450 वीआइपी नंबर पाने के लिए विभाग के पोर्टल पर आनलाइन आवेदन होता है।
पहले चार दिन तक पंजीकरण और तीन दिन बोली लगती है और दूसरे चरण में सात दिन तक ई-आक्शन चलता है। पंजीकरण के 21 दिन बाद आनलाइन अधिक बोली लगाने वाले को नंबर आवंटित होता है, जबकि नंबर न पाने वालों को धनराशि वापस मिलती है।
अपर परिवहन आयुक्त आइटी सुनीता वर्मा ने बताया, पहले वीआइपी नंबर पाने में असफल आवेदकों को धन लौटाने की प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती थी। नई व्यवस्था में आनलाइन बोली खत्म होने पर असफल वाहन स्वामियों के बैंक खाते में स्वत: पंजीकरण धनराशि पहुंच जाएगी। नेशनल इनफार्मेटिक्स सेंटर यानी एनआइसी से नया अकाउंट हैदराबाद भेजा गया है। यह व्यवस्था एक सप्ताह में शुरू होने की उम्मीद है।
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