Updated: Thu, 22 Feb 2024 09:35 AM (IST)
Lok Sabha Election लोकसभा चुनाव को लेकर सपा-कांग्रेस में गठबंधन से प्रदेश में एनडीए से ज्यादा अकेले चुनाव मैदान में उतरने वाली बसपा को बड़ा झटका लगने की आशंका जताई जा रही है। अब त्रिकोणीय लड़ाई से मायावती के सामने पार्टी का पिछला प्रदर्शन दोहराने की ही चुनौती होगी। पिछले चुनाव में सपा-रालोद गठबंधन संग लड़ने पर बसपा को 10 लोकसभा सीटों पर सफलता मिली थी। 
                                              अ                                                                               जय जायसवाल, लखनऊ। लोकसभा चुनाव को लेकर सपा-कांग्रेस में गठबंधन से प्रदेश में एनडीए से ज्यादा अकेले चुनाव मैदान में उतरने वाली बसपा को बड़ा झटका लगने की आशंका जताई जा रही है। अब त्रिकोणीय लड़ाई से मायावती के सामने पार्टी का पिछला प्रदर्शन दोहराने की ही चुनौती होगी।                                     
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                                                पिछले चुनाव में सपा-रालोद गठबंधन संग लड़ने पर बसपा को 10 लोकसभा सीटों पर सफलता मिली थी। एक दशक पहले ‘हाथी’ के अकेले चुनाव मैदान में उतरने पर पार्टी शून्य पर सिमट कर रह गई थी।                                सर्वाधिक 80 लोकसभा सीटों वाले प्रदेश में भाजपा के विजय रथ को थामने के लिए कांग्रेस की कोशिश रही कि विपक्षी गठबंधन में सपा-रालोद के साथ बसपा भी आ जाए लेकिन मायावती का आना तो दूर रालोद ने भी गठबंधन से नाता तोड़ लिया।                                                        
    भाजपा का क्लीन स्वीप मिशन
                                                                    मायावती, गठबंधन की तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए कहती रही हैं कि पूर्व में गठबंधन करने से कांग्रेस या सपा के वोट बसपा को ट्रांसफर नहीं हुए। ऐसे में पार्टी को लाभ न होने से अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ने का उनका निर्णय ‘अटल’ है। इस बीच मिशन क्लीन स्वीप के लिए भाजपा जहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभाव रखने वाले रालोद को वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश के दलों को भी एनडीए में शामिल करने के साथ ही प्रभावशाली नेताओं को अपने पाले में लाने में जुटी हुई है।                                                        
    त्रिकोणीय हुआ लोकसभा चुनाव
                                                                    ऐसे में यह तो साफ है कि चुनाव में त्रिकोणीय लड़ाई देखने को मिलेगी।                                       त्रिकोणीय लड़ाई होने से एनडीए को उन सीटों पर भी फायदा होने की उम्मीद है जहां खासतौर से मुस्लिम, दलित व पिछड़ों की आबादी है। सपा-कांग्रेस और बसपा में मतदाताओं के बंटने से एनडीए की जीत की संभावना बढ़ जाएगी।                                                                               
                                                                                                गौरतलब है कि पिछला चुनाव सपा-बसपा और रालोद के मिलकर लड़ने पर एनडीए 64 सीटों पर ही जीत सकी थी, वहीं बसपा को 10 और सपा को पांच सीटों पर सफलता मिली थी। कांग्रेस को सिर्फ रायबरेली सीट पर सफलता मिली थी। वर्ष 2014 के चुनाव में बसपा और सपा में गठबंधन न होने से एनडीए 73 सीटों पर कामयाब रही थी।                                                                               
    2019 में बसपा को पांच सीटों पर मिली थी जीत
                                                                                             सपा तो पांच पर जीती थी लेकिन बसपा का खाता तक नहीं खुला था। चूंकि अबकी सपा-कांग्रेस साथ है इसलिए मुस्लिम मतों का एकतरफा झुकाव उसकी ओर होने से गठबंधन को तो फायदा हो सकता है लेकिन बसपा के लिए सिर्फ दलित वोट के दम पर किसी भी सीट पर जीत सुनिश्चित करना मुश्किल दिख रहा है।                                                                               
                                                                                                वैसे भी तमाम योजनाओं के दम पर भाजपा पहले ही दलितों में काफी हद तक सेंध लगा चुकी है। अपर कास्ट के साथ ही खिसकते दलित वोट बैंक का ही नतीजा रहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा 403 में से सिर्फ एक सीट पर जीती। एक बार फिर अकेले चुनाव लड़ने के निर्णय से मायावती के आगे न पलटने पर पार्टी के मौजूदा सांसद भी उनका साथ छोड़ते दिख रहे हैं।                                                                               
                                                                                                सूत्रों के मुताबिक बसपा के 10 में से एक सुरक्षित सीट को छोड़ शेष नौ सीटों के सांसद दूसरे दलों से टिकट की उम्मीद लगाए हुए हैं।                                                                               
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