अब LDA करेगा अखिलेश सरकार ने ड्रीम प्रोजेक्ट JPNIC का रखरखाव, योगी कैबिनेट ने लगाई मुहर
लखनऊ में जेपीएनआईसी परियोजना को योगी सरकार ने नया जीवन दिया है। अखिलेश यादव के कार्यकाल में शुरू हुई इस परियोजना को अब एलडीए संभालेगा जेपीएनआईसी सोसाइटी भंग कर दी गई है। 821.74 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी परियोजना अधूरी है। जांच में अनियमितताएं पाई गईं। अब पीपीपी मॉडल के तहत इसे पूरा किया जाएगा।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बैठक में गुरुवार को जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (जेपीएनआइसी) परियोजना को नया जीवन देने का निर्णय लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में शुरू हुई परियोजना को लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) को सौंपने के फैसले पर मुहर लगाई गई है। सपा सरकार द्वारा संचालन के लिए बनाई गई जेपीएनआइसी सोसाइटी को भंग कर दिया गया है। अब एलडीए इस केंद्र के संचालन और रखरखाव का जिम्मा संभालेगा।
जेपीएनआइसी परियोजना की शुरुआत 2013 में सपा सरकार में हुई थी, जिसकी प्रस्तावित लागत एलडीए द्वारा 421.93 करोड़ रुपये आंकी थी। व्यय वित्त समिति ने इसे 265.58 करोड़ रुपये तक सीमित किया लेकिन इसके बाद कई बार बजट रिवीजन किया गया। 2015 में लागत बढ़ाकर 615.44 करोड़ रुपये की गई फिर उसी साल इसे 757.68 करोड़ रुपये तक पहुंचाया गया। नवंबर 2016 में तीसरी बार रिवीजन के बाद लागत 864.99 करोड़ रुपये हो गई, यानी प्रस्तावित लागत का दोगुणा से भी ज्यादा। इस राशि में से 821.74 करोड़ रुपये खर्च भी किए गए, लेकिन परियोजना अब तक अधूरी पड़ी है।
सपा ने जेपीएनआइसी के संचालन के लिए जेपीएनआइसी सोसाइटी बनाई थी। इस सोसाइटी के गठन का मकसद परियोजना को पारदर्शी और कुशलता से चलाना था, लेकिन सोसाइटी के जरिए ठेकों और फंड के आवंटन में गड़बड़ियां की गई थीं। योगी सरकार ने इस सोसाइटी को भंग कर दिया है।
अधूरी सुविधाएं, बेकार पड़ा ढांचा
18.6 एकड़ में फैला जेपीएनआइसी एक बहुउद्देश्यीय केंद्र के रूप में डिजाइन किया गया था, जिसमें कन्वेंशन हाल, 107 कमरों वाला लग्जरी होटल, जिम, स्पा, सैलून, रेस्तरां, ओलंपिक साइज का स्विमिंग पूल, 591 गाड़ियों के लिए सात मंजिला कार पार्क और जय प्रकाश नारायण के जीवन को समर्पित एक संग्रहालय शामिल था लेकिन सुरक्षा कारणों से इमारत बंद पड़ी है और निर्माण कार्यों की जांच अब भी जारी है।
योगी सरकार ने कराई थी थर्ड पार्टी जांच
2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार ने परियोजना को पूरा करने के लिए कई कदम उठाए, जिसमें तीसरे पक्ष की जांच भी शामिल थी। भारत सरकार के उपक्रम मेसर्स राइट्स लिमिटेड से कराई गई थी जांच में कई अनियमितताएं सामने आई थीं। संबंधित वेंडर की 2.5 करोड़ रुपये की सिक्योरिटी जब्त की गई और आवास व शहरी नियोजन अनुभाग द्वारा दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। जांच कमेटी ने तत्कालीन एलडीए वीसी, चीफ इंजीनियर व फाइनेंस कंट्रोलर समेत कई अफसरों को दोषी माना था।
पीपीपी के तहत अब पूरी होगी परियोजना
जांच में परियोजना को पूरा करने के लिए 925.42 करोड़ रुपये के संशोधित बजट का प्रस्ताव दिया गया, जिसे शासन ने व्यावहारिक प्रस्ताव की कमी के कारण निरस्त कर दिया था। इसके बाद एलडीए ने एक नया प्रस्ताव तैयार किया, जिसमें निजी सहभागिता के जरिए रिक्वेस्ट फार प्रपोजल (आरएफपी) और लीज या रेवेन्यू शेयरिंग माडल के तहत परियोजना को पूरा करने की योजना बनाई गई। इस माडल के तहत, निजी एजेंसी द्वारा फीनिशिंग और बाकी कार्य किए जाएंगे, जिससे शासन पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ न पड़े और परियोजना संचालित हो सके।
सात फीट ऊंचा गेट लांघकर पहुंचे थे अखिलेश
सपा और अखिलेश यादव इस अधूरी इमारत को लेकर लगातार बयान देते रहे हैं। 11 अक्टूबर 2024 को पूर्व मुख्यमंत्री जेपीएनआइसी का आठ फीट ऊंचा गेट लांघकर पहुंचे और जय प्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया था।
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