सरकारी अस्पतालों में बढ़ेगी 'लैप्रोस्कोपिक सर्जरी' की सुविधा, UP के इन जिलों को मिली बड़ी सौगात
सरकारी अस्पतालों में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की सुविधा बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत एसएसपीजी अस्पताल खुर्जा, जिला चिकित्सालय मऊ, रायबरेल ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। सरकारी अस्पतालों में लैप्रोस्कोपिक (दूरबीन विधि) सर्जरी की सुविधा बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। एसएसपीजी अस्पताल खुर्जा, जिला चिकित्सालय मऊ और रायबरेली तथा संयुक्त चिकित्सालय महराजगंज में लैप्रोस्कोप खरीदे जाएंगे। प्रत्येक अस्पताल को इसके लिए 20-20 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इसके अलावा लखनऊ के डा़ श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल और राम सागर मिश्र अस्पताल के लिए भी एक-एक लैप्रोस्कोप खरीदा जाएगा।
खुर्जा, महराजगंज और रायबरेली के अस्पतालों में अभी लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की सुविधा नहीं है। यहां मरीजों की ओपेन सर्जरी की जा रही है। लैप्रोस्कोप मिलने के बाद से वहां दूरबीन विधि से सर्जरी की सुविधा शुरू हो जाएगी। खुर्जा के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डा़ अनिल शर्मा ने बताया कि उनके अस्पताल में एक सर्जन की तैनाती है। लैप्रोस्कोपिक सर्जरी शुरू करने के लिए उपकरण की मांग की गई थी। जैसे ही उपलब्धता होगी, सर्जरी शुरू कर दी जाएगी।
महीने में होती हैं 150 से अधिक सर्जरी
जिला चिकित्सालय मऊ में एक लैप्रोस्कोप है। वहां महीने में 150 से अधिक सर्जरी होती है। इनमें आठ से दस सर्जरी दूरबीन विधि से की जा रही है। सीएमएस डा़ आरके गुप्ता ने बताया कि दूसरा उपकरण आने के बाद लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की संख्या बढ़ेगी और मरीजों को भी राहत मिलेगी।
रायबरेली के सीएमएस डा़ पुष्पेंद्र ने बताया कि उनके अस्पताल में दो सर्जन हैं, लेकिन लैप्रोस्कोप न होने के कारण अभी तक मरीजों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है। उपकरण आने के बाद सर्जरी की सुविधा शुरू हो जाएगी। महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डा़ रतन पाल सिंह सुमन ने बताया कि अस्पतालों में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की सुविधा बढ़ाने का उद्देश्य मरीजों को जल्द स्वास्थ्य लाभ पहुंचाना है।
लैप्रोस्कोप से तीन छोटे-छोटे छेदों के माध्यम से सर्जरी की जाती है। इससे मरीज के शरीर पर लंबे चीरे नहीं लगाने पड़ते हैं। इससे सर्जरी के बाद मरीज के घाव जल्दी भर जाते हैं और उसे अस्पताल से छुट्टी तीन दिन में मिल जाती है। इससे अन्य मरीजों को सर्जरी के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

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