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    अब यूपी के सरकारी स्कूलों की भी बदलेगी पिक्चर, क्या है लर्निंग बाय डूइंग कार्यक्रम? 

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 07:15 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में 'लर्निंग बाय डूइंग' कार्यक्रम शुरू किया गया है, जिसके तहत बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ व्यावहारिक कौशल भी सिखाए जाएंगे। स्कूलों को स्किल हब के रूप में विकसित किया जा रहा है। वर्ष 2024-25 में 2274 स्कूलों में यह कार्यक्रम शुरू हो चुका है, और अगले सत्र में 3288 और विद्यालय जोड़े जाएंगे। महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं।

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश के सभी परिषदीय विद्यालयों में अब बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ व्यावहारिक कौशल भी सिखाए जाएंगे। इसके लिए लर्निंग बाय डूइंग (करके सीखना) कार्यक्रम शुरू किया गया है। स्कूलों को स्किल हब के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां कक्षा छह से आठवीं तक के बच्चे विभिन्न ट्रेड्स से जुड़ी गतिविधियों का अभ्यास करेंगे।

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    वर्ष 2024-25 में 2274 उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों में यह कार्यक्रम शुरू हो चुका है। अगले सत्र 2025-26 में 3288 और विद्यालय जोड़े जा रहे हैं। बाद में सभी कंपोजिट व उच्च प्राथमिक स्कूलों में यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने इसे लागू करने के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं।

    लैब शुरू करने के लिए जिस स्कूल का चयन होगा, उसमें एक अतिरिक्त कक्षा, कृषि गतिविधियों के लिए पर्याप्त भूमि, गणित-विज्ञान शिक्षक की तैनाती, कक्षा छह से आठवीं में कम से कम 60 छात्र, तीन शिक्षक, सक्रिय बिजली कनेक्शन, बाउंड्रीवाल और पेयजल जैसी सुविधाएं जरूरी होंगी।

    हाल ही में स्थानांतरित होकर आए प्रशिक्षित शिक्षकों वाले स्कूलों को प्राथमिकता मिलेगी। राज्य स्तर से 155 तरह के उपकरण स्कूलों को भेजे जा रहे हैं, जबकि 50 प्रकार के टूल्स स्थानीय स्तर पर स्कूल प्रबंधन समिति खरीदेगी। विज्ञान और गणित शिक्षकों का प्रशिक्षण अनिवार्य है। लैब में बच्चों को सप्ताह में दो दिन प्रैक्टिकल कराया जाएगा। गणित, विज्ञान, कृषि और गृह विज्ञान से जुड़े प्रयोगों के माध्यम से बच्चों को अवधारणाएं सरल और व्यावहारिक तरीके से समझाई जाएंगी।