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    ब्रेन हेमरेज के मरीज को निजी अस्पताल नहीं मिला इलाज, केजीएमयू में बची जान Lucknow News

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Sun, 29 Dec 2019 09:52 AM (IST)

    लखनऊ के निजी अस्पताल मरीज से 24 घंटे में वसूल लिए पौने दो लाख रुपये। केजीएमयू में 34 दिन तक चला इलाज बची जान।

    ब्रेन हेमरेज के मरीज को निजी अस्पताल नहीं मिला इलाज, केजीएमयू में बची जान Lucknow News

    लखनऊ, जेएनएन। 60 वर्षीय वृद्धा घर में गश खाकर गिर गईं। परिवारजन उन्हें निजी अस्पताल लेकर भागे। 24 घंटे इलाज के बाद डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। इसके बाद महिला को केजीएमयू लाया गया। यहां पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में 34 दिन वेंटिलेटर पर उनका इलाज चला। वहीं, 14 दिन वार्ड में देखभाल की गई। शनिवार को 48वें दिन ठीक होने पर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।

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    नगराम के इच्छाखेड़ा निवासी प्रेमवती (60) को गश आने लगे। इसके बाद सांस फूलने लगी। परिवारजन जीतू पटेल के मुताबिक नौ नवंबर को प्रेमवती अचानक घर में गिर गईं। बेहोशी की हालत में उन्हें राजधानी स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां 24 घंटे में पौने दो लाख रुपये वसूल लिए गए। साथ ही डॉक्टरों ने प्रेमवती का बचना मुश्किल बताकर जवाब दे दिया। ऐसे में 11 नवंबर को प्रेमवती को वेंटिलेटर सपोर्टेड एंबुलेंस से शताब्दी-टू स्थित पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर विभाग में भर्ती कराया गया। यहां विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश व रेजीडेंट डॉ. अंकित, डॉ. विकास, डॉ. अभिषेक, डॉ. सुलक्षना, डॉ. अमित, डॉ. सचिन, डॉ. कैफी, डॉ. सुमित, डॉ. ध्यान चंद्र, न्यूरो व कॉर्डियोलॉजी की टीम ने मिलकर मरीज का इलाज शुरू किया। 

    ब्रेन में था थक्का, पल्स रेट भी मिला गायब

    विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक, मरीज की हार्ट की जांच कराई गई। इसमें कोरेनरी आर्टरी ब्लॉक थी। एमआरआइ में ब्रेन में कई जगह छोटे-छोटे खून के थक्के (स्मॉल इंफाक्ट) जमा मिले। सीवियर निमोनिया से दोनों फेफड़े निष्क्रिय हो गए थे। श्वसन नली में बलगम व रक्त का जमाव था तथा किडनियां काम नहीं कर रही थीं। साथ ही पल्स-बीपी गायब था, जोकि रिकॉर्ड नहीं किया जा सकता था।

    ब्रांकोस्कोपी व मल्टीपल वैसोप्रेशर थेरेपी की डोज

    डॉ. वेद के मुताबिक, मरीज की दो बार ब्रांकोस्कोपी की गई। इससे बाद श्वसन नली से बलगम व रक्त के थक्के निकाले गए। इसके बाद टै्रकिऑस्टमी कर वेंटीट्यूब डायरेक्ट श्वसन नली में डाल दी गई, फिर मल्टीपल वैसोप्रेशर थेरेपी से बीपी व पल्स रेट में सुधार किया गया। हर रोज ब्लड की जांच कराकर तय मानक के अनुसार हाई एंटीबायोटिक डोज चलाई गई।

    लाखों का इलाज सिर्फ 70 हजार में 

    परिवारजन जीतू पटेल के मुताबिक, प्रेमवती की तबीयत अचानक खराब होने पर उन्होंने दूसरों से दो लाख रुपये उधार लिए। निजी अस्पताल में दो दिन में एक लाख 75 हजार रुपये ले लिए गए। इसके बाद और पैसे घर से मंगवाए। वहीं, केजीएमयू के आरआइसीयू में 48 दिन में सिर्फ 70 हजार रुपये इलाज पर खर्च हुए।