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लखनऊ : केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में देर रात लगी आग, कई लोगों ने भाग कर बचाई जान

राजधानी लखनऊ के केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में बुधवार को देर रात आग लग गई। वार्ड के कॉरीडोर-लिफ्ट में शॉर्ट-सर्किट से चैंबर धूं-धूंकर जलने लगा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 09 Apr 2020 12:22 AM (IST)Updated: Thu, 09 Apr 2020 08:27 AM (IST)
लखनऊ : केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में देर रात लगी आग, कई लोगों ने भाग कर बचाई जान
लखनऊ : केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में देर रात लगी आग, कई लोगों ने भाग कर बचाई जान

लखनऊ, जेएनएन। राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के ट्रॉमा सेंटर में बुधवार को देर रात आग लग गई। वार्ड के कॉरीडोर-लिफ्ट में शॉर्ट-सर्किट से चैंबर धूं-धूंकर जलने लगा। बिल्डिंग की लाइट कटा दी गई। वार्डों में धुआं भर गया। मरीज-तीमारदारों का दम घुटने लगा। ऐसे में कई लोगों ने भाग कर जान बचाई। रात में तीन फ्लोर खाली करा लिए गए।

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ट्रॉमा सेंटर पांच तल का है। इसमें चार सौ अधिक बेड हैं। रात 11 बजे द्वितीय तल पर आग लग गई। आर्थोपेडिक और मेडिसिन वार्ड के कॉरीडोर के फॉल्स से लपटे निकलने लगीं। इसके बाद लिफ्ट में भी धमाका हुआ। लिफ्ट का चैंबर धूं-धूंकर जलने लगा। ऐसे में द्वितीय तल पर हड़कंप मच गया। वार्ड के बाहर हॉल में सो रहे कई तीमारदार भाग गए। चारों ओर चीखपुकार मच गई। देखते ही देखते वार्डों में धुआं भर गया। मरीजों की जान पर आफत देख अफसरों को फोन किया गया। वहीं रेजीडेंट डॉक्टरों ने मरीजों को निकालना शुरू किया।

170 से अधिक मरीज थे भर्ती, स्टाफ-तीमारदार ने बचाई जान

ट्रॉमा सेंटर में 170 मरीज भर्ती थे। द्वितीय फ्लोर पर 39 बेड का मेडिसिन वार्ड है। वहीं 26 बेड का आर्थोपेडिक वार्ड हैं, मगर लॉकडाउन के चलते मरीज कम थे। रात में धुआं भरने से मरीजों का दम घुटने लगा। अफरा-तफरी मच गई। तीन फ्लोर के मरीज खाली कराए गए। कुल 50 मरीजों को गांधी वार्ड, लिंब सेंटर व बाल रोग में शिफ्ट किया गया। ऐसे में रेजीडेंट, तीमारदार, वार्ड ब्वॉय व अन्य कर्मचारी मरीज को रैंप से नीचे लाए। इस दौरान बच्चों व हड्डी के ऑपरेशन के मरीजों की जिंदगी दांव पर बन गई।

30 मिनट तक नहीं पहुंचे अफसर, फायर बिग्रेड ने बुझाई आग

स्टाफ ने आननफानन अफसरों को सूचना दी। 30 मिनट तक अफसर नहीं पहुंचे। 11 बजे आग लगी, वहीं अफसर 11:35 पर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। रेजीडेंट, कर्मचारी-तीमारदार ही मरीजों के लिए भगवान बने। इस दौरान स्ट्रेचर समय पर न मिलने से कई तीमारदार गोद में ही मरीज को लेकर भागे। एसपी आइपी सिंह के मु ताबिक मौके पर पहुंची फायर बिग्रेड की पांच गाड़ियों ने आग पर काबू पाया।

हर बार दूसरी मंजिल पर ही क्यों लगती है आग

ट्रॉमा सेंटर में बार-बार दूसरे तल पर ही आग लग रही है। 15 जुलाई 2017 को भी दूसरे तल के डिजास्टर वार्ड में आग लगी थी। इस दौरान मरीजों की शिफ्टिंग व धुएं में दम घुटने से आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। शासन ने मामले की जांच कराई। इंजीनियर सस्पेंड कर दिए गए, लेकिन फिर बहाल हो गए। वहीं रात में ट्रॉमा सेंटर में मीडिया कर्मियों के प्रवेश पर बैन रहा।

अफसर बोले, सब ठीक हो गया

ट्रॉमा सेंटर में केजीएमयू सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार, ट्रॉमा सीएमएस डॉ. संतोष कुमार, एमएस डॉ. सुरेश कुमार, केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. संदीप तिवारी, डॉ. समीर मिश्रा पहुंचे। इन्होंने व्यवस्थाओं की जांच की। प्रवक्ता डॉ. संदीप तिवारी के मुताबिक कुल 50 मरीज शिफ्ट किए गए। कोई हताहत नहीं हुआ है। आग के कारणों का पता नहीं चला है। इसकी जांच करवाई जाएगी।


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