Leopard in Lucknow: लखनऊ के गन्ना अनुसंधान केंद्र में छुपा था तेंदुआ, रात में कैंट में सड़क पार करता दिखा
Leopard In Lucknow तेंदुआ के पगमार्क छह से सात इंच के हैं। उसको गन्ना अनुसंधान केंद्र के पास में ही इच्छुपुरी कालोनी के सामने सड़क पर जाते देखा गया। देर रात कार से जा रहे एक व्यक्ति ने रविवार को सड़क पार कर रहे तेंदुआ की फोटो भी ली थी।

जागरण संवाददाता, लखनऊ: राजधानी लखनऊ में तेंदुआ के कैंट क्षेत्र में दिखने के बाद से खलबली मची है। तेंदुआ यहां के गन्ना अनुसंधान केंद्र में छुपा था। सोमवार को उसकी खोज में लगी वन विभाग की टीम को उसके पगमार्क भी गन्ना अनुसंधान केंद्र परिसर में दिखाई दिए हैं।
लिहाजा वन विभाग ने गन्ना अनुसंधान केंद्र में ही अपना जाल बिछाया है, लेकिन दूर तक जंगल दिखने के कारण उसे पकड़ना भी आसान नहीं है। तेंदुआ के पगमार्क छह से सात इंच के हैं। उसको गन्ना अनुसंधान केंद्र के पास में ही इच्छुपुरी कालोनी के सामने सड़क पर जाते देखा गया। देर रात कार से जा रहे एक व्यक्ति ने रविवार को सड़क पार कर रहे तेंदुआ की फोटो भी ली थी।
वन विभाग 90 प्रतिशत तेंदुआ होने की बात मान रहा है, लेकिन उसे दस प्रतिशत यह भी आशंका है कि जीव फीशिंग कैट भी हो सकता है। फिलहाल तेंदुआ की निगरानी करने के लिए दो कैमरे भी लगा दिए हैं। वन विभाग ने पिंजरा लगाने के साथ ही घेराबंदी की है। सुरक्षा की दृष्टि से लोगों से आवागमन कम करने को कहा गया है और मार्निंग वाक न करने की भी सलाह दी गई है, दरअसल कैंट क्षेत्र में वाकिंग प्लाजा भी है और पाथ-थे पर भी लोग टहलते हैं। डीएफओ अवध सितांशु पांडेय का कहना है कि सुरक्षा के सभी इंतजाम किए गए हैं और टीम को भी मौके पर रहकर निगरानी करने को कहा गया है।
नदी के सहारे लखनऊ पहुंच जाते हैं वन्यजीव
1993 से अब तक कई तेंदुआ और बाघ-बाघिन लखनऊ आ चुके हैं
वर्ष 1993 में तो कुकरैल के जंगल में खूंखार हो गए एक बाघ को मारना तक पड़ा था।
वर्ष 2009 में माल के कमालपुर लधौरा में तेंदुआ पकड़ा गया
वर्ष 2009 में मोहनलालगंज में दहशत फैलाने वाले बाघ को फैजाबाद में मारा गया था।
वर्ष 2012 में माल के उतरेटिहा गांव में तेंदुआ पकड़ा गया।
21-22 अप्रैल 2013 की रात पीजीआइ के पास रानी खेड़ा में तेंदुआ पकड़ा गया।
करीब पांच साल पहले आशियाना में घर घुस आए तेंदुआ को पुलिस ने मार गिराया था।
चार साल ठाकुरगंज के एक प्राथमिक स्कूल में तेंदुआ घुस आया था और पकड़ा गया।
वर्ष 2009 में माल के कमालपुर लधौरा में तेंदुआ पकड़ा गया।
वर्ष 2009 में मोहनलालगंज में दहशत फैलाने वाले बाघ को फैजाबाद में मारा गया था।
वर्ष 2012 में माल के उतरेहटा गांव में तेंदुआ पकड़ा गया।
अप्रैल 2012 में काकोरी के रहमान खेड़ा में बाघ पकड़ा गया।
करीब पांच साल पहले आशियाना में घर घुस आए तेंदुआ को पुलिस ने मार गिराया था
21-22 अप्रैल 2013 की रात पीजीआइ के पास रानी खेड़ा में तेंदुआ पकड़ा गया।
2012 में बाघ काकोरी के रहमान खेड़ा में 100 दिन से अधिक समय रहा था।
पिछले साल 12 दिसंबर में काकोरी के रहमान खेड़ा में दिखा बाघ तीन माह बाद पांच मार्च को पकड़ा गया था।
13 फरवरी 2025 को पारा में बरात आने के समय तेंदुआ आ गया था और कई पर हमला कर दिया था।
लापरवाही न बन जाए किसी की जान की दुश्मन
अतीत की घटनाओं को देखा जाए तो शहरी क्षेत्र में कई बार बाघ से लेकर तेंदुआ तक आ चुके हैं। पिछले महीने ही काकोरी क्षेत्र के रहमान खेड़ा में तेंदुआ देखा गया था, लेकिन उसके बाद उसकी कोई लोकेशन नहीं मिल पाई थी। उस तेंदुआ के भी पगमार्क छह से सात इंच के पाए गए थे। उसने बछिया का शिकार भी कर लिया था। वन विभाग के पास संसाधनों की कमी है और जिला स्तर पर तो टीम का भी अभाव है। जिसके कारण उसका निगरानी करना संभव नहीं है। संसाधन का हाल यह है कि रहमान खेड़ा में देखे गए तेंदुए की निगरानी के लिए लगाए गए कैमरों को उतारकर गन्ना अनुसंधान केंद्र में लगाया गया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।