जातीय रैलियों पर रोक मामले में राज्य सरकार का हाई कोर्ट में जवाब दाखिल, 17 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
लखनऊ खंडपीठ में जातीय रैलियों पर रोक के मामले में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब दाखिल किया है। सरकार ने कहा है कि जातीय रैलियों को रोकने और आपराधिक मामलों में जाति का उल्लेख न करने के आदेश जारी किए गए हैं। पुलिस महानिदेशक ने भी सर्कुलर जारी किया है। अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी। याचिकाकर्ता का तर्क है कि ऐसी रैलियां सामाजिक एकता को नुकसान पहुंचाती हैं।
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जागरण संवाददाता, लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंड पीठ में जातीय रैलियों पर रोक के मामले में राज्य सरकार ने जवाब दाखिल कर दिया है। राज्य सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा है कि जातीय रैलियों को रोकने समेत आपराधिक मामलों में लोगों की जाति न लिखे जाने का आदेश जारी किया गया है ।
इसी के क्रम में पुलिस महानिदेशक ने भी सर्कुलर जारी कर दिया है। कोर्ट ने सरकार के जवाब पर याची को प्रतिउत्तर दाखिल करने का समय देकर मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को नियत की है ।
जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस राजीव भारती की पीठ ने यह आदेश मोतीलाल यादव की जनहित याचिका पर दिया। पहले, इस मामले में कोर्ट ने पक्षकारों केंद्र व राज्य सरकार समेत केंद्रीय निर्वाचन आयोग एवं चार राजनीतिक दलों कांग्रेस, भाजपा, सपा और बसपा से जवाब मांगा था।
दरअसल, 11 जुलाई 2013 को कोर्ट ने एक अहम आदेश में पूरे उत्तर प्रदेश में जातियों के आधार पर की जा रही राजनीतिक दलों की रैलियों पर तत्काल रोक लगा दी थी। साथ ही इन पक्षकारों को नोटिस जारी की थी।
याची का तर्क था कि इससे सामाजिक एकता और समरसता को जहां नुकसान हो रहा है वहीं, ऐसी जातीय रैलियां तथा सम्मेलन समाज में लोगों के बीच जहर घोलने का काम कर रहे हैं, जो संविधान की मंशा के खिलाफ है।

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