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    Bhatkhande Convocation: भातखंडे का दीक्षा समारोह 10 सितंबर को, 9 शोधार्थियों को मिलेगी PhD की उपाधि

    Updated: Sun, 24 Aug 2025 05:53 PM (IST)

    लखनऊ के भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय का दीक्षा समारोह 10 सितंबर को होगा। इस वर्ष नौ शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि दी जाएगी जिनमें पांच कथक नृत्य और चार गायन विभाग से हैं। विश्वविद्यालय की कुलसचिव डा. सृष्टि धवन ने बताया कि विश्वविद्यालय शोध को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है और शोधार्थियों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है।

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    भातखंडे का दीक्षा समारोह 10 को, नौ शोधार्थियों को मिलेगी पीएचडी उपाधि

    जागरण संवाददाता, लखनऊ। भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय का दीक्षा समारोह 10 सितंबर को आयोजित किया जाएगा। पहली बार इस दीक्षा समारोह में नौ शोधार्थियों को पीएचडी उपाधि दी जाएंगी। इनमें पांच शोधार्थी कथक नृत्य विभाग के हैं, जबकि चार शोधार्थी गायन विभाग के। समारोह की तैयारी तेज कर दी गई है। जल्द ही मेडल की सूची जारी की जाएगी।

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    विश्वविद्यालय की कुलसचिव डा. सृष्टि धवन ने बताया कि इस बार जिन शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधियां दी जा रही हैं, उनमें पांच कथक नृत्य विभाग से हैं और चार शोधार्थी गायन विभाग से। इससे पहले वर्ष 2022 और 2023 में तीन-तीन व 2024 में दो शोधार्थियों को पीएचडी उपाधि प्रदान की गई थीं।

    पीएचडी उपाधि के लिए कथक से नामित अर्चना तिवारी ने स्वतंत्रता के उपरांत कथक में निहित कोरियोग्राफी का विश्लेषणात्मक अध्ययन पर शोध किया है। मंजू मलकानी ने वंशेत्तर शिक्षार्थियों के लिए उपयुक्त शिक्षा पद्धति व शैलजा शुक्ला ने कथक की तकनीकी रचनाओं में अंतर्निहित गणितीय अवधारणाओं पर शोध किया है।

    अस्मिता श्रीवास्तव ने कथक के वैश्वीकरण व उपासना दीक्षित ने कथक की प्रारंभिक शिक्षा में नृत्य हस्तकों के लिपिबद्धीकरण पर अध्ययन किया है। गायन विभाग से पीएचडी की उपाधि के लिए नामित शोधार्थियों में अमिता चौहान ने वाग्येकार गोविंद नारायण नातू के सांगीतिक योगदान पर शोध किया है।

    शिवरुचि सिंह ने बीसवीं शताब्दी के संदर्भ में ग्वालियर व पटियाला घरानों के प्रमुख कलाकारों के उपशास्त्रीय संगीत में योगदान पर शोध किया है। रश्मि उपाध्याय ने शास्त्रीय संगीत के कलाकारों एवं श्रोताओं का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण व पूजा द्विवेदी ने ग्वालियर घराने के प्रमुख वाग्येयकारों का विश्लेषणात्मक अध्ययन किया है।

    कुलसचिव डा. धवन ने कहा कि भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय लगातार शोध को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयासरत है और शोधार्थियों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है।