Lucknow: बरगद के पेड़ पर पूर्व पार्षद का कब्जा, कैसे करें महिलाएं पति की लंबी उम्र की पूजा?
लखनऊ वन विभाग बरगद की सुरक्षा करने में लापरवाह साबित हो रहा है। कंकरीट से जड़ों को बांध देने से पानी के अभाव में पेड़ झुककर गिर रहे हैं। चिड़ियाघर में भी लायन सफारी के पास का विशालकाल बरगद भी विकास की भेंट चढ़ गया था।

जागरण संवाददाता, लखनऊ: वन विभाग बरगद की सुरक्षा करने में लापरवाह साबित हो रहा है। कंकरीट से जड़ों को बांध देने से पानी के अभाव में पेड़ झुककर गिर रहे हैं। चिड़ियाघर में भी लायन सफारी के पास का विशालकाल बरगद भी विकास की भेंट चढ़ गया था। यहां उसके चारों तरफ चबूतरा बना दिया गया था और उसकी जड़ तक पानी न पहुंचे से वह गिर ही गया।
भूतनाथ मंदिर के पास पूर्व पार्षद ने अपना कब्जा जमा रखा है। चबूतरे पर देवी देवाताओं की मूर्ति लगा दी गई है। अब ऐसे में वहां पूजा कैसे होगी? कैसे सूत लपेटते महिलाएं परिक्रमा करेंगी? यह सवाल इंदिरानगर के निवासियों के सामने रहता है लेकिन पूर्व पार्षद के कारण हर कोई मौन रहता है। हाल यह है कि अब वहां परिक्रमा करने की जगह ही नहीं बची है। अगल बगल दीवार बनी है और जाली लगी है।
लोगों का कहना है कि मूर्तियों को नांघकर परिक्रमा नहीं हो सकती है। वहां विराजमान भगवान शंकर जी की परिक्रमा नहीं की जा सकती है। ऐसे हालात में कल भी महिलाओं को बरगद के पास से निराश लौटना होगा।
पर्यावरण रक्षा की बात करने वालों को इंदिरा नगर में शेखर अस्पताल बगल के विशालकाय बरगद के पेड़ की याद नहीं आती है। आंधी में गिर गए पेड़ को दोबारा लगाने की कोई कोशिश नहीं की गई। यहां प्रयास सराहनीय इटौंजा में पूर्व माध्यमिक विद्यालय में दो वर्ष पहले पेड़ गिरा था और उसी स्थान पर दोबारा बरगद का पौधा लगाया गया। बंथरा में दो दशक पहले गिरे बरगद के पेड़ के स्थान पर दूसरा पेड़ लोगों राहत दे रहा है। महिलाएं वट सावित्री का पूजन करती हैं।
माल के मांझी गांव में लगा 250 वर्ष पुराना विशालकाय बरगद अब बाग के रूप में नजर आता है। टहनियों से कई पेड़ बन चुके हैं, जो करीब एक बीघे के क्षेत्रफल में फैल चुके हैं। इस बरगद के पीछे का कथानक है कि यहां हरवंश बाबा की समाधि थी। उन्हीं की समाधि से निकला एक पेड़ अब बाग का स्वरूप ले चुका है। ये भी बुजुर्ग बरगद राष्ट्रीय वनास्पति अनुसंधान केंद्र (एनबीआरआइ) परिसर में लगे बरगद का पेड़ अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ जंग का गवाह है। विरासत के पेड़ में शामिल इस बरगद के पेड़ पर चढ़कर वीरागंना ऊदा देवी ने नवंबर 1857 को अंग्रेजी सैनिकों से मोर्चा लिया था और कई सैनिकों को मार गिराने के बाद खुद शहीद हो गई थीं।महात्मा गांधी ने मार्च 1936 में लखनऊ आकर गोखले मार्ग पर बरगद का पौधा लगाया था।
लखनऊ विश्वविद्यालय कैलाश छात्रावास के मेन गेट पर बरगद का पेड़ 150 वर्ष, कल्याणपुर कामाख्या रेंज कुकरैल बरगद उम्र 100 वर्ष, बेहटा बाजार बरगद उम्र 100 वर्ष, लखनऊ विश्वविद्यालय के पुराने कैम्पस में बरगद उम्र 105 वर्ष, रेजीडेंसी परिसर बरगद उम्र 102 वर्ष है।
इस वृक्ष को अलग-अलग भाषा में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। हिंदी में इसे वट वृक्ष, बरगद कहा जाता है।वहीं संस्कृत में न्यग्रोध, अंग्रेजी में बनियन ट्री, बंगाल फिग, इंडियन फिग और इसका वानस्पतिक नाम फाईकस बेंगालेंसिस है।
आज महिलाएं हैं निर्जला व्रत
ज्येष्ठ मास की कृष्ण अमावस्या को बरगदाही (वट सावित्री व्रत) रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुरूप महिलाएं शुक्रवार को निर्जला व्रत रख पति की दीर्घायु की कामना करेंगी। सुहागिनें बरगद के पेड़ की परिक्रमा कर 108 बार धागा बांधेंगी।
आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि यह व्रत सावित्री द्वारा अपने पति को पुनर्जीवित करने की स्मृति में रखा जाता है। वट वृक्ष को देव वृक्ष माना जाता है। शुक्रवार को रात 9:22 अमावस्या का मान रहेगा। वहीं शनि जयंती के साथ शोभन योग भी है। यह योग शाम 6:16 बजे तक है।
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