खामियों का पिटारा बनी केंद्र की एनीव्हेयर फिटनेस प्रणाली, सड़क सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है यह सिस्टम
उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने वाहनों की फिटनेस जांच के लिए केंद्र सरकार की एनीव्हेयर फिटनेस प्रणाली की खामियों को रेखांकित करते हुए इसके दुरुपयोग की प्रवृत्ति और सुरक्षा खतरों की उच्च स्तरीय समीक्षा का अनुरोध किया है ताकि सभी राज्यों में इसे दुरुस्त किया जा सके।आयुक्त ने यह डाटा मुख्य रूप से पांच मानकों पर मांगा है।

धर्मेश अवस्थी, जागरण, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने वाहनों की फिटनेस जांच के लिए केंद्र सरकार की एनीव्हेयर फिटनेस प्रणाली की खामियों को रेखांकित करते हुए इसके दुरुपयोग की प्रवृत्ति और सुरक्षा खतरों की उच्च स्तरीय समीक्षा का अनुरोध किया है ताकि सभी राज्यों में इसे दुरुस्त किया जा सके।
फिटनेस टेस्ट में गड़बड़ियां सड़क सुरक्षा के लिए खतरा
आयुक्त ने सड़क परिवहन मंत्रालय के संयुक्त सचिव को लिखे पत्र में इसे गंभीर विषय बताते हुए अनफिट वाहनों की जांच की प्रणाली में हो रहीं गड़बड़ियां को सड़क सुरक्षा के लिए भी चुनौतीपूर्ण बताया है।
फिटनेस जांच का डाटा तैयार कर जल्द दें
परिवहन आयुक्त ने गोरखपुर, कानपुर में चल रहे व्यावसायिक वाहनों के चलते हुईं दुर्घटनाओं और अवैध रूप से चल रहे फिटनेस रहित वाहनों के मामलों का उल्लेख करते हुए केंद्र सरकार से यह भी अनुरोध किया है कि वह एनआइसी (नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर) को पिछले एक साल में उत्तर प्रदेश में एनीव्हेयर फिटनेस प्रणाली के तहत वाहनों की फिटनेस जांच का डाटा तैयार कर उसके तकनीकी विश्लेषण के लिए निर्देश दे।
डाटा मुख्य रूप से पांच मानकों पर मांगा
आयुक्त ने यह डाटा मुख्य रूप से पांच मानकों पर मांगा है। इसमें वाहन का पंजीयन जिला, वह जिला जहां फिटनेस टेस्ट कराया गया, फिटनेस जारी करने की तारीख और लोकेशन, तकनीकी निरीक्षण, एआइ कैमरा अथवा सीसीटीवी का सत्यापन रिकॉर्ड शामिल हैं।
गौरतलब है कि एनीव्हेयर फिटनेस प्रणाली के तहत वाहनों की फिटनेस जांच कहीं भी कराई जा सकती है। सुगमता के लिए की गई इस व्यवस्था का इस हद तक दुरुपयोग होने की शिकायतें आई हैं कि अनफिट वाहनों का पांच सौ किलोमीटर दूर फर्जी फिटनेस टेस्ट कराया जा रहा है।
ये खामियां आई सामने
आयुक्त ने अपने पत्र में कहा है कि प्राथमिक तकनीकी परीक्षण में यह पाया गया कि वाहनों का फिटनेस प्रमाण पत्र एनीव्हेयर फिटनेस सुविधा के माध्यम से उन जिलों से जारी किया गया था, जहां वाहन भौतिक रूप से उपस्थित नहीं था।
उदाहरण के लिए कानपुर में पकड़े गए वाहन का फिटनेस परीक्षण प्रमाण-पत्र कुछ घंटे के भीतर उत्तराखंड से जारी दिखा दिया गया। परिवहन विभाग ने इस तरह की गंभीर गड़बडि़यों के चलते कानपुर और गोरखपुर में दो क्षेत्रीय निरीक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की है और इसकी अलग से विभागीय जांच भी शुरू की है।
आयुक्त ने केंद्र सरकार को लिखी चिट्ठी में यह तथ्य भी रेखांकित किया है कि स्थानीय स्तर पर जांच अधिकारी तकनीकी और सॉफ्टवेयर आधारित इस प्रणाली में डाटा की पड़ताल नहीं कर सकते हैं।
इस प्रणाली की समीक्षा होगी
परिवहन आयुक्त ने इस प्रणाली की समीक्षा के लिए केंद्रीय स्तर पर एक तकनीकी समिति के गठन का भी अनुरोध किया है। आयुक्त ने इसे सड़क सुरक्षा के लिए तो जरूरी बताया ही है, भविष्य में सूचना के अधिकार संबंधी कानून तथा न्यायिक जांच से बचाव के लिए भी आवश्यक माना है।
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