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यूपी सरकार में पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल स‍िंह ने कहा- प्रदेश के चार जिलों में गो संरक्षण के ल‍िए बनेंगे गो अभ्यारण

उत्‍तर प्रदेश के चार ज‍िलों में गो-अभ्यारण बनाए जाएंगे। पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल स‍िंह ने बताया क‍ि महराजगंज फर्रुखाबाद लखीमपुर खीरी व शाहजहांपुर में गो-अभ्यारण की स्थापना का निर्णय ल‍िया गया है। इन्‍हें पर्यटन स्थल के रूप में विकसित क‍िया जाएगा।

By Prabhapunj MishraEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 01:29 PM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 01:29 PM (IST)
यूपी सरकार में पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल स‍िंह ने कहा- प्रदेश के चार जिलों में गो संरक्षण के ल‍िए बनेंगे गो अभ्यारण
पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल स‍िंह ने कहा- प्रदेश के चार जिलों में बनेंगे गो अभ्यारण

लखनऊ, राज्य ब्यूरो । पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल स‍िंह ने कहा है कि निराश्रित पशुओं के लिए प्रदेश के चार जिलों-महराजगंज, फर्रुखाबाद, लखीमपुरखीरी व शाहजहांपुर में गो-अभ्यारण बनाये जाएंगे। अधिकारियों से उन्होंने कहा कि अभ्यारण्य स्थापित करने के लिए ऐसे जिलों को चिन्हित किया जाएगा जहां पर पर्याप्त जंगल व खाली जमीन उपलब्ध हो, ताकि ऐसे स्थानों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के साथ ही गोवंश संरक्षण और स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध हो सकें।

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पशुधन मंत्री ने सभी जिलाधिकारियों, मुख्य विकास अधिकारियों व मुख्य पशु चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सात जून तक जिलों में तैयार कराए जा रहे भूसा बैंकों में पर्याप्त मात्रा में भूसे की व्यवस्था कर ली जाए। उन्होंने भूसा खरीदने के लिए प्राथमिकता के आधार पर टेंडर निकाले जाने और 1 मार्च 2023 तक के लिए भूसे का भंडारण करने के निर्देश दिये हैं।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में 16 मई तक 15 लाख 62 हजार 387 टन भूसे की व्यवस्था कर ली गयी है। उन्होंने यह भी कहा कि मानसून के समय पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था अभी से किया जाना जरूरी है। पशुओं की संख्या को देखते हुए अलग-अलग जिलों में आवश्यकता का आकलन करके उसी के हिसाब से भूसे का भंडारण किया जाए, ताकि निराश्रित पशुओं का संरक्षण व देखभाल उचित तरीके से संभव हो सके।

पशुधन मंत्री ने यह भी कहा है कि सरकार ने निराश्रित पशुओं के लिए संरक्षण व भरण-पोषण के लिए ठोस कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि गो-अभ्यारण्य के माध्यम से दूध व दुग्ध सहउत्पाद से लेकर गोबर, गोमूत्र तक का व्यावसायिक उपयोग किये जाने की संभावनाओं पर कार्य किए जाने के निर्देश दिए हैं।


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