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    Lucknow News: अब एलडीए पूरा करेगा जेपीएनआइसी का अधूरा काम, शासन ने द‍िए 73 करोड़ रुपये

    By Nishant YadavEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Thu, 24 Nov 2022 11:41 PM (IST)

    जेपीएनआईसी का निर्माण वर्ष 2013 में समाजवादी पार्टी की सरकार में शुरू हुआ था। वर्ष 2016 तक जेपीएनआइसी के निर्माण पर कुल 813 करोड़ रुपये खर्च हो गए थे। एलडीए ने जेपीएनआइसी की फाइल मंगाकर कार्यवाही शुरू कर दी।

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    शासन की जगह अब लविप्रा के पास होगा जेपीएनआइसी को पूरा करने का काम।

    लखनऊ, जागरण संवाददाता। सपा सरकार में बने जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (जेपीएनआइसी) के अधूरे कामों को पूरा करने की कार्रवाई तेज हो गयी है। शासन ने अब इस प्रोजेक्ट को लविप्रा को सौंपने का आदेश दिया है। वहीं अब सीजी सिटी की सरप्लस धनराशि से जेपीएनआइसी के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए 73.01 करोड़ रुपये बिना ब्याज के उपलब्ध कराने के आदेश दिए गए हैं। शासन के आदेश के बाद लविप्रा के अधिकारियों ने जेपीएनआइसी की फाइल मंगाकर कार्यवाही भी शुरू कर दी।

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    समाजवादी पार्टी की सरकार में शुरू हुआ था न‍िर्माण 

    सपा सरकार में वर्ष 2013 में जेपीएनआईसी का निर्माण शुरू हुआ था। वर्ष 2016 तक जेपीएनआइसी के निर्माण पर कुल 813 करोड़ रुपये खर्च हो गए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जेपीएनआइसी में 11 अक्टूबर 2016 को स्पोर्ट्स कांप्लेक्स का उद्घाटन भी किया था। जबकि आल वेदर ओलंपिक के आकार वाले स्विमिंग पूल और मल्टीपरपज कोर्ट जैसे काम अब तक पूरे नहीं हो सके।

    कृत्र‍िम झील का भी हुआ था न‍िर्माण

    यहां जेपी म्यूजियम और मुख्य जेपीएनआईसी परिसर के बीच एक कृत्रिम झील का निर्माण भी किया गया था। वर्ष 2017 से जेपीएनआइसी का काम बंद पड़ा था। इस प्राेजेक्ट को पूरा करने के लिए नौ मार्च 2022 को 950.33 करोड़ रुपये का संशोधित डीपीआर भौतिक परीक्षण के बाद शासन को भेजा गया था। जेपीएनआइसी को लेकर 10 अक्टूबर को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक भी हुई थी।

    ब‍िना ब्‍याज के दी जाएगी धनराश‍ि 

    बैठक में ही सीजी सिटी की सरप्लस धनराशि से बिना ब्याज के 73.01 करोड़ रुपये का ऋण उपलब्ध कराने का निर्देश दिए गए थे। शासन में संयुक्त सचिव लाल धीरेंद्र राव ने मंडलायुक्त को पत्र भेजकर पत्र लिखकर जेपीएनआइसी को पूरा करने के लिए ठोस डीपीआर उपलब्ध कराने को कहा है। साथ ही इस परियोजना को अब शासन की जगह लविप्रा को हस्तांतरित कर दिया जाए।