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    पांच दिन तक रखा डिजिटल अरेस्ट, फिर कैसे बैंककर्मी ने 2 करोड़ रुपये की ठगी होने से महिला को बचा लिया? 

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 08:25 PM (IST)

    लखनऊ के विकासनगर में एक 75 वर्षीय महिला को साइबर जालसाजों ने डिजिटल अरेस्ट कर दो करोड़ रुपये ठगने की कोशिश की। बैंककर्मियों की सतर्कता से महिला की 13 ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, लखनऊ। विकासनगर के मामा चौराहे पर डरी सहमी 75 वर्षीय महिला एक साथ 13 एफडी तुडवाकर डेढ़ करोड़ रुपये निकालने पहुंची तो बैंककर्मी दंग रहे गए। पूछने का प्रयास किया तो डर के कारण कुछ नहीं बताया। तभी एक बैंककर्मी की नजर वीडियो काल पर पड़ी तो उन्होंने जानने का प्रयास किया।

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    तत्काल वह बाहर की तरफ भागी। पीछे से बैंककर्मी पहुंचे और बाते सुनी तो पूरी जानकारी। तत्काल पुलिस को सूचना दी गई, तब पता चला कि वृद्धा पांच दिन से डिजिटल अरेस्ट हैं। ऐसे में बैंककर्मी और पुलिस की सतर्कता से वृद्धा के दो करोड़ रुपये बचा लिए गए। इसमें डेढ़ करोड़ रुपये 13 एफडी और 50 लाख रुपये खाते के थे।

    बैंक अधिकारियों के मुताबिक साइबर जालसाजों ने महिला को फोन कर उसके परिवार को मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग से जोड़ते हुए डिजिटल अरेस्ट में होने का डर दिखाया। फिर पांच दिन डिजिटल अरेस्ट रखा। काल करने वाले ने खुद को सीबीआइ पुणे से जुड़ा अधिकारी बताया और कहा कि महिला के पति स्वर्गीय शिव कुमार शुक्ला के मोबाइल नंबर और आधार कार्ड का इस्तेमाल करीब 50 करोड़ रुपये की मनी लांड्रिंग में हुआ है, जिसका संबंध कश्मीर और दिल्ली की आतंकी घटनाओं से है।

    जालसाजों ने वाट्सएप वीडियो काल के जरिए वर्दीधारी अधिकारियों और दफ्तर का दृश्य दिखाकर महिला को पूरी तरह भयभीत कर दिया। डर के माहौल में महिला से आधार कार्ड, बैंक डिटेल समेत कई गोपनीय जानकारियां हासिल कर ली गईं। इसके बाद जालसाजों ने लगभग दो करोड़ रुपये की मांग करते हुए कहा कि रकम मिलते ही मामला रफा-दफा कर दिया जाएगा।

    महिला इतनी घबरा गई कि वह अपनी 13 एफडी, जिनकी कुल राशि करीब एक करोड़ दस लाख रुपये थी, लेकर पीएनबी मामा चौराहा शाखा पहुंच गई। जब महिला काउंटर पर पहुंची तो बैंक अधिकारी इंद्राणी ने अचानक इतनी बड़ी रकम निकालने का कारण पूछा, लेकिन महिला ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। इस पर शाखा प्रबंधक श्रवण कुमार राठौर को सूचना दी गई। उन्होंने महिला को अपने केबिन में बुलाकर समझाने की कोशिश की, लेकिन वह बेहद डरी हुई थी।

    संदेह होने पर शाखा प्रबंधक ने जानबूझकर जालसाजों द्वारा दिए गए खाते की जानकारी गलत बताई और महिला से दोबारा सही खाता संख्या मंगाने को कहा। महिला फोन पर बात करने के लिए बाहर गई तो उसके पीछे एक कर्मचारी को भेजा गया। बातचीत सुनते ही पूरा मामला साफ हो गया।

    इसके बाद महिला को समझाकर पूरी जानकारी ली गई और तत्काल पुलिस व उच्चाधिकारियों को सूचना दी गई। सूचना मिलते ही मंडल प्रमुख राज कुमार सिंह और मुख्य प्रबंधक राम बाबू मौके पर पहुंचे। महिला के अन्य खातों, जो आइसीआइसीआइ बैंक, सेंट्रल बैंक आफ इंडिया सहित अन्य बैंकों में थे, उन्हें भी फ्रीज कराया गया। पुलिस के समन्वय से एफडी का भुगतान रुकवाया गया और सभी खातों को सुरक्षित किया गया। उधर, मंडल प्रमुख राज कुमार सिंह ने बैंक स्टाफ की सूझबूझ की सराहना करते हुए उन्हें पुरस्कृत किया।

    अन्य खातों के करवाए गए 30 लाख रुपये

    इंस्पेक्टर विकासनगर आलोक सिंह ने बताया कि 11 से 15 दिसंबर के बीच डिजिटल अरेस्ट में रखकर मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे। उसके कई दस्तावेज साझा करवा चुके थे। अन्य खातों की जानकारी हासिल कर ली थी, जिसमें तीस लाख रुपये पड़े थे। उस खातों को ब्लाक करवाया गया। उस रकम को भी बचा लिया गया।