Shubhanshu Shukla: 'बेटा आए तो उसे जीभर कर निहारूं', करीब डेढ़ साल बाद लखनऊ आएंगे शुभांशू शुक्ला
लखनऊ में विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला के घर वापसी का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। एक्सिओम 4 मिशन पूरा करने के बाद शुभांशु डेढ़ साल बाद घर लौट रहे हैं। माता-पिता और परिवारजन उनके स्वागत की तैयारियों में जुटे हैं। अंतरिक्ष से लौटने के बाद शुभांशु ने पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण को महसूस करने और परिवार से मिलने की बात कही जिससे उनकी सारी थकान दूर हो गई।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। खाना तो बाद में... पहले जी भर के देख लेंगे... कितना लंबा इंतजार किया है हमने... बेटा डेढ़ साल पहले मार्च 2024 में यहीं था। दो अगस्त को वह आज के दिन वह अमेरिका गया था।
यह कहते हुए लखनऊ के एक साधारण से दिखने वाले घर की दीवारों में कुछ असाधारण-सा कंपन महसूस होने लगा। यह आवाज थी एक पिता की एक ऐसे पिता की जो भारत के अंतरिक्ष वीर, विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला के स्वागत के लिए सांसें गिन रहे हैं।
भारत के अंतरिक्ष मिशन एक्सिओम 4 सफलता पूर्वक पूरा करने के बाद विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला 17 अगस्त को दिल्ली लौटेंगे। दिल्ली से आगे का सफर लखनऊ का होगा। कब आएंगे, इसकी तारीख अभी तय नहीं, लेकिन उनके घर में दीयों की तरह उम्मीदें लगातार जल रही हैं।
पिता शंभुदयाल कहते हैं। हमारी बात शुभांशू से हुई है। पूरे परिवार से काफी देर तक बात की है। वह आज के दिन अमेरिका गया था तब पता नहीं था शुभांशु इस मिशन के लिए चुना जाएगा। करीब डेढ़ साल से वह घर नहीं आया।
मां आशा ने कहा कि हम दोनों को बस इंतजार है उस घड़ी का जब हम उसे जी भर कर निहार लेंगे। बहनों और बच्चों के लिए नहीं, पूरे मोहल्ले के लिए यह गर्व का पल होगा। बहनें मिठाइयों की थाली और तिलक की थाल सजाने की तैयारियों में जुटी हैं।
कुछ रिश्तेदार तो उसी दिन से जुटे हैं जब उनके अंतरिक्ष गमन की खबर आई थी। उनके पिता ने धीरे से कहा बेटा बहुत ताकतवर है, खुद को थामे रहता है। लेकिन जब वह अपने घर की देहरी पर पैर रखेगा, तो हमारी आंखें शायद खुद को न थाम सकें। हम बस उसे देखते ही रहेंगे। बहुत लंबा इंतजार किया है।
मां ने आगे कहा कि कल्पना कीजिए वह क्षण जब एक मां का बेटा सालों की तैयारी, अंतरिक्ष की यात्रा और तमाम वैज्ञानिक प्रयोगों के बाद वापस उसी घर की चौखट पर खड़ा होगा, जहां से उसने बचपन में तारों को निहारा था। उसकी बहनें, जो उसे कभी स्कूल बस तक छोड़ती थीं, अब उस पर देश का झंडा देख गर्व से सिर ऊंचा कर रही होंगी।
अंतरिक्ष से पृथ्वी तक की यात्रा आसान नहीं
हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक प्रेस वार्ता में विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला ने बताया कि अंतरिक्ष में बिताया गया हर क्षण उनके लिए एक प्रयोगशाला था जहां छोटी-छोटी चीजें भी कठिन चुनौतियां बन जाती थीं। मोबाइल उठाना मुश्किल है, लैपटाप पकड़ने में ताकत लगती है। जब वापस आए तो पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति ने अपने असली असर दिखाना शुरू किया। शरीर भारी लगने लगा।
लेकिन मनोबल...? वह तो अंतरिक्ष से भी ऊंचा था। शुभांशु बताते हैं कि जब उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों को देखा तो थकान, दर्द, कमजोरी जैसे शब्द कहीं गुम हो गए। उनके चेहरे देखकर लगा कि मैं सबसे मजबूत हूं।
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