Lucknow Bomb Blast Conspiracy: PFI कमांडर बदरुद्दीन की पेन ड्राइव में मिली चौंकाने वाली जानकारियां
Lucknow Bomb Blast Conspiracy पंजाब व राजस्थान समेत अन्य स्थानों पर हुई इन घटनाओं की मीडिया रिपोर्ट किस मकसद से सेव कर रखी थीं इसे लेकर भी जांच एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। आशंका है कि इन घटनाओं के बाद हो रही कार्रवाई पर बदरुद्दीन नजर रख रहा था।

लखनऊ, [राज्य ब्यूरो]। पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) के कमांडर अन्सद बदरुद्दीन व ट्रेनर फिरोज खान के पास से मिली पेन ड्राइव जांच एजेंसियों के लिए बेहद अहम हैं। साथ ही दोनों के पास से बरामद डायरी के कुछ पन्नों में पीएफआइ के विभिन्न राज्यों के डिवीजन व उनके सदस्यों के नाम दर्ज हैं। डायरी के पन्नों में मलयालम भाषा में कई कोडवर्ड भी हैं, जिनके अर्थ समझने का प्रयास किया जा रहा है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि पेन ड्राइव में कई मीडिया रिपोर्ट व अखबारों में प्रकाशित खबरों की प्रति भी सेव हैं। सूत्रों का कहना है कि इनमें कई हिंंदूवादी नेताओं व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के पदाधिकारियों पर अलग-अलग स्थानों पर हुए हमले व उनकी हत्या की घटनाओं से संबंधित हैं।
पंजाब व राजस्थान समेत अन्य स्थानों पर हुई इन घटनाओं की मीडिया रिपोर्ट दोनों ने किस मकसद से सेव कर रखी थीं, इसे लेकर भी जांच एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। आशंका है कि इन घटनाओं के बाद हो रही कार्रवाई पर अन्सद बदरुद्दीन नजर रख रहा था। अब दोनों से पुलिस कस्टडी रिमांड पर आमने-सामने पूछताछ के दौरान इनसे जुड़े राज सामने आएंगे। अब इस पूरे मामले की विवेचना एटीएस को सौंपी जा चुकी है। एटीएस अब दोनों आरोपितों के कब्जे से बरामद विस्फोटक की फोरेंसिक जांच भी कराएगी। हालांकि एसटीएफ भी उसके रडार पर आए पीएफआइ व सीएफआइ के कई सदस्यों के बारे में अपनी छानबीन जारी रखेगी।
एसटीएफ के अधिकारियों के अनुसार दोनों आरोपित राजस्थान व बिहार भी गए थे। राजस्थान में अन्सद बदरुद्दीन का गहरा नेटवर्क है। कई कोडवर्ड के बाद मस्ट अटैक शब्द भी लिखा है। डायरी के पन्नों पर दर्ज कई कोडवर्ड के अर्थ समझने के लिए मलयालम भाषा के जानकारों की भी मदद ली जा रही है। दोनों के मोबाइल नंबरों का ब्योरा भी खंगाला जा रहा है। दूसरी ओर इनके संपर्क में आए पीएफआइ के कुछ सक्रिय सदस्यों के बारे में भी छानबीन तेज की गई है। एक अधिकारी का कहना है कि दोनों ने अलग-अलग जिलों में युवकों के छोटे-छोटे ग्रुप बनाने के बाद उन्हें वाट््सएप ग्रुप के जरिए एक-दूसरे के संपर्क में रहने के निर्देश दिए थे। सभी युवकों को संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों के बारे में जानकारी भी नहीं दी गई थी।
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