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    अमित शाह के फैसलों पर निगाहें, तय होगी केशव और दिनेश की राह

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Sat, 29 Jul 2017 07:00 PM (IST)

    भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के दौरे में योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के चुनाव क्षेत्र घोषणा और प्रदेश अध्यक्ष पर फैसलों का कार्यकर्ता इंतजार कर रहे ...और पढ़ें

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    अमित शाह के फैसलों पर निगाहें, तय होगी केशव और दिनेश की राह

    लखनऊ (जेएनएन)। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह शनिवार से सोमवार लखनऊ दौरे में तीन-चार प्रमुख मामलों पर सबकी निगाहें टिकी हैं। इस मसलों पर लखनऊ में फैसला या फिर दिल्ली जाकर होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के चुनाव क्षेत्र घोषित करने से लेकर संगठन की कमान नए नेतृत्व को सौंपने के फैसलों का कार्यकर्ता इंतजार कर रहे हैं। दरअसल इनका एक माह 22 दिन के भीतर विधान सभा या विधान परिषद का सदस्य बनना जरूरी है। शाह इस दौरान संगठन के सभी विभागों, प्रकल्पों, जिला, क्षेत्रीय अध्यक्षों, पदाधिकारियों, बुद्धिजीवियों और मीडिया से सीधा संवाद करेंगे। यूपी सरकार के एक और उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा की भी राजनीतिक राह तय होनी है।

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    उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य फूलपुर के सांसद हैं। वह 2012 में कौशांबी जिले की सिराथू विधानसभा सीट से भी निर्वाचित हुए थे। केशव की पहली प्राथमिकता तो सिराथू ही होगी लेकिन, संगठन उन्हें सिकंदरा से लेकर किसी और सीट पर मौका दे सकता है। उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को विधान परिषद में नेता सदन बनाया गया है। इससे यह साफ संकेत है कि पार्टी उन्हें विधान परिषद में ही भेजेगी। फिलहाल, मई 2018 तक विधान परिषद में एक सीट रिक्त है। यह सीट बदायूं स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र की है। परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को पार्टी बदायूं की स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से मौका दे सकती है। मोहसिन रजा के लिए भी इसी तरह की कुछ संभावनाएं टटोली जानी हैं। हालांकि मंत्री बनने के बाद से वह विवादों में भी घिरे हैं। 

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    तय करेगा शाह का दौरा

    • 2019 के चुनाव की तैयारी
    • संगठन के पेंच
    • अनुशासन की कसौटी
    • जनअपेक्षाओं का धरातल
    • सीएम-डिप्टी सीएम का चुनाव क्षेत्र
    • सहयोगी दलों की कडिय़ां
    • विपक्षी दलों की घेराबंदी
    • सत्ता-संगठन में सामंजस्य 
    • अफसरशाही को अनुकूल बनाना 
    • कानून व्यवस्था के मसले
    • वैचारिक प्रतिबद्धताओं का प्रसार
    • संकल्प पत्र से आगे की रणनीति 
    • बूथों पर मजबूत इकाइयां