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Lok Sabha Election 2024: छठे-सातवें चरण की इन दो सीटों पर टिकी कांग्रेस की उम्मीदें, भाजपा से है सीधी लड़ाई

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सपा के साथ गठबंधन करके 17 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ रही है। पांच चरणों में सहारनपुर अमरोहा मथुरा गाजियाबाद. बुलंदशहर फतेहपुर सीकरी सीतापुर कानपुर रायबरेली अमेठी बाराबंकी व झांसी की सीटों पर चुनाव हो चुका है। छठे चरण में कांग्रेस इलाहाबाद की एकमात्र सीट पर चुनाव लड़ रही है। सातवें चरण में बांसगांव देवरिया महाराजगंज व वाराणसी की सीटों पर चुनाव होगा।

By Manoj Kumar Tripathi Edited By: Vinay Saxena Published: Thu, 23 May 2024 03:44 PM (IST)Updated: Thu, 23 May 2024 03:44 PM (IST)
लोकसभा चुनाव के छठे व सातवें चरण में कांग्रेस की उम्मीदें इलाहाबाद और बांसगांव पर टिकी हैं।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। लोकसभा चुनाव के छठे व सातवें चरण में कांग्रेस की उम्मीदें इलाहाबाद और बांसगांव पर टिकी हैं। दोनों चरणों में इलाहाबाद, बांसगांव, देवरिया व महाराजगंज में कांग्रेस व भाजपा में सीधी लड़ाई है। इलाहाबाद में दो राजनीतिक घरानों की लड़ाई में 40 वर्ष बाद कांग्रेस वापसी करने की कवायद में जुटी है। इस सीट पर कांग्रेस से फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन ने 1984 में अंतिम चुनाव जीता था। उसके बाद से कांग्रेस इस सीट पर लोस चुनाव नहीं जीत पाई है। वहीं बांसगांव में बसपा छोड़कर कांग्रेस में आए पूर्व मंत्री सदल प्रसाद से भी कांग्रेस ने काफी उम्मीदें लगा रखी हैं।

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सपा के साथ गठबंधन करके 17 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ रही है। पांच चरणों में सहारनपुर, अमरोहा, मथुरा, गाजियाबाद. बुलंदशहर, फतेहपुर सीकरी, सीतापुर, कानपुर, रायबरेली, अमेठी, बाराबंकी व झांसी की सीटों पर चुनाव हो चुका है। छठे चरण में कांग्रेस इलाहाबाद की एकमात्र सीट पर चुनाव लड़ रही है। सातवें चरण में बांसगांव, देवरिया, महाराजगंज व वाराणसी की सीटों पर चुनाव होगा।

इलाहाबाद में दो राजनीतिक घरानों के बीच सीधी लड़ाई

इलाहाबाद में इस बार दो राजनीतिक घरानों के बीच सीधी लड़ाई हो रही है। कांग्रेस ने पूर्व मंत्री व सांसद तथा सपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे रेवती रमण सिंह के बेटे उज्जवल रमण सिंह को चुनावी रण में उतारा है। वहीं भाजपा ने पूर्व राज्यपाल व दिग्गज भाजपा नेता केसरीनाथ त्रिपाठी के बेटे नीरज त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया है।

इस सीट पर 1984 में फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन ने कांग्रेस को जीत दिलाई थी। उसके बाद से यह सीट कांग्रेस की झोली में नहीं आ पाई। सपा की मदद से कांग्रेस 40 वर्षों बाद इस सीट पर वापसी की उम्मीद कर रही है। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा, जनेश्वर मिश्र, पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह व मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गजों की सीट रही इलाहाबाद में इस बार होने वाली चुनावी लड़ाई पर सभी नजरें टिकी हैं।

सातवें चरण में कांग्रेस की नजरें बांसगांव में ट‍िकीं

सातवें चरण में कांग्रेस की नजरें बांसगांव में भाजपा से हो रही सीधी लड़ाई पर टिकी हैं। हालांकि यहां की पांचों विधानसभा सीटों चौरी-चौरा, बांसगांव, चिल्लूपार, रुद्रपुर व बरहज पर भाजपा का कब्जा है। गोरखपुर व देवरिया से जुड़ी इस सीट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी अच्छा प्रभाव है। इस बार बसपा छोड़कर आए पूर्व मंत्री सदल प्रसाद कांग्रेस से चुनावी मैदान में हैं तो तीन बार लोस चुनाव जीत चुके कमलेश पासवान एक बार फिर से भाजपा के उम्मीदवार बने हैं।

इस सीट पर सदल प्रसाद के साथ-साथ कमलेश पासवान का वोट प्रतिशत भी बढ़ रहा है। 2014 में बसपा की टिकट पर लड़े सदल प्रसाद को 26.02 प्रतिशत तो कमलेश पासवान को 47.61 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं 2019 में सदल को 40.57 तथा कमलेश पासवान को 56.41 प्रतिशत वोट मिले थे। इस सीट पर भी सपा के सहारे कांग्रेस अपनी चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश में है। इसीलिए राहुल गांधी के साथ अखिलेश के चुनावी प्रचार के कार्यक्रम तय किए जा रहे हैं।

वाराणसी, देवरिया व महाराजगंज में भी कसर नहीं छोड़ेगी कांग्रेस

प्रदेश की सबसे हाईप्रोफाइल सीट वाराणसी से प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री अजय राय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मुकाबले में चुनावी मैदान में हैं। 2009 के चुनाव से इस सीट पर भाजपा का वोट प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। 2009 में भाजपा को 30.52, 2014 में 56.37 व 2019 में 63.62 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को 2009 में 9.98, 2014 में 7.34 और 2019 में 14.38 प्रतिशत वोट मिले थे। इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा में वोट प्रतिशत बढ़ाने की लड़ाई है।

वहीं देवरिया से कांग्रेस के बड़े चेहरे के रूप में पहचान रखने वाले पूर्व विधायक अखिलेश प्रताप सिंह का मुकाबला भाजपा के शशांक मणि त्रिपाठी से है। आइआइटी दिल्ली से पढ़े शशांक मणि सामाजिक उद्यमी व लेखक के साथ राजनेता के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। इस सीट पर भाजपा का लगातार बढ़ रहा वोट प्रतिशत अखिलेश के लिए बड़ी चुनौती है। भाजपा को 2014 में 51.07 व 2019 में 57.19 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को 2014 में 3.88 व 2019 में 5.03 प्रतिशत वोट ही पड़े थे। वहीं बसपा को 2014 में 23.77 व 2019 में 32.57 प्रतिशत वोट मिले थे।

महाराजगंज में कांग्रेस के वीरेंद्र चौधरी का मुकाबला भाजपा से छह बार के सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री पंकज चौधरी से है। 2014 व 2019 में पंकज चौधरी को क्रमश 44.65 व 59.20 प्रतिशत वोट मिले थे। कांग्रेस ने इस सीट पर 2009 में जीत दर्ज की थी। पंकज चौधरी इस सीट से कांग्रेस की लहर में भी चुनाव जीते थे। इसलिए यहां का मुकाबला कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा।

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