शाहीन-परवेज को लेकर अब ये जानकारी आई सामने, लखनऊ में सात से ज्यादा लोगों से संपर्क; चोरी-छिपे होटल में रुकती थी डॉक्टर
दिल्ली विस्फोट कांड में डॉ. शाहीन और डॉ. परवेज के लखनऊ कनेक्शन की जाँच हो रही है। एटीएस और अन्य एजेंसियां उन 7-8 लोगों की तलाश कर रही हैं जिनसे वे नियमित संपर्क में थे। मोबाइल रिकॉर्ड्स से पता चला है कि कुछ संदिग्धों ने नंबर बदल लिए हैं। एजेंसियां डिजिटल सबूत जुटा रही हैं और एलआईयू की मदद ले रही हैं ताकि दिल्ली विस्फोट मामले की कड़ियों को जोड़ा जा सके।

आयुष्मान पांडेय, लखनऊ। दिल्ली विस्फोट कांड में डा. शाहीन और डा. परवेज के नाम सामने आने के बाद जांच एजेंसियां लखनऊ में उनके नेटवर्क की तह तक पहुंचने के प्रयास में जुटी है। एटीएस, स्पेशल सेल और केंद्रीय एजेंसियां शहर में उन लोगों को तलाश रही हैं, जिनसे दोनों भाई-बहन नियमित संपर्क में रहते थे।
शुरुआती जांच में यह बात स्पष्ट हुई है कि शाहीन और परवेज लखनऊ में सात से आठ लोगों के बेहद करीब थे और उनसे हर दूसरे दिन बातचीत होती थी। इससे पहले अन्य लोगों के नाम सामने आए थे, जिनसे जांच एजेंसियां पूछताछ कर चुकी है।
दोनों के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल व चैट रिकार्ड खंगाले गए, जिनमें कुछ ऐसे नंबर मिले हैं जो लंबे समय से सक्रिय हैं। उनसे लगातार शाहीन व परवेज से संपर्क में रहे। इनमेें कुछ लोग लखनऊ के अलग-अलग इलाकों में रहते हैं और पेशे से डाक्टर, लैब तकनीशियन, पैरामेडिकल स्टाफ या मेडिकल से जुड़ी निजी सेवाओं से संबंधित बताए जा रहे हैं।
एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि इन लोगों से बातचीत सिर्फ सामान्य जान-पहचान के तहत की जाती थी या इसके पीछे कोई संगठित नेटवर्क सक्रिय था। जांच टीमों ने अब तक उन सभी लोगों की पहचान कर ली है, जिनसे दोनों भाई-बहन की सबसे ज्यादा बातचीत होती थी।
इनमें कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने हाल ही में अपने नंबर बदल लिए हैं या लखनऊ छोड़ने की तैयारी में थे। जांच एजेंसियां उनकी तलाश में जुटी हुई है। उनको चिन्हित करने के लिए जानकारी जुटा रही है। उन सभी लोगों को लगातार ट्रेस किया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि उनकी गतिविधियों को चेक किया जा रहा, शक होने पर उनसे पूछताछ की जाएगी।
मेडिकल से जुड़े काम में सक्रिय थी शाहीन: सूत्र बताते हैं कि शाहीन लंबे वक्त से मेडिकल से जुड़े कामों में सक्रिय थी। समय-समय पर शहर आना था। एजेंसियों को संदेह है कि जिन सात से आठ लोगों से ये रोजाना बात करते थे, उन्हीं के जरिए दोनों की कई गतिविधियां आगे बढ़ती थीं। इसीलिए अब उन लोगों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।
उनको पकड़ने के बाद उन सभी लोगों के मोबाइल, लैपटाप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए जा सकते हैं ताकि डिजिटल फोरेंसिक के जरिए उनकी गतिविधियों का पूरा रिकार्ड निकाला जा सके। एजेंसियों को उम्मीद है कि लखनऊ में मिले इन संपर्कों के आधार पर दिल्ली विस्फोट प्रकरण की कड़ियों को जोड़ने में मदद मिलेगी।
एलआइयू की ली जा रही मदद
जांच एजेंसियों को जिनका पता नहीं मिल रहा है। उसको तलाशने के लिए लोकल इंटेलिजेंस यूनिट(एलआइयू) की मदद ली जा रही है। इस मामले में पुलिस उपायुक्त मध्य विक्रांत वीर का कहना है कि किसको चिन्हित किया गया है। यह जानकारी नहीं है, लेकिन जो पता या अन्य कोई मदद मांगी जा रही है। वह उपलब्ध करवाई जा रही है।

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