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    बिहार में बढ़ सकती हैं लालू-पीके की मुश्किलें! चुनाव से पहले एक और बड़ी पार्टी ने पसारें पांव; सियासी हलचल तेज

    Updated: Tue, 18 Mar 2025 02:05 PM (IST)

    सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने राजस्थान में अपने पांव जमाने शुरू कर दिए हैं। पार्टी ने प्रदेश कार्यकारिणी में कई नियुक्तियां की हैं। वहीं बिहार में भी सुभासपा ने संगठन को विस्तार देते हुए कई पदाधिकारियों के मनोनयन का आदेश जारी किया है। दूसरी ओर सुभासपा के संगठन विस्तार को लेकर लालू प्रसाद यादव की आरजेडी और प्रशांत किशोर की जनसुराज की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

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    प्रशांत किशोर व लालू प्रसाद यादव (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। (Bihar Assembly Election) बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने अब राजस्थान में भी अपने पांव जमाना शुरू कर दिया है। पार्टी ने सोमवार को राजस्थान कार्यकारिणी में प्रदेश अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और दो सचिव मनोनीत कर दिए हैं। इसी तरह सुभासपा ने बिहार में भी संगठन को विस्तार देते हुए प्रखंड, जिला और विधानसभा स्तर के 58 पदाधिकारी के मनोनयन का आदेश जारी कर दिया है।

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    वहीं बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सुभासपा द्वारा संगठन को मजबूती देने से लालू यादव और प्रशांत किशोर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

    सुभासपा के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव डा. अरविन्द राजभर ने बताया कि राजस्थान में पार्टी पंचायत चुनाव लड़ेगी। इसी को देखते हुए पार्टी ने जय प्रकाश राठौड़ उर्फ बंटी सिंह को राजस्थान का प्रदेश अध्यक्ष, अभिषेक शर्मा उर्फ भारत शर्मा को उपाध्यक्ष, राजू सिंह राठौड़ और दीपक सिंह राठौड़ को संगठन में प्रदेश सचिव मनोनीत किया है।

    युवाओं को सौंपी जाएगी राजस्थान में जिम्मेदारी

    पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने बताया कि राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष और उपाध्यक्ष कार्यकारिणी का विस्तार करेंगे। ऊर्जावान युवाओं को पार्टी राजस्थान में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देगी। इसके लिए जल्द ही संगठन के कई वरिष्ठ पदाधिकारी राजस्थान का दौरा भी करेंगे। दूसरी ओर बिहार की जिन 29 सीटों पर सुभासपा ने अपनी तैयारी की है, वहां जिला, विधानसभा और प्रखंड स्तर पर जातीय समीकरण साधते हुए पदाधिकारी मनोनीत किए गए हैं।

    बसपा में काम करने वाला बढ़ेगा आगे, आड़े नहीं आएंगे मेरे रिश्ते-नाते: मायावती

    भतीजे आकाश आनंद से अपने उत्तराधिकारी और नेशनल कोआर्डिनेटर का पद छीनने के बाद बसपा प्रमुख मायावती पार्टी को मजबूत करने की कसरत में जुटी हैं। सबसे पहली कोशिश संगठन में विश्वास जगाने की है। मायावती ने सोमवार को कहा कि ‘रिश्ते-नाते, भाई-बहन मेरे लिए महज बहुजन समाज के लोगों के बराबर हैं। समाज से जो भी पार्टी हित में काम करेगा, उसे पार्टी में आगे बढ़ाया जाएगा।

    इस पर हमारे रिश्ते-नाते आड़े नहीं आएंगे।’ परिवारवाद पर इस सफाई के साथ मायावती ने उन नेताओं को भी संदेश दिया है, जो खुद को काम के हिसाब से तवज्जाे न मिलने से मायूस हैं या फिर पार्टी से बाहर जा चुके हैं। पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने के लिए बसपा प्रमुख की नजर खासतौर से वंचित समाज के युवाओं पर भी है। 

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