Loudspeaker in UP: बिना विवाद हटे एक लाख से अधिक मंदिर-मस्जिद से लाउडस्पीकर, राम नाईक ने किया सीएम योगी का अभिनंदन
उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक से मुलाकात के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने उनको बताया कि एक लाख से अधिक लाउडस्पीकर बातचीत कर सौहार्द से मंदिर और मस्जिदों से हटाए गए। यह सुनकर राम नाईक प्रसन्न हुए और उन्होंने इस बार पर मुख्यमंत्री को बधाई दी।

लखनऊ, जेएनएन। धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने का मुद्दा कई राज्यों में पहुंच चुका है। यूपी भी इससे अछूता नहीं रहा है, पर यहां जिस तरह योगी आदित्यनाथ सरकार ने इसे हैंडल किया उसकी तारीफ हर जगह हो रही है। अभी तक यहां मंदिर व मस्जिदों ने लाउडस्पीकर हटाने का कोई विरोध नहीं हुआ है।
संवाद स्थापित कर सौहार्दपूर्ण माहौल में उत्तर प्रदेश में एक लाख से अधिक मंदिर और मस्जिदों ने लाउडस्पीकर हटाये गए, इसके लिए उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विशेष रूप से अभिनंदन किया हैं।
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री पद की दूसरी पारी शुरू होने के बाद सोमवार को सीएम आवास पर राम नाईक को मुख्यमंत्री ने आमंत्रित किया था। नयी पारी के दौरान शुरू किए विभिन्न विकास कार्यों की सीएम योगी ने उनको संक्षिप्त में जानकारी भी दी। उन्होंने बताया कि एक लाख से भी अधिक लाउडस्पीकर बातचीत कर सौहार्द से मंदिर और मस्जिदों से हटाए गए। यह सुनकर राम नाईक विशेष प्रसन्न हुए और उन्होंने इस बार पर मुख्यमंत्री को बधाई दी।
पत्रकार व अवधनामा के संपादक वकार रिजवी पहली पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी किताब ‘मेरा नजरिया, मेरी बात’ का विमोचन करने के लिए उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक लखनऊ आये थे। उर्दू के वरिष्ठ पत्रकार वकार रिजवी की कल्पना से ही राम नाईक की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के सभी संस्करणों पर आधारित उर्दू साहित्यकार, समिक्षकों के लेखों के संग्रह के साथ ‘कर्मयोद्धा राम नाईक’ पुस्तक की मूल संकल्पना वकार रिजवी की ही थी।
पुस्तक लगभग तैयार हुई और पिछले वर्ष 10 मई को वकार रिजवी दुर्भाग्य से करोना संक्रमण के कारण गुजर गए। उसके बाद यह पुस्तक हाल ही में उन्हें समर्पित कर प्रकाशित हुई थी। पुरोगामि नजरिये के वकार रिजवी अपनी कलम के माध्यम से देश की एकता और भाईचारा निरंतर बढ़े इसलिए हमेशा कार्यरत रहे।
उर्दू को बढ़ावा देने के साथ-साथ संपूर्ण शिक्षा का भी वो आग्रह रखते थे। उनके इन विचारों को प्रकट करने वाले चंद संपादकीयों का यह संग्रह राम नाईक के हाथों विमोचित हुआ। साथ ही अवधनामा फाउंडेशन की तरफ से उनके हाथों दो विद्यार्थियों को विशेष शिष्यवृत्ति भी प्रदान की गई।
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