विधायक निधि की बची रकम अगले वर्ष हो सकेगी इस्तेमाल, सरकार ने विधान परिषद में सदस्यों को दिया आश्वासन
विधान परिषद में विधायक निधि के उपयोग का मुद्दा उठा जिसमें सदस्यों ने सीडीओ द्वारा 31 मार्च तक निधि खर्च करने के दबाव पर आपत्ति जताई। विपक्ष और सत्तापक्ष ने राशि को अगले वर्ष हस्तांतरित करने की मांग की। श्रम मंत्री ने आश्वासन दिया कि बची हुई निधि अगले साल उपयोग हो सकेगी। अधिष्ठाता जयपाल सिंह व्यस्त ने सरकार को सर्वमान्य समाधान निकालने के निर्देश दिए।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। विधान परिषद में सोमवार को सदस्यों ने विधायक निधि के उपयोग का मुद्दा उठाया। जिलों में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) 31 मार्च तक इस निधि का उपयोग करने का दबाव बना रहे हैं। अधिकारी इसे निर्धारित समय-सीमा में न खर्च कर पाने पर वापस सरकारी खजाने में भेजने की बात कह रहे हैं।
विपक्ष के साथ-साथ सत्तापक्ष के सदस्यों ने इस मुद्दे पर पीठ से सरकार को दिशा-निर्देश देने की मांग की। जिस पर सरकार की ओर से श्रम एवं सेवायोजन मंत्री ने आश्वासन दिया कि बची रकम अगले साल उपयोग हो सकेगी।
सपा की ओर से आशुतोष सिन्हा व किरण पाल कश्यप और भाजपा की ओर से उमेश द्विवेदी व हरि सिंह ढिल्लो इत्यादि ने मांग उठाई कि जब विधायक निधि की बची रकम को सदस्य अपने कार्यकाल में छह वर्षों अगले वर्ष हस्तांतरित कर सकता है तो फिर सीडीओ ऐसा दबाव क्यों बना रहे हैं।
31 मार्च तक निधि खर्च करने का दबाव बना रहे सीडीओ
सदस्यों ने कहा कि विकास कार्यों के जो प्रस्ताव हम लोगों की ओर से भेजे जाते हैं, उन्हें तो दो-दो साल पास होने में लग जाते हैं। फिर 31 मार्च तक धनराशि खर्च करने की इतनी तत्परता अधिकारी क्यों दिखा रहे हैं।
अधिष्ठाता जयपाल सिंह व्यस्त ने निर्देश दिए कि इसका सर्वमान्य हल सरकार निकाले। फिलहाल सरकार की ओर से आश्वासन मिलने के बाद सदस्य माने। विधान परिषद सदस्यों को विधायक निधि के रूप में प्रति वर्ष पांच करोड़ रुपये दिए जाते हैं।
कृषि अनुदान पर चर्चा पूरी न होने पर सदन में सपा ने की नारेबाजी
वहीं, विधानसभा में सोमवार को कृषि अनुदान संख्या-11 पर चर्चा के दौरान सपा ने विधानसभा अध्यक्ष आसन के समक्ष जाकर नारेबाजी की। सपा सदस्य कटौती प्रस्ताव पर तत्काल अन्य सदस्यों द्वारा बल दिए जाने के लिए समय देने की मांग कर रहे थे। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के समझाने पर विपक्ष के सदस्य वापस अपनी सीट पर जाकर बैठे।
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने अनुदान संख्या-11 कृषि तथा संबद्ध विभागों के तहत होने वाले परिव्ययों को चुकाने के लिए बजट में प्रविधानित धनराशि 09 हजार 75 करोड़ 03 लाख 96 हजार रुपये स्वीकृत किए जाने का प्रस्ताव सदन में प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा कि 2017 से जब से भाजपा की सरकार आई है व्यापक कार्ययोजना बनाकर कृषि क्षेत्र में काम हो रहा है। 2017 के मुकाबले खाद्यान उत्पादन में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। तिलहन उत्पादन में राज्य में 128 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस वर्ष दूसरा कृषि कुंभ आयोजित किए जाने की जानकारी उन्होंने दी।
कृषि मंत्री ने पूर्व की सपा सरकार के समय कृषि क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किए जाने का आरोप लगाते हुए नालायकियत शब्द का इस्तेमाल किया। इस शब्द पर सपा सदस्यों ने विरोध किया, कहा कि यह संसदीय नहीं है। सपा सदस्य आरके वर्मा ने अनुदान संख्या-11 पर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कृषि बजट को एक रुपये करने की मांग की।
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