आज फेसबुक पर दिखेंगे भगवान जगन्नाथ, कोरोना संक्रमण के चलते लखनऊ में नहीं निकलेगी यात्रा
आषाढ़ मास की शुक्लपक्ष की द्वितीया 12 जुलाई को है। हर साल इस दिन पुरी की तर्ज पर लखनऊ में भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है। कोरोना संक्रमण काल में भगवान जगन्नाथ की यात्रा सड़क पर नहीं दिखेगी। फेसबुक के माध्यम से घर बैठे लोग दर्शन कर सकेंगे।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। आषाढ़ मास की शुक्लपक्ष की द्वितीया 12 जुलाई को है। हर साल इस दिन पुरी की तर्ज पर लखनऊ में भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है। कोरोना संक्रमण काल में भगवान जगन्नाथ की यात्रा सड़क पर नहीं दिखेगी। फेसबुक के माध्यम से घर बैठे लोग दर्शन कर सकेंगे। सोमवार को को पुरी की तर्ज पर भले ही इस बार भगवान जगन्नाथ की यात्रा नहीं निकलेगी, लेकिन श्रद्धालुओं में यात्रा को लेकर उत्साह और श्रद्धा उतनी ही रहेगी। पुराने लखनऊ से लेकर अलीगंज और अमीनाबाद से लेकर हजरतगंज तक रथयात्रा में श्रद्धालुओं का हुजूम नहीं दिखेगा लेकिन वर्षों पुरानी परंपरा को डिजिटल स्वरूप में दिखाने का प्रयास किया जाएगा। डालीगंज से निकली यात्रा इस बार नहीं निकलेगी। प्रवक्ता अनुराग साहू ने बताया कि 56 भोग लगाकर भगवान की पूजा होगी और श्री भगवान जगन्नाथ के जयकारे लगेंगे। फेसबुक पेज पर भगवान नजर आएंगे। भगवान श्री जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र को छप्पन भोग लगाकर चांदी का मुकुट धारण कराया जाएगा। पूजन को फेसबुक पेज radhamadhavlko पर लाइव किया जाएगा।
होगी फूलों की बारिशः अमीनाबाद की मारवाड़ी गली से निकली यात्रा भी आरती और फेसबुक तक सीमित रहेगी। आरती के दौरान सेंट के साथ फूलों की वर्षा होगी। 1924 को महंत शत्रुघ्नदास ने अमीनाबाद की मारवाड़ी गली से श्री भगवान जगन्नाथ यात्रा की शुरुआत की थी। सूर्य पाठक के अलावा कई श्रद्धालु चने की दाल, मूंग और मोठ का प्रसाद चढ़ाएंगे और आरती उतारेंगे।
दर्शन एवं आरती मंदिर फेसबुक पेज https://m.facebook.com/Rathyatra.mahotsav पर लाइव होगा।
लगेगी सोने-चांदी की झाडूः कपूरथला के श्री भगवान जगन्नाथ मंदिर से नवविग्रह संग जगन्नाथ रथयात्रा भले ही न निकाली जाए लेकिन सोने-चांदी की झाड़ू लगाकर आरती की जाएगी। संयोजक अनिल तिवारी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते यात्रा नहीं निकलेगी। पूजन होगा।
लक्ष्मण पुरी में जगन्नाथ पुरी की यात्राः लक्ष्मण द्वारा बसाए गए शहर-ए-लखनऊ में जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर रथयात्रा की शुरुआत करीब 100 साल पहले हुई थी। चौक के रानी कटरा स्थित चारों धाम मंदिर के निर्माणकर्ता कुंदनलाल-कुंजबिहारी लाल ने यात्रा की शुरुआत की थी। यहां के निवासी विष्णु त्रिपाठी ''लंकेशÓ ने बताया कि छोटी काशी के स्वरूप इलाके में नजर आता है। चौपटिया के रानी कटरा में चारों धाम मंदिर निर्माण के पीछे कथानक है कि कुंज बिहारी लाल ऐसे लोगों को यात्रा की अनुभूति करानउ चाहते थे जो आर्थिक तंगी या समय के अभाव में यात्रा नहीं कर पाते थे। मंदिर में रावण दरबार के अलावा चारों धाम मंदिर व स्वर्ग-नर्क का मंदिर भी मौजूद है। रामकुमार अग्रवाल ने इसका जीर्णोद्धार कराया और इसे विस्तार दिया। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार मंदिर परिसर में ही भगवान की पालकी यात्रा निकाली जाएगी। श्री भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा और बलभद्र को फूलों की पालकी में स्थापित किया जाता है। श्री शुभ संस्कार समिति के महामंत्री ऋद्धि किशोर ने बताया कि सुरक्षा के चलते यात्रा नहीं निकलेगी। केवल पालकी यात्रा निकलेगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।