Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यूपी के इन बुजुर्गों से वापस ली जाएगी वृद्धावस्था पेंशन की रकम, DM ने नोटिस भी किया जारी

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 09:00 PM (IST)

    मोहनलालगंज तहसील में समाधान दिवस पर जिलाधिकारी ने 64 बुजुर्गों से पेंशन वसूली में देरी पर समाज कल्याण अधिकारी से जवाब मांगा है। जांच में पाया गया कि कई लोगों ने फर्जी दस्तावेज जमा किए थे जिसके बाद उनकी पेंशन रद्द कर दी गई। अब जिलाधिकारी के आदेश पर वसूली की जाएगी जो कि विभाग के लिए एक चुनौती है क्योंकि कई बुजुर्ग गरीब हैं।

    Hero Image
    फर्जी दस्तावेज लगाकर 64 बुजुर्गों ने ले ली वृद्धावस्था पेंशन, अब होगी वसूली

    जागरण संवाददाता, लखनऊ। मोहनलालगंज तहसील में शनिवार को आयोजित समाधान दिवस पर वृद्धावस्था पेंशन पाने वाले 64 बुजुर्गों से वसूली न होने की शिकायत पर जिलाधिकारी विशाख जी ने जिला समाज कल्याण अधिकारी को कारण बताओ नाेटिस देकर वसूली में देरी का कारण मांगा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अगस्त के अंतिम सप्ताह में तहसील दिवस पर मामला प्रकाश में आया था। ग्राम विकास अधिकारी को मामले ही जांच के आदेश दिए गए थे। पिछले महीने जांच रिपोर्ट जिला समाज कल्याण अधिकारी को दी गई। जिला समाज कल्याण अधिकारी अंजनी कुमार ने सभी की पेंशन निरस्त कर दी।

    जांच में पाया गया कि किसी ने आयु का गलत प्रमाण पत्र लगाया था तो किसी ने आधार कार्ड व आय प्रमाण पत्र में हेराफेरी करके पेंशन का आवेदन कर दिया था। वृद्धावस्था पेंशन की नियमावली में वसूली के बारे में कुछ नहीं है। अब जिलाधिकारी के निर्देश पर वसूली का रास्ता साफ हो गया है।

    2023 के पहले का है मामला

    सभी मामले 2023 के पहले के हैं। 2024 से आधार लिंक आवेदन होने से कोई फर्जी दस्तावेज नहीं लगा सकता। बायोमीट्रिक के बाद ही आनलाइन आवेदन आगे बढ़ता है। पहले दस्तावेज स्कैन करके आवेदन हाे जाता था। बैंक के स्टेमेंट के आधार पर पेंशन का निर्धारण कर लिया जाता है। 

    एक हजार रुपये महीने मिलती है पेंशन

    समाज कल्याण विभाग की ओर से बुजुर्गों को एक हजार रुपये महीने पेंशन मिलती है। एक साल में बुजुर्गों के खाते में 12 हजार रुपये तीन किस्तों में भेजा जाता है। अब 64 बुजुर्गों से वसूली की तैयारी है। कई ऐसे हैं जिनके पास न तो जमीन है और न ही मकान है।

    झोपड़ी में रहते हैं और मजदूरी करते हैं। उनसे वसूली करना भी विभाग के सामने बड़ी चुनौती है। आवेदन करने वाले जन सुविधा केंद्रों और लोकवाणी के कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।