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    सावधान! टाइफाइड से प्रभावित हो रहा लिवर, SGPGI के विशेषज्ञ बोले; इंट्रावेनस एंटीबायोटिक से इसका इलाज संभव

    By Vikas MishraEdited By:
    Updated: Wed, 14 Jul 2021 10:24 AM (IST)

    बस्ती निवासी बारह वर्षीय सत्यम को बुखार लंबे समय से आ रहा था। डाक्टर दवा देते तो कम होता लेकिन फिर एक-दो दिन बाद तेज बुखार होने लगता। इस तरह 15 दिन बीतने के बाद खून की जांच हुई तो पीलिया का पता लगा। उसका लिवर प्रभावित हो गया था।

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    पीलिया का कारण जानने के लिए डाक्टर ने वायरल के साथ अन्य कई जांचें करवाई।

    लखनऊ, [कुमार संजय]। बस्ती निवासी बारह वर्षीय सत्यम को बुखार लंबे समय से आ रहा था। डाक्टर दवा देते तो कुछ कम होता, लेकिन फिर एक-दो दिन बाद तेज बुखार होने लगता। इस तरह 15 दिन बीतने के बाद खून की जांच हुई तो पीलिया का पता लगा। उसका लिवर प्रभावित हो गया था। डाक्टर की सलाह पर परिजन ने पीजीआइ के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोइंटेरोलाजिस्ट प्रो. मोइनक सेन शर्मा को दिखाया।

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    पीलिया का कारण जानने के लिए वायरल, हेपेटाइटिस ए, बी, सी और ई की जांच करवाई। संक्रमण शुरुआती जांच में नहीं मिला और बुखार में कोई कमी नहीं आयी तो अल्ट्रासाउंड के साथ कई जांच कराई गई तो पता चला कि विडाल टीएच (सैल्मोनेला टाइफी) 640 टाइटर यानी इंड टाइटर तक पाजिटिव आया। इसके साथ ही टीओ 160 टाइटर तक पाजिटिव आया। इसके इलाज के खास एंटीबायोटिक इंट्रावेनस देना शुरू किया तब जाकर पांच दिन बाद बुखार आना बंद हुआ। डाक्टर का कहना है कि दस दिन तक इंट्रावेनस दवा देने के बाद खाने की गोली के रूप में एंटीबायोटिक जारी रहेगी। भारत में टाइफाइड प्रति एक लाख आबादी में 493.5 लोगों को प्रभावित करता है।

    ये होती है परेशानीः तेज बुखार, सिरदर्द, उबकाई आना, भूख कम होना, कब्ज और डायरिया, टाइफाइड के मुख्य लक्षण हैं। गंभीर टाइफाइड संक्रमण जटिलताओं को बढ़ा देता है और मौत तक की वजह बन सकता है। दो से पांच वर्ष की आयु वर्ग के ब'चों पर इसका खतरा ज्यादा होता है। गंभीर टाइफाइड तो बड़े लोगों में भी हो सकता है।

    ऐसे करें बचावः पेय पदार्थ बिना बर्फ के ही पीएं। बर्फीली चीजें न खाएं। भोजन पूरी तरह पकाएं। गर्म तथा वाष्प निकलने वाले खाद्य पदार्थ ही खाएं। क'ची ऐसी साग सब्जियां और फल न खाएं जिन्हें छीलना संभव न हो। छिलके न खाएं। खाने से पहले हाथ साबुन से धो लें। पानी हमेशा उबालकर ही पीएं।

    हमारे पास ऐसे मामले महीने में आठ से दस आते हैं। टाइफाइड का सही समय पर सही इलाज न होने पर आंत में छेद तक हो जाता है। टाइफाइड के कारण लिवर एंजाइम बढ़ा होने पर सबसे पहले शक वायरल हेपेटाइटिस पर ही जाता है। इसके साथ ही बुखार के दूसरे कारणों की भी जांच करानी चाहिए। -मोइनक सेन शर्मा, प्रोफेसर, पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलाजी।

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