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UP Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव 2024 में छोटे दलों की होगी बड़ी परीक्षा, क्‍या सुधार पाएंगे अपना रिकॉर्ड

पूर्वांचल के रण में छोटे दलों की बड़ी परीक्षा होनी है। ये ऐसी पार्टियां हैं जो अन्य पिछड़ी जातियों के प्रतिनिधित्व का दावा करती हैं। इनके दावे पूर्वांचल की धरती पर परखे जाएंगे। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) निषाद पार्टी अपना दल (सोनेलाल) व अपना दल (कमेरावादी) सभी चुनावी रण में अपनी-अपनी सेनाओं के साथ तैयार हैं। राज्य ब्यूरो के विशेष संवाददाता शोभित श्रीवास्तव की रिपोर्ट...

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Published: Thu, 09 May 2024 12:50 PM (IST)Updated: Thu, 09 May 2024 12:50 PM (IST)
पल्लवी पटेल की असली परीक्षा भी यहीं पर होनी है।

 सात चरणों में हो रहे लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण का मतदान हो चुका है। अब चार चरणों का मतदान और बचा है। पूर्वांचल की लोकसभा सीटों पर चुनाव छठे व सातवें चरण में होगा। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी सातवें चरण में वोट पड़ेंगे। भाजपा गठबंधन में शामिल सुभासपा, निषाद पार्टी, अपना दल (सोनेलाल) व सपा से अलग होकर पीडीएम (पिछड़ा, दलित, मुस्लिम) न्याय मोर्चा बनाने वाली पल्लवी पटेल की असली परीक्षा भी यहीं पर होनी है।

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केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल (सोनेलाल) एनडीए गठबंधन के साथ वर्ष 2014 व 2019 के बाद लगातार तीसरा चुनाव लड़ने जा रही है। अपना दल का न सिर्फ लोकसभा बल्कि विधानसभा में भी प्रदर्शन एनडीए में शामिल होने के बाद सुधरा है।

2009 में जब यह पार्टी अकेले 43 सीटों पर लड़ी थी, उस समय 42 में उसकी जमानत जब्त हो गई थी। वर्ष 2014 में सात सीटों पर लड़कर दो में विजय प्राप्त की थी। 2019 में अपना दल दो सीटों पर चुनाव लड़ी और दोनों ही जीती थी। अनुप्रिया के पति आशीष पटेल प्रदेश सरकार में प्राविधिक शिक्षा मंत्री हैं।

पिछले चुनाव की तरह इस बार भी अपना दल को भाजपा ने मीरजापुर व राबर्ट्सगंज दो लोकसभा सीटें दी हैं। मीरजापुर से अनुप्रिया पटेल खुद लगातार तीसरी पारी के लिए मैदान में उतरेंगी, जबकि राबर्ट्सगंज से टिकट किसे मिलेगा, है यह अभी तय नहीं है।

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पिछले चुनाव स में यहां से अपना दल के पकौड़ी लाल कोल चुनाव जीते थे। पूर्वांचल में कुर्मी बिरादरी की संख्या अच्छी खासी है, यह पार्टी कुर्मी मतदाताओं के प्रतिनिधित्व का दावा करती है। ऐसे में दोनों सीटें जीतने के साथ ही कुर्मी बिरादरी के वोट भाजपा को दिलाना उसके लिए चुनौती भी है।

सुभासपा एक बार फिर एनडीए के साथ आ गई है। यूं तो सुभासपा का गठन 2002 में हो गया था किंतु उसका खाता भाजपा गठबंधन में शामिल होने के बाद वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में खुला था। उस समय भाजपा ने आठ सीटें दी थीं, इनमें से चार में जीत दर्ज की थी।

सुभासपा ने 2022 का विधानसभा चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा था और छह सीटें जीती थीं। अब फिर से सुभासपा, भाजपा के साथ है और उसके प्रमुख ओम प्रकाश राजभर प्रदेश सरकार में पंचायती- राज व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हैं। उन्हें इस बार एक लोकसभा सीट घोसी भाजपा ने दी है।

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यहां उनके बेटे अरविंद राजभर चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी पार्टी राजभर के साथ ही बिंद, कुम्हार, प्रजापति, कुशवाहा सहित अन्य पिछड़ी जातियों के साथ होने का दावा करती है। ऐसे में उनके सामने अपनी सीट जीतने के साथ ही वाराणसी व आसपास के जिलों में भाजपा प्रत्याशियों को अपनी बिरादरी के वोट दिलाना भी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

निषाद समाज की राजनीति करने वाली निषाद पार्टी भी एनडीए गठबंधन के साथ है। निषाद पार्टी के मुखिया डा. संजय निषाद योगी सरकार में मत्स्य मंत्री हैं। उनके बेटे प्रवीण कुमार निषाद 2019 में भाजपा के टिकट से संतकबीरनगर से सांसद बने थे। इस बार भी भाजपा ने उन्हें अपने चुनाव चिह्न पर इसी सीट से उतारा है।

पीडीएम न्याय मोर्चा का भी इम्तिहान

अपना दल (कमेरावादी) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल व उनकी बेटी पल्लवी पटेल ने सपा से अलग होकर एआइएमआइएम के असदुद्दीन ओवैसी के साथ मिलकर पीडीएम न्याय मोर्चा बनाया है। पल्लवी 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट से सिराथू सीट से विधायक हैं। उन्होंने सपा के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की काट के लिए यह मोर्चा बनाया है।

हालांकि, चुनाव से पहले ही न्याय मोर्चा को झटका उस समय लगा था जब ओवैसी ने प्रदेश की एक भी सीट पर अपने चुनाव चिह्न पर प्रत्याशी उतारने से मना कर दिया था। इसके बावजूद पीडीएम न्याय मोर्चा 17 सीटों पर अपनी किस्मत आजमा रहा है। मोर्चा की भी असली परीक्षा पूर्वांचल में ही होनी है।

दावे की भी परीक्षा है यह चुनाव

निषाद पार्टी के मीरजापुर के मझवां सीट से विधायक विनोद कुमार बिंद को भाजपा ने भदोही लोकसभा सीट का टिकट दिया है। डा. निषाद पूर्वांचल की करीब दो दर्जन सीटों पर अपनी बिरादरी के प्रभाव का दावा करते हैं। उनके दावे की भी परीक्षा यह चुनाव है। निषाद पार्टी भाजपा को अपना वोट दिलाने में कितना सफल होगी यह तो चार जून को नतीजे बताएंगे, पर इतना जरूर है कि डा. निषाद कमल का फूल खिलाने के लिए पसीना खूब बहा रहे हैं।


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