यूपी में कुत्तों ने घेरकर साइकिल सवार पर बुरी तरह किया हमला, लोगों ने नजारा देखा तो उड़ गए होश
लखनऊ में आवारा कुत्तों का आतंक जारी है जहाँ दशहरा के दिन एक बुजुर्ग व्यक्ति कुत्तों के हमले में घायल हो गया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कुछ निवासी इन कुत्तों को खाना खिलाते हैं जिससे वे और आक्रामक हो गए हैं। नगर निगम की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। दशहरा के दिन सुबह के समय साइकिल से जा रहे शीतल खेड़ा निवासी जब पास की रायबरेली एल्डिको उद्यान टू से गुजरे तो कुत्तों ने उन पर हमला बोल दिया। झुंड होने से वह घबरा गए और फिर कुत्तों ने उन्हें नोंच लिया।
गिरने से मुंह में ही चोट आने से खून बहने लगा। एक तरफ साइकिल पड़ी थी तो दूसरी तरफ वह नजर आ रहे थे। यह दृश्य देखकर कालोनी की महिलाएं तक बाहर आ गईं और कुत्तों को भगाया।
महिलाओं ने उन निवासियों पर भी जमकर नाराजगी जताई, जो आवारा कुत्तों को संरक्षण दे रहे हैं और घर के बाहर की खाना खिलाते हैं, जहां से लोगों का आना जाना होता है। दशहत के बीच रह रहे यहां के निवासियों को उन दो लोगों से नाराजगी है, जिन्होंने किसी सुरक्षा के ही आवारा कुत्तों को सड़क पर पाल रखा है।
कालोनी की महिलाओं ने इस घटना की जानकारी नगर निगम के पशु चिकित्सा कल्याण अधिकारी को दी और उन्होंने किसी अखिलेश नाम के कर्मचारी को भेजा। यह कर्मचारी टीम के साथ गया लेकिन सड़क पर घूम रहे कुत्तों को पकडऩे के बजाय यह कहकर चला गया कि कुत्तों को पकडऩा नियमों में नहीं है। अब हाल यह है कि कालोनी में आए दिन कुत्तों के हमलों से हो रही घटनाओं से दहशत का माहौल है।
कुत्तों के संघर्ष से रात की नींद उड़ जाती है
कालोनी के निवासियों का कहना है कि अलग-अलग दो लोगों ने आवारा कुत्तों को संरक्षण दे रखा है। इसमे एक ने नौ तो दूसरे ने बारह कुत्तों को पाल रखा है, वह सड़क ही खाना देते हैं। ऐसे में सड़क से निकलना मुश्किल हो जाता है। मीटर रीडिंग वाले भी नहीं आते थे। अगर एक तरफ से बच गए तो दूसरी तरफ वाले कुत्ते हमले बोल देते हैं। रात में कुत्तों के दोनों गुटों में संघर्ष होने से तेज आवाज के कारण लोग सो नहीं सकते हैं।
नगर निगम फीडर सेंटर की जगह तय नहीं कर पाया
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रदेश सरकार ने भी कुत्तों के लिए फीङ्क्षडग सेंटर जोन बनाने का आदेश दिया था लेकिन नगर निगम की लापरवाही से एक भी फीडिंग जोन बन नहीं पाए हैं नगर निगम को ऐसी जगहों की तालाश करनी थी, लेकिन जहां फीङ्क्षडग जोन बनाया जा सके लेकिन कई दिन बीतने के बाद जगह की तलाशना तो दूर नगर निगम की तरफ से कोई कार्ययोजना तक नहीं बनाई गई है। नगर निगम को इस कार्य के लिए रेजीडेंस वेलफेयर एसोसिएशन और दूसरे संगठनों का सहयोग भी लेना था।
यह किया जाना था
नगर निगम और नगर निकाय रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, अपार्टमेंट ओनर एसोसिएशन व स्थानीय निकाय के साथ मिलकर फीङ्क्षडग सेंटरों का स्थान तय करेंगे।
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा जारी की गई पशु जन्म नियंत्रण नियम-2023 के तहत जारी दिशा निर्देशों में सभी रेजीडेंस वेलफेयर एसोसिएशन, अपार्टमेंट ओनर एसोसिएशन गाइड लाइन की पैरा-20 का अनुपालन करने का निर्देश दिया गया।
इसमे स्थानीय नागरिकों, फीडर्स के सहयोग से फीङ्क्षडग स्पाट (कुत्तों को भोजन देने का स्थान) चयन करने के लिए कहा गया था। जहां बच्चों और बुजुर्गों का आना-जाना कम हो, जो कि प्रवेश और निकास द्वार के निकट न हो, निश्चित समय अनुसार श्वानों की फीङ्क्षडग कराई जाए।
कुत्तों की नसबंदी और एंटी-रेबीज वैक्सीनेशन में फीडर्स द्वारा नगर निगम का सहयोग किया जाए। सभी श्वान पालक सार्वजनिक स्थलों पर अपने पालतू कुत्तों को लीश (पट्टे) के साथ बाहर टहलाएं और नगर निगम की वेबसाइट से अपने पालतू कुत्तों का लाइसेंस बनवा लें।
अभी कोई फीडिंग जोन तय नहीं हो पाया है। रेजीडेंस वेलफेयर एसोसिएशन की तरफ से वार्ता चल रही है। - डा अभिनव वर्मा, पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी, नगर निगम
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