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    Janmashtami 2023: भगवान श्रीकृष्ण को पसंद है ये पंच भोग, मिलेगा 56 पकवान जितना लाभ बरसेगी लड्डू गोपाल की कृपा…

    By Riya.PandeyEdited By: Riya.Pandey
    Updated: Tue, 05 Sep 2023 02:42 PM (IST)

    Shri Krishna Janmashtami 2023 जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के जन्म को लोग पूरे देश में उत्साह के साथ मनाते हैं। घर-घर में भक्त अपने आराध्य के लिए तमाम व्यं ...और पढ़ें

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    Janmashtami 2023: भगवान श्रीकृष्ण को पसंद है ये पंच भोग

    जागरण ऑनलाइन डेस्क, लखनऊ। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami 2023): हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। जनमाष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है। इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami) छह सितंबर यानी बुधवार के दिन मनाई जाएगी। वैष्णव संप्रदाय के लोग सात सितंबर को व्रत पर्व मनाएंगे। वैष्णव समाज के लिए यह दिन उत्सव समान होता है। इस दिन साधक न केवल भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं, बल्कि व्रत रख श्रद्धा भाव से उनकी पूजा-उपासना करते हैं।

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    भाव के भूखे हैं भगवान

    ऐसा कहा जाता है कि भगवान को किसी तरह के कीमती आभूषण, स्वर्ण मंदिर, अच्छे-अच्छे पकवानों की जरूरत नहीं होती है, वह तो भक्तों के मन के भाव को समझकर ही प्रसन्न हो जाते हैं। दुनिया में हर चीज को कायम रखने वाले भगवान केवल जीवों के भाव के भूखे होते हैं। कभी वह सुदामा के लाए हुए चावल के एक दाने से तृप्त हो जाते हैं तो कभी शबरी के जूठे बेर मन भर लेते हैं तो वहीं कभी उन्हें भक्त 56 भाेग लगाकर रिझाते हैं।

    श्रीकृष्ण हैं भगवान के सबसे नटखट अवतार

    कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण सुदामा की लाई हुई पोटली के कच्चे चावल को अमृत समान समझकर खाने लगते हैं और उसके बदले में सुदामा सम्पूर्ण सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। भगवान के सभी अवतारों में श्रीकृष्ण के अवतार को सबसे नटखट माना गया है और वहीं लोग अपने घरों में कृष्ण के बाल स्वरूप को अपने बच्चे की तरह रखते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप को लड्डू गोपाल कहा जाता है।

    जन्माष्टमी को उत्साह के साथ मनाते हैं लोग

    जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के जन्म को लोग पूरे देश में उत्साह के साथ मनाते हैं। घर-घर में भक्त अपने आराध्य के लिए तमाम व्यंजन बनाते हैं। इस पर्व पर लोग उपवास भी रखते हैं। ऐसी भी किदवंतियां हैं कि भगवान कृष्ण बचपन में माखन के बहुत शौकीन हैं लेकिन क्या आपको पता है कि ये पांच भोग श्रीकृष्ण को बेहद पसंद हैं। अगर आप जन्माष्टमी के अवसर पर ये पांच भोग घर में बनाकर लगाते हैं तो आपको उसका फल 56 भोग के बराबर मिलता है।

    लड्डू गोपाल को पसंद है ये पंच भोग

    1. माखन मिश्री के लड्डू- इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर माखन मिश्री के लड्डू का भोग जरूर लगाएं। माखन तो श्रीकृष्ण का बेहद पसंदीदा भोग है। अगर आप लड्डू गोपाल को खुश करना चाहते हैं तो माखन-मिश्री से अच्छा कोई और विकल्प नहीं मिलेगा।
    2. धनिया की पंजीरी- अगर आप श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर प्रसाद में भोग के लिए धनिया की पंजीरी बनाते हैं तो इससे भगवान प्रसन्न होते हैं। धनिया की पंजीरी भगवान को प्रिय है। धनिया को धन-धान्य का प्रतीक भी माना जाता है। भगवान को पंजीरी का भोग लगाने से घर में धन से जुड़ी समस्याएं भी दूर होती हैं।
    3. मखाने की खीर- वैसे तो भगवान श्रीकृष्ण को दूध माखन से बनी सभी चीजें बेहद मन भाती है लेकिन अगर आप कृष्ण के जन्मोत्सव पर मखाने का खीर भोग में लगाते हैं तो उसका विशेष फल मिलता है।
    4. मखाना पाक- इस बार जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल के भोग में मखाना पाक भी जरूर शामिल करें। यह भी भगवान कृष्ण के प्रिय भोग में शामिल है।
    5. चरणामृत- वैसे तो किसी भी तरह का पूजन, कथा व मांगलिक कार्य हो भगवान का भोग चरणामृत के बिना अधूरा माना जाता है। इसलिए आप भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भोग में इसे शामिल करना ना भूलें।

    इन पांचों प्रसाद को अगर आप इस बार जन्माष्टमी में लड्डू गोपाल को भोग लगाते हैं तो आपको इसका फल छप्पन भोग के लगाने के बराबर मिलता है क्योंकि यह पांचों भोग भगवान श्रीकृष्ण को बेहद प्रिय हैं और यह बहुत फलदायी भी है।

    छह सितंबर को जन्माष्टमी मनाने का सही दिन

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस साल कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा, जो गृहस्थ हैं उनके लिए 6 सितंबर का व्रत करना शुभ फलदायक रहेगा। इस बार 6 सितंबर को छहों तत्वों भाद्रपद महीना, कृष्ण पक्ष, अर्धरात्रि, अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र भी है। इसके अलावा इस दिन चंद्रमा भी वृषभ राशि में संचार करने वाले हैं, लिहाजा ये सभी वो लग्न और संयोग हैं जिनमें भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था।

    साधु संत सात सितंबर को रखेंगे जन्माष्टमी का व्रत

    जब भी जन्माष्टमी बुधवार या सोमवार के दिन आती है तो बहुत ही शुभ मानी जाती है। इस बार 6 सितंबर को बुधवार के दिन जयंती योग नाम से एक दुर्लभ संयोग बन रहा है। इसलिए गृहस्थ लोगों के लिए 6 सितंबर का जन्माष्टमी का व्रत करना शुभ रहेगा जबकि साधु संत सात सितंबर को जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे।

    सनातन धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व

    भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से पूर्ण अवतार योगेश्वर भगवान कृष्ण का जन्म द्वापर युग के अंत में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में हुआ था। उन्होंने कंस के अत्याचारों से पृथ्वी को मुक्ति दिलाकर सनातन धर्म की पुनः स्थापना की थी। इसलिए भगवान योगेश्वर कृष्ण का जन्मोत्सव सनातन धर्मावलंबी हर्षोल्लास व पवित्रता के साथ पर्व रूप में मनाते हैं।

    देवकी के गर्भ से आठवें पुत्र के रूप जन्में थे श्रीकृष्ण

    पौराणिक मान्यता अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र और बुधवार के दिन मध्य रात्रि में भगवान विष्णु माता देवकी के गर्भ से आठवें अवतार के रूप में प्रकट हुए थे इसीलिए सनातन धर्मावलंबी बड़े ही उत्साह एवं पवित्रता के साथ इस व्रत व पर्व का अनुपालन करते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि-‘भाद्रपदे मासि कृष्णाष्टम्यां कलौ युगे। अष्टाविंशतिमे जातः कृष्णोऽसौ देवकीसुतः’।