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    कैलास मानसरोवर यात्रा में भी यूपी को भी मिली बड़ी जिम्मेदारी, पांच वर्ष बाद फिर शुरू हो रही यात्रा

    Updated: Fri, 06 Jun 2025 06:13 PM (IST)

    Kailash Mansarovar Yatra Resumes After Five Years श्रद्धालुओं को गाजियाबाद के कैलास मानसरोवर यात्रा भवन इंदिरापुरम में चार दिन और वापसी में एक दिन ठहराया जाएगा। इस बार देश भर से 750 श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए पंजीकरण कराया है। गाजियाबाद से 15 जून को 50 श्रद्धालुओं का पहला समूह सिक्किम रवाना किया जाएगा।

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    पांच वर्ष बाद शुरू होगी कैलास मानसरोवर यात्रा

    मनोज त्रिपाठी, जागरण, लखनऊ। कैलास मानसरोवर यात्रा पांच वर्ष के इंतजार के बाद फिर शुरू होने जा रही है। केंद्र सरकार ने प्रयागराजमहाकुंभ का वृहद और सफल आयोजन करने वाली योगी आदित्यनाथ सरकार को इस बार कैलास मानसरोवर यात्रा की अहम जिम्मेदारी सौंपी है।

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    उत्तर प्रदेश सरकार को यात्रा में जाने वाले श्रद्धालुओं को गाजियाबाद में ठहराने और खाने की जिम्मेदारी मिली है। राज्य सरकार के निर्देश पर उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम (यूपीएसटीडीसी) ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं।

    श्रद्धालुओं को गाजियाबाद के कैलास मानसरोवर यात्रा भवन, इंदिरापुरम में चार दिन और वापसी में एक दिन ठहराया जाएगा। इस बार देश भर से 750 श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए पंजीकरण कराया है। गाजियाबाद से 15 जून को 50 श्रद्धालुओं का पहला समूह सिक्किम रवाना किया जाएगा। यात्रा का समापन 25 अगस्त को होगा।

    कोविड महामारी और भारत-चीन सीमा विवाद के कारण कैलास मानसरोवर यात्रा पांच वर्ष पहले रोक दी गई थी। उसके बाद अब इस यात्रा को दोबारा शुरू किया जा रहा है। कैलास मानसरोवर चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में है। यहां की यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर आनलाइन पंजीकरण कराना होता है। विदेश मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद ही यात्रा शुरू की सकती है।

    पंजीकृत श्रद्धालुओं को गाजियाबाद के कैलास मानसरोवर यात्रा भवन, इंदिरापुरम में यात्रा शुरू होने से पहले चार दिन ठहराया जाएगा। इस दौरान यूपीएसटीडीसी श्रद्धालुओं के रहने, खाने और योगाभ्यास की व्यवस्था करेगा। श्रद्धालुओं के मेडिकल और वीजा का कार्य भारत सरकार सम्पन्न कराएगी।

    आइटीबीपी के जवान इनको एक दिन प्रशिक्षण देंगे। यहां से 50-50 श्रद्धालुओं का समूह बनाकर यात्रा के लिए सिक्किम व उत्तराखंड भेजा जाएगा। यात्रा से वापस आने पर श्रद्धालुओं को एक दिन और इंदिरापुरम में रोका जाएगा। शासन ने श्रद्धालुओं को ठहराने व अन्य इंतजाम के लिए 1.35 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत कर दी है।

    • इस वर्ष कुल 5561 यात्रियों ने पंजीयन कराया
    • इसमें 4024 पुरूष और 1537 महिलाएं
    • इसमें से 750 यात्रियों का चयन किया गया
    • 2019 में बंद हुई थी कैलाश मानसरोवर यात्रा

    सिक्किम के रास्ते होगी यात्रा शुरुआत

    यात्रा की शुरुआत सिक्किम से की जाएगी। गाजियाबाद से पहले 50-50 श्रद्धालुओं के चार समूह को सिक्किम से नाथुला दर्रा के रास्ते भेजा जाएगा। गाजियाबाद से उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रा के रास्ते से जाने वाले श्रद्धालुओं के पहले समूह को गाजियाबाद से चार जुलाई को भेजा जाएगा। 500 श्रद्धालुओं को सिक्किम के रास्ते और 250 को उत्तराखंड के रास्ते भेजा जाएगा।

    उत्तराखंड के रास्ते से जाने में आता है कम खर्च

    उत्तराखंड के रास्ते से जाने वाले श्रद्धालुओं को करीब 1.75 लाख से दो लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं, जबकि सिक्किम के रास्ते से जाने वाले श्रद्धालुओं को 2.75 लाख से तीन लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं। उत्तर प्रदेश के मूल निवासियों को यात्रा की प्रतिपूर्ति के रूप में सरकार एक लाख रुपये की आर्थिक मदद करती है। इसके लिए बैंक खाते का विवरण, पैन कार्ड, आधार कार्ड व यात्रा को पूर्ण करने का प्रमाण धर्मार्थ कार्य विभाग को सौंपना पड़ता है।

    विदेश मंत्रालय से जानकारी मिली है कि जून से अगस्त के बीच 50-50 यात्रियों का कुल 15 जत्था कैलास मानसरोवर यात्रा के लिए रवाना होगा। इनमें से 50-50 के पांच यात्री जत्था लिपुलेख के रास्ते मानसरोवर जाएंगे, जबकि 50-50 यात्रियों के 10 जत्थे अलग-अलग समय नाथु ला रूट से रवाना होंगे। दोनों मार्ग काफी हद तक कार से जाने लायक बनाए गए हैं, इसलिए यात्रियों को बहुत ही कम यात्रा पैदल करनी होगी।

    वर्ष 2019 के बाद कोविड और भारत-चीन संबंधों के खराब होने की वजह से कैलाश मानसरोवर यात्रा बंद कर दी गई थी। इसको फिर से शुरू करने की सहमति अक्टूबर, 2024 में पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात में बनी। दोनों नेता अप्रैल, 2020 से पूर्वी लद्दाख से सटे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) में चीनी सेना की घुसपैठ के बाद उपजे तनाव को समाप्त करने को सहमत हुए थे। इसके बाद जब दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बैठक हुई थी तब कैलाश मानसरोवर को फिर से शुरू करने पर अंतिम फैसला हुआ था।