यूपी के इस जिले में दीपावली पर हुई 50 करोड़ से ज्यादा की आतिशबाजी, खतरनाक स्तर पर पहुंची हवा
लखनऊ में दीपावली पर 50 करोड़ से अधिक के पटाखे जलाए गए, जिससे वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुँच गया। ग्राहकों ने पटाखों की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया और ग्रीन पटाखों के प्रति जागरूकता कम रही। अनार और आसमानी पटाखों की मांग सबसे अधिक थी। पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने ग्रीन पटाखों के उपयोग को बढ़ावा देने और लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
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जागरण संवाददाता, लखनऊ। दीपावली पर इस बार हवा खराब हुई है तो इसमें सबसे बड़ा कारण पटाखों का है। इको फ्रेंडली यानी ग्रीन पटाखों की बिक्री के दावे केवल हवा में रहे और दीपावली पर शहर के लोगों ने पचास करोड़ से अधिक की आतिशबाजी कर डाली। जाहिर है कि इतनी बड़ी संख्या में पटाखों की बिक्री से हवा का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। ग्राहकों ने पटाखे खरीदते वक्त सिर्फ रेट देखे उनकी गुणवत्ता नहीं। ग्रीन पटाखों को लेकर कोई जागरूकता नहीं दिखी। पटाखा व्यापारियों के मुताबिक अनार, मेहताब के साथ ही आसमानी पटाखे की डिमांड सबसे अधिक रही जिनमें सबसे अधिक वायु प्रदूषण होता है।
पटाखा कारोबारी इदरीश का कहना है कि एक से लेकर दस हजार पटाखों वाली चटाई, रंग-बिरंगी फुलझड़ी, चकरी और बच्चों की पसंदीदा सांप की गोलियों की खूब बिक्री हुई। इनमें सभी में काफी धुआं निकलता है। इसके अलावा तीस शाट, चालीस शाट, 120 शाट वाले आसमानी पटाखों की भी जमकर बिक्री हुई। पटाखों व्यापारियों के मुताबिक प्रत्येक ग्राहक कम से कम दो डिब्बे के जरूर खरीदता है। अनार में काफी धुआं होता है जो वायु प्रदूषण को बढ़ाता है।
पर्यावरण पर काम कर रही वरिष्ठ पत्रकार रूमा सिन्हा का कहना है कि ग्रीन पटाखों की ही दुकानों पर बिक्री हो भविष्य में इस दिशा में सरकार को सोचना चाहिए। अगर ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल किया जाए तो तीस प्रतिशत तक धुआं कम हो सकता है। वहीं कारोबारियों का कहना है कि ग्रीन पटाखों की डिमांड बेहद कम है इसलिए किसी की भी इसे बेचने में दिलचस्पी नहीं रहती है। वहीं इसको लेकर जागरूकता भी नहीं है।
पर्यावरण के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि लोगों को ग्रीन पटाखों को लेकर जागरूक होना पड़ेगा इसके लिए तमाम स्तर पर प्रयास करने होंगे। स्कूल कालेजों में बच्चों को इस बारे में बताया जाना चाहिए दीपावली की खुशियों में जरा सी लापरवाही से दूसरों को कितनी परेशानी उठानी पड़ती है।
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