यूपी के बड़े शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की सिफारिश, न्यायिक आयोग ने दिए पुलिस सुधार के अहम सुझाव
बिकरू कांड की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग ने प्रयागराज आगरा मेरठ व अन्य बड़े शहरों में भी पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने की सिफारिश की है। अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित एसआइटी की सिफारिशों को भी महत्वपूर्ण बताया है।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर बड़े सवाल खड़े हुए तो जांच के बाद पुलिस सुधार के अहम सुझाव भी सामने आए हैं। पुलिस और अपराधियों का गठजोड़ फिर ऐसी दुस्साहसिक वारदात का नतीजा न बने, इसके कई रास्ते भी सुझाए गए हैं। बिकरू कांड की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग ने प्रयागराज, आगरा, मेरठ व अन्य बड़े शहरों में भी पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने की सिफारिश की है। अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित एसआइटी की सिफारिशों को भी महत्वपूर्ण बताया है।
न्यायिक आयोग ने कानून-व्यवस्था संभालने व विवेचना करने के लिए पुलिस की अलग-अलग शाखाएं होने की जरूरत बताई है। साथ ही संगठित अपराध पर अंकुश के लिए विशेष एक्ट बनाने तथा उस पर अमल के लिए विशेष सेल बनाने का सुझाव भी दिया है। स्थानीय अभिसूचना तंत्र को और मजबूत करने के साथ ही कुख्यात अपराधियों को पकड़ने के लिए दबिश की गाइडलाइन का सख्ती से अनुपालन कराए जाने की बात भी कही है। थानों व जांच एजेंसियों के कार्यालय व परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाने को कहा गया है। ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर भी अहम सुझाव दिये हैं। जिलों में तय समय के लिए ही पुलिस अधिकारियों की तैनाती करने और अभियोजन को मजबूत किए जाने के साथ कुख्यात अपराधियों के मुकदमों में खास पैरवी व अभियोजन अधिकारियों की नियुक्ति पर जोर दिया गया है।
अब पुलिस उपायुक्त कर सकेंगे जिला बदर : पुलिस कमिश्नर प्रणाली में अब पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई करने का अधिकार होगा। विधान परिषद ने गुरुवार को उप्र गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक 2021 पारित कर दिया। यह विधेयक पूर्व में विधानसभा में पास हो गया था, लेकिन विधान परिषद में बहुमत न होने के कारण अटक गया था। लिहाजा इस विधेयक को दो मार्च को प्रवर समिति को भेजा गया था। पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली में अब तक किसी आरोपित को जिला बदर करने का अधिकार पुलिस कमिश्नर को हासिल था। इस निर्णय के विरुद्ध अपील मंडलायुक्त के यहां की जा सकती थी। अब पुलिस कमिश्नर प्रणाली में डीसीपी किसी आरोपित को जिला बदर कर सकेंगे। उनके निर्णय के विरुद्ध अपील अब पुलिस कमिश्नर के समक्ष की जा सकेगी।
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