Allahabad High Court : चार सरकारी मेडिकल कॉलेज में नए सिरे से काउंसलिंग के आदेश पर रोक, आरक्षण के खिलाफ फैसले को माना सही
Allahabad High Court Lucknow Bench Decision उत्तर प्रदेश के चार सरकारी मेडिकल कॉलेज में नए सिरे से काउंसलिंग कराने के एकल पीठ के निर्णय पर दो सदस्य खंडपीठ ने रोक लगा दी है हालांकि न्यायालय ने कहा है कि 50% से अधिक आरक्षण देने के विरुद्ध एकल पीठ का निर्णय सही है।

जागरण संवाददाता, लखनऊ : इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच की दो सदस्य खंडपीठ ने चार सरकारी मेडिकल कॉलेज में नए सिरे से काउंसलिंग के निर्णय पर रोक लगा दी है।
दो सदस्य खंडपीठ ने एकल पीठ के आरक्षण के खिलाफ के फैसले पर सहमति जताई है। न्यायमूर्ति राजन राय और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने दो सितंबर को राज्य सरकार की ओर से दाखिल विशेष अपील पर सुनवाई पूरी करने के बाद आदेश सुरक्षित कर लिया था।
मेडिकल कॉलेजों में 79 प्रतिशत से अधिक सीटें आरक्षित हो गई थीं, इसके खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने नए सिरे से काउंसलिंग कराने का फैसला सुनाया था। अंबेडकरनगर, कन्नौज, जालौन व सहारनपुर के सरकारी मेडिकल कालेजों में आरक्षण के संबंध में पारित शासनादेशों को रद करने के एकल पीठ के निर्णय के विरुद्ध राज्य सरकार की ओर से दाखिल विशेष अपील पर हाई कोर्ट ने सुनवाई पूरी करने के बाद आदेश सुरक्षित कर लिया था।
50% से अधिक आरक्षण देने के खिलाफ निर्णय सही
उत्तर प्रदेश के चार सरकारी मेडिकल कॉलेज में नए सिरे से काउंसलिंग कराने के एकल पीठ के निर्णय पर दो सदस्य खंडपीठ ने रोक लगा दी है, हालांकि न्यायालय ने कहा है कि 50% से अधिक आरक्षण देने के विरुद्ध एकल पीठ का निर्णय सही है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार एक सप्ताह में इस बात का शपथ पत्र दे कि अगले सत्र से 50% की आरक्षण सीमा को लांघा नहीं जाएगा।
न्यायालय ने आदेश दिया है कि एससी-एसटी वर्ग के जिन छात्रों को आरक्षण की सीमा से बाहर जाकर अम्बेडकर नगर, कन्नौज, जालौन व सहारनपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले दिए गए हैं, उन्हें इस वर्ग के लिए दूसरे सरकारी मेडिकल कोलेजों में अभी तक रिक्त चल रहे, 82 सीटों पर समायोजित किया जाएगा। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि सरकार अगले सत्र से 50% की आरक्षण सीमा को न पार करने सम्बन्धी शपथ पत्र नहीं देती, तो यह अंतरिम आदेश लागू नहीं होगा।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता जे एन माथुर ने न्यायालय को बताया कि एकल पीठ के आदेश के बाद चारों जिलों के मेडिकल कालेजों में फिर से काउंसलिंग करनी पड़ेगी तथा इसका असर बाकी राज्यों के जिलों पर भी पड़ सकता है। पुनः काउंसलिंग से शीट पाए हुए अभ्यर्थी बाहर हो जाएंगे तथा उनका रास्ता और भी कालेजों में बंद हो जाएगा, क्योंकि बाकी जगह प्रवेश लगभग हो चुका है। एकल पीठ ने यह पाते हुए कि दिनांक 20 जनवरी 2010, 21 फरवरी 2011, 13 जुलाई 2011, 19 जुलाई 2012, 17 जुलाई 2013 व 13 जून 2015 के शासनादेशों के जरिए आरक्षित वर्ग के लिए 79 प्रतिशत से अधिक सीटें सुरक्षित की गई हैं, उक्त शासनादेशों को निरस्त कर दिया।
नए सिरे से सीटें भरने का आदेश
इसके साथ ही कोर्ट ने साथ ही उक्त कालेजों में आरक्षण अधिनियम, 2006 का सख्ती से अनुपालन करते हुए नए सिरे से सीटें भरने का आदेश दिया है। याची के अधिवक्ता मोतीलाल यादव ने दलील दी थी कि उक्त मेडिकल कालेजों में राज्य सरकार के कोटे की कुल 85-85 सीटें हैं जबकि सिर्फ सात-सात सीटें अनारक्षित श्रेणी के लिए रखी गई हैं। वहीं, महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा व ट्रेनिंग की ओर से दलील दी गई थी कि इंदिरा साहनी मामले में शीर्ष अदालत यह स्पष्ट कर चुकी है कि 50 प्रतिशत की सीमा अंतिम नहीं है, इससे अधिक आरक्षण दिया जा सकता है। हालांकि, एकल पीठ इस दलील से सहमत नहीं हुई व कहा कि उक्त सीमा सिर्फ नियमों का पालन करते हुए ही बढ़ाई जा सकती है।
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