Updated: Mon, 15 Sep 2025 02:41 AM (IST)
कानपुर में एक जालसाज ने खुद को एडीजे बताकर लखनऊ की एक नर्सिंग ऑफिसर को शादी का झांसा दिया और उससे 59.50 लाख रुपये ठग लिए। आरोपी पहले भी कई युवतियों को इसी तरह फंसा चुका है। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है और उसके पास से 25 लाख रुपये बरामद किए हैं। आरोपी के खिलाफ पहले भी लखनऊ में ठगी और दुष्कर्म के आरोप हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर। खुद को न्यायिक अधिकारी (एडीजे) बताकर लखनऊ की किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में तैनात नर्सिंग आफिसर को शादी का झांसा देकर 59.50 लाख रुपये ठगने वाले आरोपित का यह पहला कारनामा नहीं है। आरोपित ने पहले भी खुद को एडीजे बताकर कई युवतियों को फंसाया और उनसे लाखों की ठगी की।
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लखनऊ में एक युवती से ठगी और दुष्कर्म के आरोपों में वह पूर्व में भी जेल जा चुका है। लखनऊ लाजपत नगर में रहने वाली युवती केजीएमयू में नर्सिंग आफीसर हैं। उनके पिता प्रेमनारायण ने बेटी की शादी के लिए विज्ञापन डाला था।
अंशुमान विक्रम बनकर विष्णु शंकर गुप्ता ने खुद को एडीजे सीतापुर बताकर शादी का प्रस्ताव रखा और पिता से उनका नंबर ले लिया। बातचीत के दौरान अंशुमान ने युवती को बताया कि उसके पिता का बेंगलुरु में इलाज चल रहा है, ठीक होने पर शादी होगी।
आरोपित ने उनकी आर्थिक स्थिति जानकर एक करोड़ की कार खरीदने की बात कहकर एक करोड़ का लोन करवा दिया। युवती के खाते में लोन के रुपये आने पर सात सितंबर को वह 59.50 लाख रुपये लेकर चारबाग से झकरकटी बस स्टैंड पहुंचीं और अंशुमान को फोन किया।
इसके बाद वह चुन्नीगंज स्थित शनिदेव मंदिर पर पहुंचीं। जहां से दोनों कार से मूवी देखने पहुंचे और बीच में ही तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर अंशुमान विक्रम भाग निकला और मोबाइल भी बंद कर लिया। इस मामले में कर्नलगंज में मुकदमा दर्ज हुआ था।
पुलिस ने सीसी कैमरे फुटेज के आधार पर शनिवार देर रात शुक्लागंज स्थित कंचन नगर में छापा मारा। पुलिस ने यहां स्थित एक घर से आरोपित विष्णु शंकर गुप्ता को पकड़ा। पुलिस को आरोपित के घर से 25 लाख रुपये भी मिले।
दोपहर बाद नर्सिंग आफिसर कानपुर पहुंचीं और उन्होंने आरोपित की शिनाख्त की। पुलिस की पूछताछ में पता चला कि पूर्व में भी एडीजे बनकर इसी तरह से शादी का झांसा देकर वह कई लोगों से ठगी कर चुका है। लखनऊ में एक युवती से उसने 40 लाख रुपये ठग लिए थे। आरोप है कि युवती से उसने दुष्कर्म भी किया। लखनऊ पुलिस उक्त मामले में केवल चार लाख रुपये ही बरामद कर सकी थी।
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